छत्तीसगढ़

कोरबा नगर निगम की लापरवाही फिर आई सामने, जनता के जान से हो रहा खिलवाड़,

कोरबा नगर निगम ने एक बार फिर अपनी घोर लापरवाही से शहर को बीमारियों के दलदल में धकेल दिया है। हर साल मानसून से पहले एंटी-लार्वा दवा छिड़काव और फॉगिंग मशीन का ठेका समय पर जारी किया जाता था ताकि मच्छरों से होने वाली बीमारियों पर नियंत्रण पाया जा सके। लेकिन इस साल, नगर निगम ने इस अहम काम को प्राथमिकता में नहीं रखा। ठेका की फाइलें महीनों से दबी पड़ी हैं, जबकि यह कार्य जनहित के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण था।

नगर निगम की इस लापरवाही का सीधा असर जनता पर पड़ रहा है। मच्छरों की संख्या तेजी से बढ़ रही है, और डेंगू, मलेरिया जैसी घातक बीमारियों का खतरा हर गली, हर मोहल्ले में मंडरा रहा है। इस बात को लेकर न तो आयुक्त और न ही महापौर गंभीर नजर आ रहे हैं। एंटी-लार्वा छिड़काव का ठेका समय पर नहीं होने के चलते शहर की जनता मच्छरों के आतंक से त्रस्त हो चुकी है।

महापौर, जो फोटो खिंचवाने और कार्यक्रमों में भाग लेने में व्यस्त रहते हैं, को इस बात की फिक्र तक नहीं है कि शहर में डेंगू और मच्छरजनित बीमारियों का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। जब ठेके को प्राथमिकता के आधार पर जारी किया जाना चाहिए था, तब नगर निगम की फाइलों में यह दबा बैठा है। क्या नगर निगम जानबूझकर जनता की जान से खिलवाड़ कर रहा है?

आयुक्त की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। क्यों उन्होंने एंटी-लार्वा फॉगिंग मशीन के ठेके को प्राथमिकता नहीं दी? यह तो शहर की स्वास्थ्य सुरक्षा का एक अहम मुद्दा था। लापरवाही का आलम यह है कि आम जनता मच्छरों और बीमारियों के साये में जीने को मजबूर है। आयुक्त की ओर से कोई ठोस कदम उठाने की बजाय, ठेका की फाइलों को दबाए रखना जनता के साथ विश्वासघात है।

शहर विधायक और छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री लखन देवांगन ने पहले ही मच्छरों और बीमारियों के खतरे को लेकर जिला प्रशासन को चेताया था, लेकिन नगर निगम के अधिकारी इन निर्देशों को भी नजरअंदाज कर बैठे हैं। इस लापरवाही का खामियाजा आम जनता को अपनी जान देकर भुगतना पड़ रहा है।

नगर निगम कोरबा की यह स्थिति शर्मनाक है। ठेके की फाइलें दबाकर नगर निगम ने साबित कर दिया है कि वह जनता की समस्याओं को गंभीरता से लेने को तैयार नहीं है।

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