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माल महाराज के मिर्जा खेले होली ! पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने खेली है अब नई चाल…

लखनलाल देवांगन, जो जनता द्वारा चुने गए विधायक हैं और अब छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री हैं, मजदूरों की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए सक्रिय हैं। लखनलाल ने स्थानीय विकास पर ध्यान केंद्रित किया और अपने कार्यों से साबित किया कि वह जनता के प्रति समर्पित हैं। उनके प्रयासों से शहर को राखड़ से राहत मिली है, जबकि जयसिंह अग्रवाल अब जब अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब लखनलाल का कद और भी ऊँचा हो गया है।

कोरबा : कहते है रस्सी जल जाए पर बल नहीं जाता है। कुछ ऐसा ही हाल कोरबा विधानसभा से लगातार तीन बार विधायक रहे जयसिंह अग्रवाल, जो छत्तीसगढ़ के कैबिनेट मंत्री भी रह चुके हैं उनका है, इनपर आजकल गंभीर सवाल उठ रहे हैं। उनके शासन में मजदूरों की समस्याओं की अनदेखी और उनके परिवार के ठेकेदारी के कारोबार पर जनता की चिंता बढ़ती जा रही है। अब जब उन्हें सत्ता से बेदखल किया गया है और कोरबा विधानसभा में करारी हार का सामना करना पड़ा है, तब अचानक से उन्हें मजदूरों की कठिनाइयों का ध्यान आने लगा है। यह स्थिति एक बड़ी राजनीतिक विडंबना है, जिसने लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया है।

 

जयसिंह अग्रवाल की राजनीतिक यात्रा को देखें तो यह साफ हो जाता है कि सत्ता में रहते हुए उन्होंने केवल अपने और अपने परिवार के व्यवसाय को बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित किया। जब वह छत्तीसगढ़ के मंत्री बने, तब उन्हें मजदूरों की समस्याओं का कोई ध्यान नहीं था। उनका ध्यान केवल बालको में ठेकेदारी पर केंद्रित रहा। इस दौरान, उन्होंने स्थानीय मजदूरों की दुर्दशा को नजरअंदाज करते हुए अपने ठेकेदारी व्यवसाय को बढ़ावा दिया, जो उनकी कंपनी शांति इंजीकॉन और उसकी सहयोगी कंपनियों के माध्यम से चलाया गया।

 

इस प्रक्रिया में, पूरे कोरबा जिले को राखड़ में तब्दील कर दिया गया। यह न केवल स्थानीय पर्यावरण के लिए हानिकारक था, बल्कि मजदूरों के लिए भी। उनका ठेकेदारी वर्चस्व इतना मजबूत हो गया था कि आम जनता की गतिविधियों से कोई सरोकार नहीं रह गया। वे केवल अपने स्वार्थ के लिए काम कर रहे थे और स्थानीय लोगों की समस्याओं की अनदेखी कर रहे थे।

 

हाल के चुनावों में जब जयसिंह अग्रवाल को करारी हार का सामना करना पड़ा, तब अचानक से उनके मुंह से “जनहित” की बातें शुरू हो गईं। अब वह मजदूरों की कठिनाइयों का रोना रोने लगे हैं, जो उनके पिछले कार्यकाल के दौरान कभी नहीं दिखाई दिया। इस बदलते चेहरे ने लोगों को चौंका दिया है और उन्होंने इसे एक राजनीतिक नाटक के रूप में देखा है। जबकि समय गवाह है, इस तरह ले घड़ियाली आंसू बहाकर जयसिंह ने कइयों मर्तबा ठेका हासिल किया है।

 

वहीं, लखनलाल देवांगन, जो जनता द्वारा चुने गए विधायक हैं और अब छत्तीसगढ़ के उद्योग मंत्री हैं, मजदूरों की समस्याओं को प्राथमिकता देते हुए सक्रिय हैं। लखनलाल ने स्थानीय विकास पर ध्यान केंद्रित किया और अपने कार्यों से साबित किया कि वह जनता के प्रति समर्पित हैं। उनके प्रयासों से शहर को राखड़ से राहत मिली है, जबकि जयसिंह अग्रवाल अब जब अपनी खोई हुई प्रतिष्ठा पाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं, तब लखनलाल का कद और भी ऊँचा हो गया है।

 

मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के सुशासन में लखनलाल देवांगन की कार्यशैली ने न केवल उन्हें बल्कि सरकार को जनता का हीरो बना दिया है। उन्होंने अपने कार्यकाल में मजदूरों के हितों की रक्षा के लिए कई ठोस कदम उठाए हैं। उनके प्रयासों से न केवल मजदूरों को राहत मिली है, बल्कि स्थानीय विकास में भी तेजी आई है। उनकी सक्रियता और समर्पण ने जनता के बीच विश्वास जगाया है।

 

लखनलाल ने यह साबित कर दिया है कि एक सच्चा नेता वही होता है, जो जनता की आवाज सुनता है और उनके मुद्दों को हल करने के लिए काम करता है। उनके कार्यों के कारण, आज कोरबा की जनता की नजरों में वह एक आदर्श नेता के रूप में स्थापित हो चुके हैं।

 

इस बीच, जयसिंह अग्रवाल अब लखनलाल की बढ़ती लोकप्रियता से घबराए हुए हैं। उनकी ठेकेदारी का खेल अब खत्म होता दिख रहा है, और यही कारण है कि उन्होंने बालको प्रबंधन पर दबाव बनाने की कोशिशें शुरू कर दी हैं। यह सब कुछ जनता को धोखा देने के लिए है, ताकि वह अपने ठेकेदारी के व्यवसाय को बचा सकें। लेकिन अब जनता जागरूक हो चुकी है और वह इस राजनीतिक नाटक को समझ चुकी है।

 

कोरबा की जनता ने यह समझ लिया है कि लखनलाल देवांगन ही असली नायक हैं, जो उनके हितों की रक्षा कर रहे हैं। उन्होंने जयसिंह अग्रवाल की चालों को पहचान लिया है और अब वह उनकी झांसे में आने वाले नहीं हैं। लखनलाल की मेहनत और ईमानदारी ने उन्हें एक सच्चा नेता बना दिया है, जो वास्तव में जनहित में काम कर रहा है।

 

इस प्रकार, कोरबा की राजनीतिक स्थिति में बदलाव आ चुका है। जयसिंह अग्रवाल की छवि अब धूमिल हो चुकी है, और उनके दावों पर जनता का विश्वास कम होता जा रहा है। वहीं, लखनलाल देवांगन की कड़ी मेहनत और जनहित के प्रति समर्पण ने उन्हें जनता का हीरो बना दिया है। यदि जयसिंह अग्रवाल ने अपनी कार्यशैली में सुधार नहीं किया, तो आने वाले समय में उनके लिए राजनीतिक भविष्य अंधकारमय हो सकता है। अब कोरबा की जनता अपने अधिकारों के लिए उठ खड़ी हो चुकी है और वह किसी भी तरह की धोखाधड़ी के खिलाफ लड़ने के लिए तैयार है।

 

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