August 2, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
उपभोक्ताओं को मिलेगी हर 30 मिनट की बिजली खपत की जानकारीअब गांजा पीने वाले भी जाएंगे जेल, रायपुर पुलिस ने शुरू की कार्रवाईधारासिव के पनखत्ती तालाब में मिला अज्ञात भ्रूण, इलाके में सनसनी11 लाख की लूट निकली फर्जी: कर्ज से उबरने रची थी साजिश, आरोपी गिरफ्तारउद्योग मंत्री श्री लखन लाल देवांगन को 14419 सदस्य बनाने पर मुख्यमंत्री और भाजपा प्रदेश अध्यक्ष ने किया सदस्यता रत्न सम्मान से सम्मानितकलेक्टर ने वनांचल ग्राम खोभा, जोब एवं पंडरापानी का किया सघन निरीक्षणनहर में डूबने से युवक की मौतलाखों के गांजे के साथ अंतर्राज्यीय तस्कर सुभाष तिवारी गिरफ्तारधर्मांतरण और मानव तस्करी के आरोप में गिरफ्तार ननों को मिली जमानतकोरबा पुलिस की क्राइम मीटिंग: अपराध नियंत्रण और यातायात व्यवस्था पर जोर
छत्तीसगढ़

सुकमा जिले में धान के खेतों में पत्ती मोड़क कीट (सोरटी) का प्रकोप

कृषि वैज्ञानिकों ने बताए नियंत्रण व उपचार के प्रभावी उपाय

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

रायपुर  राज्य सरकार कृषि विज्ञान केन्द्रों के माध्यम से किसानों को कृषि उपचार के लिए निरन्तर सलाह प्रदान कर रहे हैं। प्रदेश के जिलों में खेती-किसानी में होने वाले बीमारियों को जिलावार चिन्हाकित कर कीटनाशक छिड़काव के बारे में किसानों को जानकारी दी जा रही है। इसी कड़ी में सुकमा जिले के विभिन्न गांवों में धान के खेतों मे पत्ती मोड़क कीट का प्रकोप दिखाई दिया है इसे पत्ति लपेटक या चितरी या सोरटी कहा जाता है। इसके उपचार के लिए कीटनाशक छिड़काव के विधि और तरीके बताए गए हैं।

कृषि विज्ञान केन्द्र, सुकमा के कृषि वैज्ञानिकों ने जिले के मुरतोणडा, पेरमापारा, नीलावरम, तोगपाल, सोनाकुकानार, नयानार, रामपुरम का मैदानी भ्रमण के दौरान धान के खेत में पत्ती मोड़क कीट का प्रकोप पाया गया, इसे पत्ति लपेटक या चितरी या सोरटी कहा जाता है। इस कीट की इल्ली अवस्था फसल को नुकसान पहुंचाती है इस कीट की इल्ली अपने लार द्वारा पत्ती की नोंक को या पत्तियों के दोनों सिरो को चिपका लेती है इस तरह इल्ली इसके अंदर रहकर पत्तियों के हरे भाग (क्लोरोफिल) को खुरच खुरच कर खा जाती है जिसके कारण पत्तियों पर सफेद धारियां दिखाई देती है, जिसकी वजह से पत्तियों में भोजन बनाने  की प्रकिया नहीं हो पाती है। कीट द्वारा ग्रसित पत्तियाँ बाद में सुखकर मुरझा जाती हैं व फसल की बढवार भी रूक जाती हैं। इसके नियंत्रण और उपचार के लिए कृषि वैज्ञानिकों ने प्रभावी उपाय अपनाने किसानों को सलाह दिया। जिनमें खेतों एवं मेड़ों को खरपतवार मुक्त रखें। संतुलित मात्रा में पोषक तत्वों का उपयोग करें। खेतों मे चिडियों के बैठने के लिए टी आकार की पक्षी मीनार लगाए। रात्रि चर कीट को पकड़ने के लिए प्रकाश प्रंपच या लाइट ट्रैप खेतो में लगाए। अण्डे या इल्ली दिखाई देने पर उसे इकट्ठा करके नष्ट करें। कीट से प्रभावित खेतों में रस्सी चलाएं।

कृषि वैज्ञनिकों ने बताया कि बारिश रुकने व मौसम खुला होने पर कोई एक कीटनाशक का स्प्रे काराये। क्लोरोपायरीफास 20 ई.सी. 1250 मि.ली. प्रति हेक्टेयर  या कर्टाफ हाइड्रोक्लोराइड 50रू एस.पी. 1000 ग्राम प्रति हेक्टेयर या क्लोरेटानिलिप्रोएल 18.5: एस.सी. 150 ग्राम प्रति हेक्टेयर या इंडोक्साकार्ब 15.80 प्रतिशत ई.सी.200 मि.ली. प्रति हेक्टेयर का उपयोग करके प्रभावी नियंत्रण कर सकते हैं, ठीक न होने पर 15 दिन बाद दूसरे कीटनाशक का छिडकाव करें और अधिक जानकारी के लिए कृषि विज्ञान केन्द्र के वैज्ञानिकों और कृषि विभाग के अधिकारियों से संपर्क करके ही रासायनिक दवाइयों का उपयोग करें।

 

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close