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अब इस नल से पानी ही नहीं, होने लगी हैं खुशियों की बरसात

वृद्धा गणेशों बाई पहले बरसात में हो जाती थीं बूँद-बूँद को मोहताज

कोरबा। वह बरसात का ही महीना था। आसमान से पानी तो बरस रहे थे…नदी-नाले उफान पर थे… गाँव के आसपास सब कुछ जलमग्न जैसा था…उसके लिए तो बरसात एक आफत की बरसात बन गई थी ,क्योंकि सभी तरफ पानी-पानी होकर भी वृद्धा गणेशों बाई बूँद-बूँद को मोहताज थीं। यह सिर्फ बरसात के दिनों की ही बात नहीं थीं। वृद्धा गणेशों बाई और गाँव के अधिकांश लोगों को गर्मी के दिनों में भी इसी तरह की समस्याओं से भुगतना पड़ता था। बरसात में गंदे हुए नाले के पानी से काम चलाना पड़ता था और गर्मी के दिनों में पानी सूख जाने से दूर-दूर तक पानी की तलाश में भटकना पड़ता था। ऐसे कई चुनौतियां भी आई कि बरसात के दिनों जान जोखिम में डालकर पत्थरों में फ़िसलन के बीच पानी का इंतजाम करना पड़ा..। अब जबकि गाँव में ही जल जीवन मिशन और क्रेडा के माध्यम से सोलर ड्यूल पम्प लग गया है तो वृद्धा गणेशों के घर नल लगाया गया  है। इस नल से उसकी बरसाती आफत खत्म होने के साथ ही नल से पानी मिलने के साथ खुशियों की बरसात भी होने लगी है।

   कोरबा ब्लॉक के अंतर्गत ग्राम कोरई पानी की समस्या हर गर्मी में विकराल हो जाती थी। ग्रामीणों को पानी के लिए भटकना पड़ता था। कुछ दूर मौजूद एक नाला ही था,जिनके भरोसे गर्मी, बरसात  बिताई जाती थी। लेकिन यह आसान भी नहीं था,क्योंकि गर्मी में जल का स्तर कम होने के साथ ही सूखे जैसी स्थितियों का सामना करना पड़ता था वहीं बारिश में नाले में उफान के साथ ही गन्दे हुए पानी उनकी परेशानी का सबब बन जाती थी। गांव में पानी में उपलब्ध कराने कई प्रयास भी हुए, लेकिन पर्वतीय इलाका होने की वजह से पानी की समस्या जस की तस बनी रही। आखिरकार इस समस्या से निपटने नई रणनीति अपनाई गई। जल जीवन मिशन और क्रेडा के माध्यम से गाँव में सोलर ड्यूल पम्प की स्थापना की गई। इस पम्प से घरों तक पाइप लाइन बिछाया गया। सभी प्रक्रिया पूरी कर जब पानी आपूर्ति शुरू की गई तो यह गाँव के लिये एक बड़ी उपलब्धि और खुशियों का अवसर था। नल से घर में ही पानी मिलना यानी उनकी बड़ी समस्या का अंत था। शायद इसीलिए गाँव कोराई की 65 वर्षीय वृद्धा गणेशों बाई कहती है कि इस नल ने उनकी बहुत बड़ी समस्या को दूर कर दिया है। बरसात के दिनों में साफ पानी के लिए बहुत तरसना पड़ता था। जिस नाले से गाँव के लोग पानी लेते थे वह मटमैला होने के साथ गंदा भी हो जाता था और बारिश में पत्थरों में हुई फिसलन के बीच बर्तन से पानी भरकर घर लाना भी बड़ा जोखिम भरा होता था। गणेशो बाई ने यह भी बताया कि पानी की समस्या साल भर बनी रहती थी। गर्मी के दिनों में भी पानी का स्तर कम होने का खामियाजा भुगतना पड़ता था। अब जब नल घर में लग गया है तो इस उम्र में उसके लिए इससे बड़ा भला और क्या सहारा हो सकता है..नल का साफ पानी घर पर ही भर लेती है और किसी तरह का जोखिम भी नहीं उठाना पड़ता है।

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