June 27, 2025 |

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छत्तीसगढ़

अन्य दिव्यांगों के लिए मिसाल बना कुम्भकरण साहू

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मनरेगा के तहत ले रहे शासन की योजनाओं का लाभ

धमतरी । आजकल दिव्यांगता कोई अभिशाप नहीं, बल्कि उनकी कला, योग्यता और हुनर को उजागर करने का जमाना है। आज के जमाने में दिव्यांग हर चुनौति का सामना सामान्य लोगों की ही तरह करते हैं। वजह है इन्हें भी अन्य लोगों की तरह शासन की सभी योजनाओं का लाभ मिल रहा है। ऐसा ही एक पैर एवं एक हाथ से दिव्यांग हैं कुम्भकरण साहू पिता स्व. कन्हैया राम साहू उम्र 36 वर्ष, निवासी भैंसबोड़ की जिन्होंने कदम-कदम पर चुनौती का सामना करते हुए जीवन निर्वाह के लिए राह को आसान बनाया। ये सब महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत मेट का काम करते हुए हुआ। मनरेगा योजना से ही काम का मिला सहारा। इस तरह कुम्भकरण साहू दूसरों के लिए बना प्रेरणा।

 जनपद पंचायत कुरूद के ग्राम पंचायत भैंसबोड़ की दिव्यांग ने आत्मनिर्भर बनने की ठानी और अब मेट के रूप में काम करते हुए नियोजित श्रमिकों को योजना में सहभागिता बढ़ाने का गुर सिखा रहे हैं। इस संबंध में कुम्भकरण साहू ने बताया कि सितंबर 2020 में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत कुरूद महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना अंतर्गत गांव में चल रहे कार्यों का निरीक्षण करने आए थे। निरीक्षण के दौरान ही मुख्य कार्यपालन अधिकारी जनपद पंचायत ने कुम्भकरण साहू को मनरेगा योजना में मेट के रूप में काम करने के लिए प्रेरित किया। साथ ही कुम्भकरण साहू को मोबाइल मॉनिटरिंग सिस्टम की जानकारी दिये तथा  कार्यक्रम अधिकारी को पंजीयन कराने के निर्देश दिए। पंजीयन उपरांत कुम्भकरण साहू का चयन मेट के रूप में किया गया। आगे उन्होंने यह भी बताया कि योजनांतर्गत एक वित्तीय वर्ष में 10 हजार से 12 हजार रूपये की आमदनी अर्जित करते हुए परिवारिक जिम्मेदारी को बखूबी निभा रहे हैं।


इस संबंध में कार्यक्रम अधिकारी श्रीमती कुंती देवांगन ने बताया कि-मेट के रूप में कुम्भकरण साहू ने दायित्व संभाला और नियोजित श्रमिकों को मनरेगा योजना में कार्य करने के लिए सहभागिता बढ़ाने, अधिक से अधिक ग्रामीण श्रमिकों को कार्य उपलब्ध कराने, मोबाइल एन.एम.एम.एस. एप्प के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने का उल्लेखनीय कार्य भी किया है। उनकी पत्नी श्रीमती लोकेश्वरी साहू भी मूकबधिर है। मनरेगा कार्य के पश्चात कुम्भकरण गांव में एक छोटी सी पान दुकान संचालित कर जीवन यापन कर रहे हैं।

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