February 22, 2025 |
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जयसिंह के खास सिपहसलार पार्षद रवि चंदेल को लगा तगड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

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जयसिंह के खास सिपहसलार पार्षद रवि चंदेल को लगा तगड़ा झटका, हाईकोर्ट ने खारिज की याचिका

हाईकोर्ट ने कहा – प्रशासनिक फैसलों में न्यायालय का हस्तक्षेप उचित नहीं

कोरबा। नगर निगम कोरबा के वार्ड क्रमांक-3 के पार्षद रवि चंदेल को हाईकोर्ट बिलासपुर से बड़ा झटका लगा है। सड़क चौड़ीकरण के मामले में उनकी ओर से दायर याचिका को न्यायाधीश सचिन सिंह राजपूत ने सुनवाई के बाद खारिज कर दिया।

मामला क्या था?

रवि चंदेल ने राताखार चौक से नहर पुल तक 800 मीटर सड़क चौड़ीकरण के लिए अभ्यावेदन दिया था। उनका दावा था कि 15वें वित्त आयोग के तहत राशि जारी होने के बावजूद नगरीय प्रशासन विभाग और नगर निगम आयुक्त ने सड़क चौड़ीकरण की कार्रवाई नहीं की। मामले को लेकर उन्होंने न्यायालय में रिट याचिका दायर की थी।

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निगम ने दिया ये जवाब

नगर निगम आयुक्त की ओर से अधिवक्ता डॉ. सुदीप अग्रवाल ने पक्ष रखते हुए बताया कि यह क्षेत्र घनी आबादी वाला है और सड़क पहले ही एक निश्चित सीमा तक चौड़ी हो चुकी है। निगम ने आसपास के निवासियों की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए इसे और चौड़ा न करने का फैसला किया है। उन्होंने यह भी कहा कि इस संबंध में राज्य सरकार को सूचित कर दिया गया है।

हाईकोर्ट का निर्णय

न्यायाधीश ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद कहा कि यह मामला न्यायालय के हस्तक्षेप के योग्य नहीं है। उन्होंने स्पष्ट किया कि प्रशासनिक फैसलों में अदालत तभी दखल दे सकती है, जब यह जनहित या संवैधानिक अधिकारों का उल्लंघन हो। इसके साथ ही न्यायालय ने याचिका खारिज कर दी।

राजनीतिक झटका या प्रशासनिक मामला?

इस फैसले को रवि चंदेल और उनके राजनीतिक करियर के लिए एक बड़ा झटका माना जा रहा है। पहले इस मामले में कांग्रेसी महापौर राजकिशोर प्रसाद को कार्य कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। जिसके बाद एमआईसी से पास कर पिछले साल प्रस्ताव राज्य को भी भेजा गया था, जिससे राखड़ पाटी जमीन को समतल करने का काम किया गया था।

राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि जयसिंह अग्रवाल के करीबी माने जाने वाले रवि चंदेल को यह हार स्थानीय राजनीति में कमजोर कर सकती है। वहीं, निगम का यह फैसला प्रशासनिक दृष्टिकोण से सही ठहराया गया है।

यह देखना दिलचस्प होगा कि इस झटके के बाद पार्षद रवि चंदेल और जयसिंह अग्रवाल की राजनीतिक रणनीति में क्या बदलाव आता है।

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