August 1, 2025 |

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छत्तीसगढ़

सोलर पावर के विस्तार में सबसे बड़ी बाधा बन रही एकमुश्त आने वाली लागत

Gram Yatra Chhattisgarh
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बिलासपुर ।   बिजली की बढ़ती खपत और भविष्य में इसकी संभावित कमी को देखते हुए सरकारें सोलर पावर को प्रमोट कर रही हैं। इसके बावजूद घरेलू स्तर पर सोलर पैनल लगाने वालों की संख्या में अपेक्षित वृद्धि नहीं हो रही। शहरी क्षेत्र में हर साल 40 से 45 लोग ही इसे अपना रहे हैं।

एकमुश्त लागत और त्वरित लाभ न मिलने के कारण लोग सोलर पावर अपनाने में हिचक रहे हैं।स्थानीय लोगों का मानना है कि सोलर पैनल लगाने में एकमुश्त आने वाली लागत सबसे बड़ी बाधा है। एक किलोवाट सोलर पैनल लगाने के लिए लगभग एक लाख रुपये तक का खर्च आता है।

इसमें सरकार द्वारा दी जाने वाली सब्सिडी के बाद भी 80-85 हजार रुपये खर्च करने पड़ते हैं। यह खर्चा अधिकांश परिवारों के लिए भारी साबित हो रहा। इसी के विपरीत कृषि और कमर्शियल क्षेत्रों में सोलर पावर की डिमांड तेजी से बढ़ी है।
बैटरी रिन्यूअल का खर्च भी चिंता का कारण
स्थानीय निवासी अखिलेश तिवारी ने बताया कि उनके घर पर रूफटाप सोलर पावर लगा हुआ था। लेकिन बैटरी खराब हो जाने के चलते वह लंबे समय तक निष्क्रिय पड़ी रही। वह कहते हैं कि सोलर पावर सिस्टम में बैटरी की नियमित देखभाल और समय-समय पर बैटरी बदलने का खर्च वहन करना पड़ता है। एक नई बैटरी के लिए लगभग 20 से 30 हजार रुपये खर्च करने होते हैं, जो कि सामान्य बिजली बिल के मुकाबले महंगा पड़ता है।

सब्सिडी के बावजूद सोलर पावर महंगा

स्थानीय निवासी रमेश सूर्यकांत कहते हैं कि सरकार सोलर पैनल पर सब्सिडी प्रदान करती है, लेकिन इसके बावजूद लागत बहुत अधिक है। एक किलोवाट सोलर सिस्टम पर 85 हजार रुपये खर्च होते हैं, जबकि औसत घर का बिजली बिल 500 से 1000 रुपये प्रति माह होती है। इस हिसाब से इस निवेश की भरपाई में लगभग 7 से 8 साल का समय लग जाता है।

 

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