August 1, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
बिलासपुर में आर्किटेक्ट फर्जीवाड़ा : 10 साल से चल रहा था नक्शा पासिंग का खेल, असली खुलासा अब हुआASI का भ्रष्ट खेल उजागर: रिश्वत लेकर आरोपी को लौटाया जब्त मोबाइल, कोर्ट आदेश को दिखाया ठेंगा — शिकायत करने पर दी धमकी, ऑडियो वायरलमहिला अधिकारी ने डीएमसी के खिलाफ की थी झूठी शिकायत ! प्रशासन की जांच में आरोप पाए गए गलत, किसके शह पर बिछाए गए थे मोहरे पढ़िए पूरी रिपोर्ट…शोक समाचार :  पत्रकार एवं छत्तीसगढ़ अखबार वितरक संघ के प्रदेश अध्यक्ष विनोद सिन्हा नहीं रहेONC BAR पर प्रशासन की चुप्पी पर उठा विवाद, विश्व हिंदू परिषद ने जताई नाराज़गीबिलासपुर कलेक्टर की अनुकरणीय पहल – पशु व जनहित में सराहनीय कदमसीएम साय ने किया ‘गौ विज्ञान परीक्षा अभियान 2025’ का शुभारंभग्रीन उद्यम की परिकल्पना को साकार करने साय सरकार दे रही विशेष पैकेज: उद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगनबालको महिला मंडल ने धूमधाम से मनाया तीज महोत्सव“जब कोई साथ नहीं होता… तब ‘आगाज़ इंडिया’ साथ होता है” ‘आख़िरी सफर’ — एक संवेदनशील और मानवीय पहल
छत्तीसगढ़

कृषि विज्ञान केन्द्र ने किसानों को दी गई मौसम आधारित कृषि सलाह

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

राजनांदगांव । बारिश का मौसम शुरू होते ही जिले के किसान खेती-किसानी के कार्य में जुट गए हैं। कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव द्वारा किसानों को खरीफ में विभिन्न फसलों में आने वाली मौसम आधारित कृषि सलाह दी गई है। 

कृषि विज्ञान केन्द्र राजनांदगांव की वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा ने किसानों को धान फसल में सीधी बुवाई एवं कतार बोनी की अवस्था अपनाने की सलाह दी है। उन्होंने कहा कि किसान धान की बुवाई कतारों में करें। कतार बोनी धान में बुवाई के 3 दिन के भीतर अंकुरण पूर्व प्रस्तावित नींदानाशक जैसे- प्रेटिलाक्लोर 50 प्रतिशत ईसी 600 मिली प्रति ग्राम अथवा पायरेजोसल्फ्युराँन 10 प्रतिशत डब्ल्यूपी 80 मिली प्रति ग्राम इत्यादि का छिड़काव करें। तैयार समतल खेत में ट्रेैक्टर चलित सीड ड्रिल, इंदिरा सीड ड्रिल, नारी हल, भोरमदेव या देशी हल के पीछे 20 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बीज बोए। बीज की गहराई 3-4 सेंटीमीटर से अधिक नहीं हो। बुवाई के पूर्व सीड ड्रिल को बीज की अनुशंसित मात्रा के लिये समायोजित अथवा अन्शाकित करके ही बोएं। 20 सेंटीमीटर की दूरी पर कतारों में बीज बोए। छिड़काव बियासी विधि अंतर्गत 100-120 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर एजोस्पाइरिलम तथा पीएसबी कल्चर से 5-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर उपचारित कर बुवाई करें। उन्होंने बताया कि रोपण विधि में धान की रोपाई वाले कुल क्षेत्र के लगभग 1/10 भाग में नर्सरी तैयार करें। इसके लिए मोटा धान वाली किस्मों की मात्रा 50 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर या पतला धान की किस्मों की मात्रा 40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से बीज डालें।

वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख डॉ. गुंजन झा ने सोयाबीन फसल में सीधी बुवाई एवं कतार बोनी अवस्था अंतर्गत बीज की हमेशा पंक्तियों में 30 सेमी की दूरी पर बोना चाहिए। पौधे से पौधे का अन्तर 7-10 सेमी रखना चाहिए। बीजोपचार राइजोबियम कल्चर 5 ग्राम एवं पीएसबी 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार कर बुवाई करें। खाद की मात्रा 20-25 किलोग्राम नत्रजन, स्फुर 60-80 किलोग्राम एवं पोटाश 30-40 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। अरहर फसल में सीधी बुवाई एवं कतार बोनी अवस्था अंतर्गत शीघ्र पकने वाली किस्मों में कतारों की दूरी 60 सेमी व पौधे की दूरी 15 सेमी की रखी जाती है। तदनुसार मध्यम अवधि वाली फसल को 90 व 20 सेमी की दूरी लगाया जाता है। बीजोपचार राइजोबियम कल्चर 5 ग्राम एवं पीएसबी 10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार कर बुवाई करें। खाद की मात्रा 20-25 किलोग्राम नत्रजन, स्फुर 45-50 किलोग्राम एवं पोटाश  15-20 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। 

मूंगफली फसल में सीधी बुवाई एवं कतार बोनी अवस्था अंतर्गत मूंगफली का बीज दर 120-140 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से, कतार से कतार की दूरी 30-40 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 8-10 सेमी पर बुवाई करें। बीजोपचार ट्राइकोडर्मा 5-10 ग्राम, राइजोबियम कल्चर 5-10 ग्राम एवं पीएसबी 5-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचार कर बुवाई करें। खाद की मात्रा 20-30 किलोग्राम नत्रजन, स्फुर 50-60 किलोग्राम एवं पोटाश 20-25 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें। मक्का फसल मे सीधी बुवाई एवं कतार बोनी अवस्था अंतर्गत कतार से कतार की दूरी 60-75 सेमी एवं पौधे से पौधे की दूरी 20-25 सेमी होनी चाहिए। मध्यम एवं देर से पकने वाली किस्मों को 75325 सेमी कतार से कतार व पौधे से पौधे के अंतरण में लगाना चाहिए। खाद की मात्रा 80 किलोग्राम नत्रजन, स्फुर 50 किलोग्राम एवं पोटाश 30 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।

वर्षाकालीन सब्जी वाली फसलों के तैयार पौधों का रोपण करें। कद्दूवर्गीय, लौकी, करेला इत्यादि बेल वाली फसलों को बाड़ी में लगाएं तथा उसके लताओं को चढ़ाने हेतु सहारा दें। सीधे बुवाई वाली सब्जियों के उन्नत किस्मों की व्यवस्था कर लें एवं योजना अनुसार खेत तैयार कर बोनी करें। किसान साग-सब्जी लगे खेतों में उचित जल निकास की व्यवस्था करें। पपीता के पौधों को पालीबेग से निकालकर मुख्य: खेत में लगाए। पपीता के उपयुक्त किस्म पूसा नन्हा, पूसा डवार्फ का चयन किसान कर सकते हैं। साथ ही नए फल वृक्षों को लगाने का कार्य आरंभ करें। बगीचों के निकास नालियों की मरम्मत कर ठीक कर लें। अदरक, हल्दी, जिमीकंद व अरबी की रोपित फसल में पलवार (मल्चिंग) करें और जल निकास की व्यवस्था करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close