कोरबा: खून से लाल हो रही सड़कें, पुलिस ने डाले घुटने!
बीच शहर में हत्या के 24 घंटे बाद अब ग्रामीण को मारी गोली!
कोरबा में कानून-व्यवस्था पूरी तरह दम तोड़ चुकी है। अपराधियों के हौसले इतने बुलंद हैं कि रविवार रात ज्वेलर्स की घर में घुसकर हत्या की गूंज अभी थमी भी नहीं थी कि सोमवार को कोरबा के सरहदी इलाके कोरबी में गोली चल गई। अब शहर के हर कोने में दहशत का सन्नाटा है। लोग पुलिस को कोस रहे हैं और अपराधियों के आतंक से डर के साये में जीने को मजबूर हैं।
उप सरपंच के साथी को मारी गोली
कोरबी पुलिस चौकी के अंतर्गत ग्राम कोरबी में उप सरपंच अपने साथी कृष्णा पाण्डेय पिता सुमन पाण्डेय (31) के साथ बाइक पर घर लौट रहे थे। बाइक से कहीं जाने वाले थे लेकिन गाड़ी स्टार्ट नहीं होने से किक मार रहे थे। गाड़ी स्टार्ट होते ही अचानक पीछे से गोली चली। पहले तो उप सरपंच ने इसे मामूली आवाज समझा, लेकिन जब पीछे मुड़कर देखा, तो उनका साथी खून से लथपथ जमीन पर तड़प रहा था। गोली उसकी रीढ़ की हड्डी में जा फंसी।
घायल कृष्णा को कटघोरा के जीवांश अस्पताल ले जाया गया, लेकिन हालत गंभीर होने के कारण उसे बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल रेफर करना पड़ा। डॉक्टरों ने साफ कहा कि गोली रीढ़ में गहराई तक फंसी है और जान को खतरा बना हुआ है।
अपराधियों के सिर चढ़ा खौफ, पुलिस मूकदर्शक
शहर में खुलेआम हो रही वारदातें बताती हैं कि अपराधी बेखौफ हैं और पुलिस मूकदर्शक बनकर तमाशा देख रही है। जनता में गुस्सा उबाल पर है। लोग कह रहे हैं, “पुलिस का काम सिर्फ कागजों में केस दर्ज करना रह गया है। सड़क पर अपराधी राज कर रहे हैं।”
क्या अब पुलिस सिर्फ तमाशबीन है?
पिछले कुछ महीनों में कोरबा का हाल ऐसा हो गया है कि यहां सुरक्षा नाम की चीज खत्म हो चुकी है। रविवार की रात एक ज्वेलर्स की घर में हत्या और सोमवार को गोलीकांड ने साबित कर दिया है कि पुलिस का खौफ अपराधियों के लिए अब मजाक बन चुका है। इससे पहले एक सड़क दुर्घटना के बाद अचानक बीच शहर में दो ट्रक को आग लगा दी गई। ये तमाम घटनाएं कानून के खौफ कम होने की ओर इशारा कर रही है।
हालांकि आज हुई घटना में पीड़ित को किस बंदूक से गोली मारी गई है इसका खुलासा नहीं हो सका है। गोली के निशान देख दावा किया जा रहा है कि हमला एयरगन से हुआ है लेकिन बावजूद इसके इस जानलेवा हमले का अपराधी अब भी खुली हवा में सांस ले रहा है। फिलहाल सबकी निगाहें पुलिस की कार्रवाई पर टिकी है कि कितनी जल्दी पुलिस अपराधी को सलाखों के पीछे पहुंचाने में कामयाब हो पाती है।