मंत्री कवासी लखमा ने की पूर्व मुुख्यमंत्री रमन सिंह के नार्को टेस्ट की मांग
रायपुर। झीरमघाटी मामले में एक बार फिर राजनीति गरमा गई है। जगदलपुर में छत्तीसगढ़ शासन के मंत्री कवासी लखमा ने कहा है कि मेरा और पूर्व मुख्यमंत्री डाॅ. रमन सिंह का नार्को टेस्ट कराया जाए, जिससे इस घटना के राजनीतिक साजिश का खुलासा हो सके। गौरतलब है कि मामले की न्यायिक जांच के दौरान गवाह और झीरम हमले में घायल हुए शिवनारायण द्विवेदी ने एक दिन पहले बुधवार को कांग्रेस नेता कवासी लखमा पर गंभीर आरोप लगाया था कि कहीं न कहीं लखमा की भूमिका इस घटना में संदिग्ध है।
उन्होंने नक्सलियों को कहा कि मैं कवासी लखमा हूं, तब नक्सलियों ने उन्हें छोड़ दिया और कांग्रेस के तत्कालीन प्रदेशाध्यक्ष नंदकुमार पटेल सहित अन्य नेताओं को लेकर नक्सली जंगल में ले गए और बाद गोलियां चलने की आवाज आई। द्विवेदी तब कांग्रेस नेता थे,बाद में वे भाजपा में शामिल हो गए। झीरम मामले की हो रही उच्च स्तरीय जांच के दौरान आंखों देखी बयान में शिवनारायण के बयान के बाद इस मामले में बवाल मचा और दो दिन से राजनीतिक गलियारे में चर्चा का विषय बना हुआ है।
छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में नक्सलियों ने 25 मई 2013 को कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा पर हमला कर राज्य के पूर्व मंत्री और पार्टी के वरिष्ठ नेता महेंद्र कर्मा समेत 30 लोगों की हत्या कर दी थी । तत्कालीन कांग्रेसाध्यक्ष नंद कुमार पटेल, उदय मुदलियार और कार्यकर्ता गोपी माधवानी की मौके पर मौत हो गई थी। हमले में एक दर्जन से ज्यादा कांग्रेसी नेता घायल हो गए थे। बाद में इलाज के दौरान कांग्रेस के वरिष्ठ नेता विद्याचरण शुक्ल की भी मौत हो गई थी। विधायक कवासी लखमा की पीठ में गोलियां लगी थीं।
कांग्रेस की परिवर्तन यात्रा में हमले से पहले पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी हेलीकॉप्टर से राजधानी लौट गए थे। नक्सलियों ने परिवर्तन यात्रा से लौट रहे कांग्रेस के काफिले पर लगातार दो घंटे तक फायरिंग की थी।
लगभग एक हजार नक्सलियों ने पहले सुकमा जिले की जीरम घाटी में विस्फोट किया। इसके बाद दरभा घाटी के पास गोलीबारी शुरू कर दी। काफिले में लगभग 16 से 20 गाड़ियां शामिल थीं, जिन पर करीब 120 कार्यकर्ता सवार थे।
परिवर्तन यात्रा के इस काफिले में कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नंदकुमार पटेल, पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, महेंद्र कर्मा, कवासी लखमा, उदय मुदलियार सहित कई बड़े नेता शामिल थे। गौरतलब है कि तत्कालीन कांग्रेसाध्यक्ष नंद कुमार पटेल के काफिले पर इससे पहले भी गरियाबंद के पास नक्सली हमला हुआ था जिसमें वे बाल-बाल बचे थे।
आयुर्वेद चिकित्सा महासंघ के अध्यक्ष व झीरम नरसंहार मामले के गवाह शिवनारायण द्विवेदी ने शुक्रवार को डीजीपी डीएम अवस्थी से मुलाकात करके सुरक्षा की मांग की है। शिवनारायण को झीरम कांड में नक्सलियों की गोली लगी थी।
झीरम घाटी नरसंहार की जांच कर रहे विशेष न्यायिक आयोग के अध्यक्ष जस्टिस प्रशांत मिश्रा के समक्ष डीआइजी व नोडल अधिकारी नक्सल ऑपरेशन पी सुंदरराज ने बयान दर्ज कराए। उन्होंने बताया कि 17 दिसंबर 2012 को केंद्रीय गृह मंत्रालय ने राज्य शासन को पत्र लिखकर तत्कालीन नेता प्रतिपक्ष महेंद्र कर्मा की सुरक्षा के संबंध में निर्देश जारी किए थे।
पत्र में इस बात का भी जिक्र किया गया था कि कर्मा बस्तर के बड़े नेता हैं और दक्षिण बस्तर स्थित डिवीजनल कमेटी सीपीआइ माओवादी के हिटलिस्ट में है। कर्मा द्वारा नक्सलवाद के खिलाफ चलाए जा रहे अभियान के कारण वे माओवादियों की सूची में पहले नंबर पर हैं।
लिहाजा उनकी सुरक्षा का पुख्ता इंतजाम किया जाए । नोडल अधिकारी ने केंद्रीय गृह मंत्रालय से सुरक्षा के संबंध में निर्देश मिलने की जानकारी देने के साथ ही गृह मंत्रालय द्वारा 12 दिसंबर 2012 को जारी पत्र को भी आयोग के हवाले किया। इस पर कांग्रेस के वकील ने कहा कि केंद्र ने दिशा-निर्देश दिए लेकिन राज्य सरकार ने लापरवाही की।
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