August 30, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
मुख्यमंत्री साय ने नगर पालिका जशपुर को दिया बड़ा विकास उपहारबीजापुर बाढ़ में बही लड़कियों की लाश मिली, झाड़ियों से बरामदग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाने शुरू होगा ‘दीदी के गोठ’ रेडियो कार्यक्रमकोरबा में 52 हाथियों का झुंड खेतों में घुसा,50 किसानों की फसल को नुकसानकोरबा डायल-112 चालकों की मांग, नियमित वेतन और सुविधाएंमुख्यमंत्री साय का स्वागत करने जवाहर नगर मंडल के पदाधिकारी बस से रवानाबस्तर में भारी भूस्खलन: सरगीगुड़ा पहाड़ समतल; जनहानि नहींमुख्यमंत्री विष्णुदेव साय अपना विदेश दौरा ख़त्म कर स्वदेश लौट आये..नारायणपुर में नक्सलियों के खिलाफ बड़ी कार्रवाई: सुरक्षा बलों ने बरामद किए 300 से अधिक हथियार और विस्फोटक सामग्रीलोक सेवा आयोग ने मूल्यांकन प्रक्रिया पर उठाए गए सवालों को किया खारिज
रोचक तथ्य

जानें भाई दूज का महत्व और पूजन विधि

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

भाई दूज या भैया दूज का त्योहार भाई-बहन के अपार प्रेम और समर्पण का प्रतीक है। भाईदूज का त्योहार कार्तिक मास की द्वितीया को मनाया जाता है। यह त्योहार भाई बहन के स्नेह को सुदृढ़ करता है। यह त्योहार दीवाली के दो दिन बाद मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने भाइयों को घर पर आमंत्रित कर उन्हें तिलक लगाकर भोजन कराती हैं। वहीं, एक ही घर में रहने वाले भाई-बहन इस दिन साथ बैठकर खाना खाते हैं। मान्यता है कि भाईदूज के दिन यदि भाई-बहन यमुना किनारे बैठकर साथ में भोजन करें तो यह अत्यंत मंगलकारी और कल्याणकारी होता है।
इसे यम द्वितीया भी कहा जाता है
भाईदूज को यम द्वितीया भी कहा जाता है। इस दिन मृत्यु के देवता यम की पूजा का भी विधान है। भाईदूज पर बहनें भाई की लम्बी आयु की प्रार्थना करती हैं। इस दिन को भ्रातृ द्वितीया भी कहा जाता है। इस पर्व का प्रमुख लक्ष्य भाई तथा बहन के पावन संबंध एवं प्रेमभाव की स्थापना करना है।भाईदूज के दिन बहनें रोली एवं अक्षत से अपने भाई का तिलक कर उसके उज्ज्वल भविष्य के लिए आशीष देती हैं। साथ ही भाई अपनी बहन को उपहार देता है।
पूजन और मान्यताएं
भाई दूज के दिन भाई की हथेली पर बहनें चावल का घोल लगाती हैं उसके ऊपर सिन्दूर लगाकर कद्दू के फूल, पान, सुपारी मुद्रा आदि हाथों पर रखकर धीरे धीरे पानी हाथों पर छोड़ते हुए कहती हैं जैसे ‘गंगा पूजे यमुना को यमी पूजे यमराज को, सुभद्रा पूजा कृष्ण को, गंगा यमुना नीर बहे मेरे भाई की आयु बढ़े’। इस दिन शाम के समय बहनें यमराज के नाम से चौमुख दीया जलाकर घर के बाहर रखती हैं। इस समय ऊपर आसमान में चील उड़ता दिखाई दे तो बहुत ही शुभ माना जाता है। माना जाता है कि बहनें भाई की आयु के लिए जो दुआ मांग रही हैं उसे यमराज ने कुबूल कर लिया है या चील जाकर यमराज को बहनों का संदेश सुनाएगा।
बेरी पूजन का रिवाज
भाई दूज के दिन बहनें बेरी पूजन भी करती हैं। इस दिन बहनें भाइयों को तेल मलकर गंगा यमुना में स्नान भी कराती हैं। इस दिन गोधन कूटने की प्रथा भी है। गोबर की मानव मूर्ति बनाकर छाती पर ईंट रखकर स्त्रियां उसे मूसलों से तोड़ती हैं। स्त्रियां घर-घर जाकर चना, गूम तथा भटकैया चराव कर जिव्हा को भटकैया के कांटे से दागती भी हैं।
भाई दूज का त्योहार देश भर में धूम-धाम से मनाया जाता है। हालांकि इस पर्व को मनाने की विधि हर जगह एक जैसी नहीं है। उत्तर भारत में जहां यह चलन है कि इस दिन बहनें भाई को अक्षत और तिलक लगाकर नारियल देती हैं वहीं पूवीर् भारत में बहनें शंखनाद के बाद भाई को तिलक लगाती हैं और भेंट स्वरूप कुछ उपहार देती हैं। मान्यता है कि इस दिन बहन के घर भोजन करने से भाई की उम्र बढ़ती है।
बिहार में भाईदूज पर एक अनोखी परंपरा निभाई जाती है। इस दिन बहनें भाइयों को डांटती हैं और उन्हें भला बुरा कहती हैं और फिर उनसे माफी मांगती हैं। दरअसल यह परंपरा भाइयों द्वारा पहले की गई गलतियों के चलते निभाई जाती है। इस रस्म के बाद बहनें भाइयों को तिलक लगाकर उन्हें मिठाई खिलाती हैं।
पौराणिक कथा के अनुसार भाईदूज के दिन ही भगवान श्री कृष्ण नरकासुर राक्षस का वध कर द्वारिका लौटे थे। इस दिन भगवान कृष्ण की बहन सुभद्रा ने फल,फूल, मिठाई और अनेकों दीये जलाकर उनका स्वागत किया था। सुभद्रा ने भगवान श्री कृष्ण के मस्तक पर तिलक लगाकर उनकी दीघार्यु की कामना की थी। इस दिन से ही भाई दूज के मौके पर बहनें भाइयों के माथे पर तिलक लगाती हैं और बदले में भाई उन्हें उपहार देते हैं।

Related Articles

Check Also
Close