March 13, 2025 |

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छत्तीसगढ़

पारा फिर चढऩे लगा मौसम विभाग ने लू अलर्ट जारी किया

राज्य में 22 जून तक मानसून के पहुंचने की संभावना है

Gram Yatra Chhattisgarh
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रायपुर। छत्तीसगढ़ समेत देश के अधिकांश हिस्सों में इन दिनों सूखे जैसे हालात बने हुए हैं। इस साल भीषण गर्मी ने नींद उड़ा दी है। इंतजार जून में बारिश का था। मगर मौसम विभाग के जारी सभी पूर्वानुमान फिलहाल धराशाई हो गए हैं। छत्तीसगढ़ में सामान्य दिनों में 10 जून तक मानसून की दस्तक हो जाती है, मगर 20 जून आ चुका है।
मानसून अभी भी 1200 किमी दूर गंगटोक में ही स्थिर है। 48 घंटे से इसमें कोई गति नहीं आई है। हालात अगर यही रहे तो मानसून 23 जून तक छत्तीसगढ़ में पहुंचेगा। यह 10 साल में सबसे अधिक विलंब से होगा। कुछ मिमी बारिश से राहत जरूर थी, मगर अब पारा फिर चढऩे लगा है। जून के 20वें दिन लू अलर्ट जारी कर दिया गया है।
इस साल मानसून में देरी की वजह ‘वायु” तूफान रहा, मगर अब तो वह भी गुजर चुका है। अब तक जितनी भी बारिश हुई है, वह सिर्फ स्थानीय सिस्टम या द्रोणिका की वजह से हुई। आसमान में कुछ समय के लिए बादल आए, मगर ये भी उडऩ-छू हो गए। अब सब जगह त्राहि-त्राहि मची हुई है। वैसे भी इस साल रायपुर ने पेयजल के लिए बहुत संघर्ष किया है। रायपुर, जहां तापमान सामान्य से छह डिग्री अधिक है, माना, जहां पारा छह डिग्री अधिक है और राजनांदगांव, जहां पारा आठ डिग्री अधिक बना हुआ है। बिलासपुर और दुर्ग भी 40 डिग्री से अधिक पर तापमान है।
मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार छत्तीसगढ़ में फिलहाल 50 फीसदी से ज्यादा स्थानों पर बारिश हो रही है। इसका कारण उत्तर प्रदेश से लेकर कर्नाटक तक एक टर्फ बना हुआ है। साथ ही पश्चिम मध्य बंगाल की खाड़ी और उससे लगा तटीय आंध्र प्रदेश के ऊपर एक चक्रवाती घेरा बना हुआ है, जिसकी ऊंचाई 4.5 से 5.8 किलोमीटर तक है। इस कारण उत्तर प्रदेश, झारखंड, उड़ीसा और छत्तीसगढ़ में प्री मानसून बारिश अच्छी हो रही है। मौसम विभाग के अनुसार अरब सागर की ओर से भारी मात्रा में नमी आ रही है, इसलिए गरज-चमक के साथ हवा चल रही है। छत्तीसगढ़ में मानसून के पहुंचने में करीब दो से तीन दिन का समय है। मौसम वैज्ञानिकों के अनुसार वायु चक्रवात के कमजोर पडऩे से मानसून की चाल में तेजी आएगी। छत्तीसगढ़ में 22 जून तक मानसून के पहुंचने की संभावना है। मानसून को लेकर अभी कुछ भी कहना मुश्किल हो रहा है। फिलहाल यह गंगटोक में ही अटका हुआ है, उसे आगे बढऩे के लिए अनुकूल वातावरण नहीं मिल रहा है। बंगाल की खाड़ी में सिस्टम बनेगा तो ही यह आगे बढ़ सकता है।

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