March 12, 2025 |

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छत्तीसगढ़

IPS मुकेश गुप्ता, रजनेश सिंह FIR मामले में केस दर्ज करने वाले TI ने कोर्ट में कहा – जबरदस्ती दर्ज कराया गया केस, मेरी जान को खतरा है

Gram Yatra Chhattisgarh
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डीजी मुकेश गुप्ता और नारायणपुर एसपी रजनेश सिंह के खिलाफ ईओब्लू द्वारा दर्ज मामलेेे में एक बड़ा टर्न आ गया है। ईओडब्लू के इंस्पेक्टर आरके दुबे के बयान के आधार पर दोनों आईपीएस अफसरों के खिलाफ फोन टेप करने और नान मामले में फर्जीवाड़ा करने के लिए विभिन्न धाराओं में अपराध दर्ज किया गया, इंस्पेक्टर दुबे ने कोर्ट में शपथ पत्र देकर चौंका दिया है कि उससे जबर्दस्ती बयान लिया गया।

मामला है एक FIR का..FIR कहती है कि, कि नान घोटाले से जूड़े प्रकरण क्रमांक 9/2015 की जाँच के दौरान इस आशय के साक्ष्य मिले कि मूल शिकायत पत्र के दिनांक और आर रजिस्टर में कूट रचना की गई, और यह कूट रचना एसीबी में पदस्थ तत्कालीन निरीक्षक आर के दुबे ने की..

FIR यह ब्यौरा देती है कि आर के दुबे ने यह बताया है कि,यह कूट रचना उनसे एफआईआर में आरोपी के कॉलम में दर्ज मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह ने धमकी देकर कराई, ताकि वे दोनो विधिविरुद्ध की गई फोन टैपिंग को वैध करा लें।

यह FIR सात फ़रवरी को दर्ज की गई है..वक़्त दर्ज है 20.35 याने शाम आठ बजकर पैंतीस मिनट.।
लेकिन इस FIR के दर्ज होने के पहले.. सात फ़रवरी को ही जिस न्यायालय में नान मसले की सुनवाई चल रही है वहाँ एक शपथ पत्र जमा होता है..यह शपथ पत्र उसी आर के दुबे का है जिनके अहम बयान के आधार पर FIR मे यह तथ्य स्थापित होता है कि, मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह ने अपराध कारित किया।

यह शपथ पत्र अठारह बिंदुओं का है..जिसमें यह तथ्य दिए गए हैं कि
“पाँच फ़रवरी को आईजी कल्लुरी,एसपी इंदिरा कल्याण एलिसेला, एन एन चतुर्वेदी,वकील त्यागी, संजय देवस्थले, नवनीत पाटिल मौजुद थे और मुझे बुलाया गया, मुझे वकील त्यागी ने रजिस्टर दिखाया दिखाया गया और मुझसे पूछा गया यह एंट्री किसकी है, मैने कहा यह मेरी एंट्री है और मैने देखा कि उसमें सफ़ेदा लगा हुआ था,यह मैने उस रजिस्टर में पहली बार देखा, जिससे यह प्रतीत हो रहा था कि एंट्री बैक डेट से की गई,

इन लोगो के द्वारा नान प्रकरण के साक्षियों और साक्ष्य को दूषित करने के उद्देश्य से कार्यवाही की जा रही है,क्योंकि सफेदा किसने लगाया कब लगाया मुझे जानकारी नही है, और मैने उसके पहले कभी उस पर सफेदा लगा देखा ही नही”
यह शपथ पत्र उल्लेख करता है

“मेरा मोबाईल बंद करा दिया गया और मुझे कहा गया कि जैसा कह रहे हैं वैसा लिख कर दो वर्ना फँस जाओगे.आपके उपर एफआईआर होगी..हम जैसा बोल रहे हैं वैसा लिखकर दो तो व्हीसल ब्लोअर की तरह बचा लेंगे. मुझे घेरकर दबावपूर्वक भयाक्रांत कर लिखवाया गया.. मुकेश गुप्ता और रजनेश सिंह के लिए जब लिखवाने लगे तो मैने कहा भी मत लिखवाइए पर मुझे धमकाया गया..और लिखवाया गया..और रात साढ़े दस बजे छ घंटे रोके रखने के बाद छोड़ा गया”
शपथ पत्र के कॉलम क्रमांक 15 मे दर्ज है कि

“सभी इंटरसेप्शन की अनुमति विधिअनुरुप संबंधित कार्यालय से प्राप्त की गई है, जिसके संबंधित दस्तावेज संबंधित कार्यालय में उपलब्ध होंगे”
इस शपथ पत्र में यह भी उल्लेखित है कि आखिर वो क्या ऐसा बिंदु था जिसमें कथित तौर पर आर के दुबे दबाव मे आ गए थे..यह शपथ पत्र स्पष्ट करता है कि आर के दुबे ACB मे 5 दिसंबर 2014 को अभिलेखों के अनुसार आए लेकिन उन्होने ही आर रजिस्टर में शिकायत इंद्राज किया और जिस दिन इंद्राज किया उस दिन तारीख़ थी 4 दिसंबर याने ज्वाईनिंग के पहले।

शपथ पत्र के क्रमांक 9 और 14 में यह उल्लेख मिलता है कि आर के दुबे ने इसे स्वीकारा है और यह उल्लेखित किया है कि शासन के आदेश की प्रत्याशा में आर के दुबे काम करना शुरु कर चुके थे, और यह प्रविष्ठी उन्होने ही की, इसमें कोई दबाव नही था, और इसके बाद इस प्रकरण से जूड़े अन्य अभिलेख भी उन्होने संधारित किए।
इस शपथ पत्र के साथ डीजीपी को संबोधित एक पत्र भी है जिसमें लिखा गया है
“विशेष टीम के द्वारा दबावपूर्वक कुछ दस्तावेज तैयार किए गए हैं, जिसकी सूचना मैने विशेष न्यायालय को दी है..मेरे उपर की जा रही दबावपूर्वक कार्यवाही से मेरी रक्षा करें और मेरे तथा मेरे परिवार को सुरक्षा दें”

जो शपथ पत्र न्यायालय को संबोधित है उसमें भी लिखा गया है कि इस शपथ पत्र के बाद साक्षी को झूठे प्रकरण में फँसाया जा सकता है, जान से मारा जा सकता है अथवा उसके परिवार को क्षति पहुँचाई जा सकती है। उसे सुरक्षा दिए जाने के आदेश दिए जाएँ।
इस रिपोर्ट के आखिर में दो तीन बातें और .. सुबह रजनेश सिंह से बात की थी ..उन्होने केवल इतना कहा
“मैं स्तब्ध हूँ..”

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