
कोरबा। सरकारी मेडिकल कॉलेज अस्पताल अब इलाज से ज्यादा लाशें उगलने वाली फैक्ट्री बन चुका है। अधीक्षक डॉ. गोपाल कंवर की निकम्मी प्रबंधन क्षमता और नर्सिंग स्टाफ–डॉक्टरों की बेलगाम हरकतों ने एक और परिवार को बर्बाद कर दिया।
कोहड़िया चारपारा की 30 वर्षीय नंदिनी साहू पहली बार जुड़वा बच्चों की माँ बनी, लेकिन मेडिकल कॉलेज की लापरवाही ने उसकी जान ले ली। ऑपरेशन टेबल पर ही खून बहता रहा, रेयर ब्लड की कमी का बहाना बनाकर परिजनों को इधर-उधर दौड़ाया गया, और आखिरकार प्रसूता ने दम तोड़ दिया।
पति कीर्तनलाल साहू का आरोप साफ है –
“डॉक्टरों की लापरवाही से मेरी पत्नी की मौत हुई। ब्लड के नाम पर हमें बार-बार गुमराह किया गया, बच्चादानी निकालने की नौबत लाई गई, फिर भी जिंदगी नहीं बचा पाए।”
गौर करने वाली बात यह है कि मौत की खबर फैलते ही अस्पताल में हंगामा मच गया, लेकिन अधीक्षक गोपाल कंवर मौके पर न पहुँचे, न ही परिजनों का दर्द समझने की कोशिश की। यही नहीं, भर्ती के दौरान नर्सिंग स्टाफ ने परिजनों से बदतमीजी की, लेकिन इस पर भी कोई कार्रवाई नहीं हुई। कंवर साहब का इलाज बस “बर्ताव सुधारने की कार्यशाला” कराने तक सीमित है।
वहीं, विभागाध्यक्ष डॉ. आदित्य सिसोदिया मौत का ठीकरा मरीज की ब्लड प्रेशर समस्या पर फोड़ते रहे। सहायक अधीक्षक डॉ. रविकांत जाटवर ने पोस्टमार्टम और वीडियोग्राफी की बात कहकर खानापूर्ति कर दी।
- लेकिन सच यह है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में प्रबंधन पूरी तरह बेहिस, बेलगाम और बेशर्म हो चुका है।
- हर मौत पर रिपोर्ट–जांच–पैनल का राग अलापा जाता है, लेकिन कभी जिम्मेदारी तय नहीं होती।
गोपाल कंवर अस्पताल चलाने नहीं, मौतें छिपाने में माहिर हैं।
अब सवाल है –
- क्या मेडिकल कॉलेज को मौत का गढ़ बनाकर रख देंगे गोपाल कंवर ?
- कितनी माताओं को खोने के बाद जागेगा स्वास्थ्य विभाग ?
- या फिर इस बार भी फाइलों और जांचों में मामला दबा दिया जाएगा ?