January 10, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
राजधानी में गैंगवार: दो पक्षों के बीच चाकूबाजी, 2 युवक गंभीर…आज रिलीज होगी लोककथा पर आधारित हंसी-मजाक से भरपूर छत्तीसगढ़ी फिल्म सुकवामहाकुंभ मेला के लिए सेल ने पैँतालिस हजार टन स्टील की आपूर्ति कीसरकारी स्कूल के टीचर को पुलिस ने किया गिरफ्तारखाद्य मंत्री की अध्यक्षता में मंत्रि-मंडलीय उप समिति द्वारा धान के शत-प्रतिशत निराकरण के लिए मंथनमहतारी वंदन योजना से बांसशिल्प को नया आयामकिसानों के जीवन में समृद्धि और खुशहाली की नई कहानीश्रम मंत्री ने 41 हजार से अधिक श्रमिकों के बैंक खाते में 23.22 करोड़ रूपए अंतरित किएबालको के शीतकालीन शिविर से छात्रों के आगामी बोर्ड परीक्षा की तैयारी हुई आसानदृष्टिबाधित बच्चों के लिए ’एनी डिवाइस’
छत्तीसगढ़

महतारी वंदन योजना से बांसशिल्प को नया आयाम

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ती श्यामा बाई

रायपुर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। गरियाबंद जिले की जनजातीय महिलाओं के जीवन में महतारी वंदन योजना ने नई उम्मीदें जगाई हैं। यह योजना न केवल आर्थिक मदद कर रही है, बल्कि परंपरागत बांसशिल्प कला को सशक्त करने और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। कुरूद गांव की कंडरा जनजाति की श्रीमती श्यामा बाई इस योजना की सफलता की मिसाल बन चुकी हैं।

कभी मजदूरी कर मुश्किल से गुजारा करने वाली श्यामा बाई ने योजना से मिलने वाली आर्थिक सहायता का उपयोग अपने पारंपरिक बांसशिल्प व्यवसाय को बढ़ाने में किया। अब उनका परिवार आर्थिक रूप से मजबूत हो रहा है, और उनकी मासिक आय 8,000 रुपए तक पहुंच चुकी है। श्रीमती श्यामा बाई ने बताया कि महतारी वंदन योजना से मिलने वाली प्रतिमाह 1,000 रुपए की राशि उनके व्यवसाय के लिए बहुत फायदेमंद साबित हुई है। इससे वह बांस जैसी कच्ची सामग्री समय पर खरीद पाती हैं, जिससे उनका काम तेजी से बढ़ा है। पहले उन्हें पैसे की कमी के कारण कम मात्रा में उत्पाद तैयार करने पड़ते थे, लेकिन अब वह टोकरी, बर्तन और सजावटी सामान के साथ-साथ छोटे उत्पाद जैसे सूपा, चुरकी और टोकनी भी बना पा रही हैं। उनके पति भी इस कार्य में सहयोग करते हैं। साथ मिलकर वे अपने उत्पादों को बिचौलियों के माध्यम से गांवों में बेचते हैं। शादी-विवाह के सीजन में बाजारों में दुकान लगाकर अतिरिक्त आय अर्जित करते हैं। इस मदद और मेहनत ने उनकी जिंदगी को एक नई दिशा दी है।

महतारी वंदन योजना के अंतर्गत मिल रही आर्थिक सहायता ने श्यामा बाई और उनके परिवार को आत्मनिर्भर बनाया है। अब उन्हें दूसरों से ऋण लेने की जरूरत नहीं पड़ती, और वह अपने व्यवसाय को कुशलता से चला रही हैं। उनकी सफलता से अन्य जनजातीय परिवार भी प्रेरित हो रहे हैं और बांसशिल्प जैसे परंपरागत व्यवसायों को नए सिरे से अपनाने की ओर अग्रसर हैं। गरियाबंद जिले में महतारी वंदन योजना जैसे प्रयासों ने यह साबित किया है कि यदि योजनाएं सही तरीके से लागू की जाएं, तो इससे न केवल आर्थिक विकास संभव है, बल्कि पारंपरिक कौशल को भी सहेजा जा सकता है। श्रीमती श्यामा बाई आज आत्मनिर्भरता और परिश्रम की एक मिसाल हैं। उनके प्रयास यह से यह प्रमाणित हुआ है कि कैसे सरकारी योजनाएं जनजातीय समुदायों को प्रगति की मुख्यधारा में लाने का कार्य कर रही हैं। श्यामा बाई का कहना है कि महतारी वंदन योजना ने हमें आर्थिक मजबूती और आत्मविश्वास दिया है। अब हम अपने कौशल से अपने बच्चों को बेहतर भविष्य दे सकते हैं। उनकी यह सफलता अन्य महिलाओं के लिए अनुकरणीय है।

 

ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close