
कोरबा। जिसकी जुबान में लोगों की आवाज सुनाई दे और जो जनता के दुख दर्द को समझे, उसे ही जनप्रतिनिधि का खिताब दिया जाता है। पर कोरबा की सांसद मैडम ने तो जैसे निष्क्रिय होने का एक नया खिताब कमाया ही, पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल की पॉपेट की तरह उन्हीं की बोली बोलती रहीं और एक पॉपेट सांसद के रूप में पूरे पांच साल गुजार दिए। खुद ही अपना कीमती वोट देकर मौका देने वाली जनता उनका इंतजार करते निराश बैठी रही पर एक बार जो जीती, फिर सांसद मैडम ने अपने भाग्य विधाताओं के दरवाजे की ओर कभी मुड़कर नहीं देखा। अब एक बार फिर वह उनके दरवाजे पर खड़ी हैं और जनता यही सवाल कर रही है कि आखिर वे इतने बरस कहां थीं, जब उन्हें उनकी जरूरत थी।
अपने अधूरे वादों का पिटारा लेकर सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत एक बार कोरबा लोकसभा की जनता के बीच दौरे पर जुटी हैं। क्षेत्र की जनप्रतिधि होने की हैसियत से जब पांच साल बाद वोट की गुहार लगाने कोई नेता जनता के दरवाजे पर दस्तक देता है तो उसने उनके लिए क्या किया, यही लेखा जोखा आगे उनकी तकदीर तय करता है। भले ही कोरबा में सांसद कांग्रेस की रही पर केंद्र सरकार ने बिना की भेद भाव कोरबा के लिए मेडिकल कॉलेज, ईएसआईसी अस्पताल, हर घर नल, मॉडल रेलवे स्टेशन और चमचमाती नेशनल हाइवे जैसी सैगातें बिना मांगे ही जनता के लिए समर्पित की। पर कोरबा की कांग्रेसी सांसद गिनाने के लिए ऐसी कोई सौगात पेश न कर सकीं, जिससे वे लोगों की सराहना की पात्र बन सकें। आज जब रिपोर्ट कार्ड दिखाने की बात आन पड़ी, तो सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत कहती फिर रहीं कि क्षेत्र विकास और जनहित के मुद्दे पर कांग्रेस पार्टी तत्पर है। पर न्याय का मुद्दा लेकर चल रहीं सांसद मैडम पांच साल अनवरत किए खुद के अन्याय के बारे में कुछ कहने को तैयार नहीं। यही सोच उन्होंने अपनी सांसदी के बीते पांच वर्षों में दिखाई होती तो कोरबा की तस्वीर कुछ और ही नजर आती। उन्हें अब जनता जनार्दन के सवाल का जवाब देना होगा कि एक बार तो चुनकर उन्हें दिल्ली भेज कर देख लिया और अब भला उन्हें दोबारा मौका देने की गलती वह क्यों करे?
जनता की आवाज नहीं, पूर्व मंत्री जयसिंह की बोली बोलती रहीं
जब लोग अपना नेता, अपना जन प्रतिनिधि चुनते हैं तो उन्हें यह भरोसा होता है कि वह उनके दुख दर्द को अपनी पीड़ा समझेगा। उन्हें दूर करने के जतन करेगा और जरूरतों को पूरा करेगा। कुछ और न कर सके तो कम से कम उनकी मुखर आवाज बनकर सरकार को जगाएगा, ताकि जनता का कल बेहतर किया जा सके। इस अपेक्षा के विपरीत कोरबा की मौजूदा सांसद श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत ने चुनाव जीतने के बाद से पांच साल यूं गुजार दिए, जैसे वह कभी कोरबा की थी ही नहीं। और जब कोई उनसे मिलने की उम्मीद में जनता के हाथ कुछ लगा, तो वह सिर्फ उनका कभी न खत्म होने वाला इंतजार। क्षेत्र की मांग दिल्ली पहुंचने की बजाय उन्होंने जब भी कुछ कहा, उनके मुख से पूर्व मंत्री की आवाज आई। ठीक उसी तरह जैसे नगर निगम मेयर राजकिशोर प्रसाद पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के हाथों से कंट्रोल होने वाली कठपुतली की भूमिका पिछले चार साल से बखूबी निभाते आ रहे हैं।
सत्ता का मोह ऐसा, साहेब ने बदल लिया क्षेत्र, पत्नी जी को सौंप गए कोरबा की कुर्सी
सांसद मैडम ने चुनाव पूर्व किए वादे निभाने की कोशिश तो दूर पांच साल की सांसदी में क्षेत्र के लिए कुछ न कर पाने वाली निष्क्रिय सांसद ज्योत्सना की खाली झोली में डॉ चरण दास महंत के नाम के सिवा बताने के लिए कुछ भी नहीं है, जिनके दिल से मानों सत्ता का मोह ही नहीं छूट रहा है। तभी तो, नेता प्रतिपक्ष ने विधानसभा क्षेत्र तो बदल लिया पर कोरबा संसदीय क्षेत्र की कुर्सी अपनी धर्मपत्नी को सौंप गए। दशकों तक कांग्रेस पार्टी की सेवा कर कभी सांसद तो कभी विधायक की कुर्सी पर काबिज रहे डॉ चरण दास महंत को भुगत चुकी कोरबा की जनता ने नकार दिया। पर कुर्सी का मोह ऐसा कि उन्होंने यहां से रूकसती लेकर सक्ति विधानसभा पर कब्जा कर लिया। पर जाते जाते कोरबा अपनी पत्नी श्रीमती ज्योत्सना चरण दास महंत के हवाले कर गए।