कोरबा, छत्तीसगढ़: वेदांता के स्थानीय प्रबंधन पर बालको एल्युमिना रिफाइनरी को बिना सरकारी अनुमति के ध्वस्त कर कबाड़ में बेचने का गंभीर आरोप लगा है। इससे सरकार को करोड़ों रुपये के राजस्व का नुकसान हुआ है। जिला इंटक संगठन ने इस मामले को उजागर करते हुए वेदांता प्रबंधन पर कानून का उल्लंघन और भ्रष्टाचार के गंभीर आरोप लगाए हैं।
कानूनी और नैतिक उल्लंघन
1976 में स्थापित बालको एल्युमिना रिफाइनरी को बिना सरकार की अनुमति के ध्वस्त करना न केवल कानूनी उल्लंघन है, बल्कि नैतिकता के खिलाफ भी है। जिला इंटक की प्रेस विज्ञप्ति में उजागर किए गए तथ्यों के अनुसार:
- सर्वोच्च न्यायालय के आदेश का उल्लंघन: माननीय सर्वोच्च न्यायालय के आदेश Case no. (civil) 8 of 2001, Balco Employees Union vs Union of India & ors. में स्पष्ट किया गया था कि बिना अनुमति के कारखाने को बंद करना अवैधानिक है।
- राज्य सरकार का निरस्तीकरण: वर्ष 2015 में बालको प्रबंधन द्वारा SRS को बंद करने का आवेदन राज्य सरकार द्वारा निरस्त कर दिया गया था। इसके बावजूद, रिफाइनरी को ध्वस्त कर दिया गया।
- श्रमिकों का उत्पीड़न: एल्युमिना रिफाइनरी के श्रमिकों के भुगतान और रोजगार से संबंधित मामले माननीय उच्च न्यायालय, बिलासपुर में लंबित हैं, जिन पर अभी तक कोई निर्णय नहीं हुआ है।
- शेयरहोल्डर समझौते का उल्लंघन: स्टरलाइट (वेदांता) और सरकार के बीच हुए समझौते की कंडिका 4.5 एवं आर्टिकल ऑफ एसोसिएशन की कंडिका 73 के तहत किसी भी भाग को बंद करने और बेचने से पहले राष्ट्रपति की अनुमति आवश्यक थी, जो नहीं ली गई।
स्थानीय पार्षद और अधिवक्ता का विरोध
स्थानीय पार्षद और एक अधिवक्ता ने बालको की विस्तार परियोजना के तहत जमीन की गलत जानकारी देने का आरोप लगाया था। उन्होंने शासन को लिखे पत्रों में बताया कि बालको प्रबंधन विस्तार परियोजना की आड़ में एल्युमिना रिफाइनरी को ध्वस्त कर उस जमीन का उपयोग करेगा। लेकिन शासन ने इस शिकायत पर कोई कार्यवाही नहीं की।
वेदांता प्रबंधन पर आरोप है कि उन्होंने कानून और नैतिकता की सभी सीमाओं को पार कर एल्युमिना रिफाइनरी को ध्वस्त कर कबाड़ में बेचकर करोड़ों रुपये की राशि अर्जित की है। यह न केवल कानूनी अनियमितताओं की ओर संकेत करता है, बल्कि गंभीर भ्रष्टाचार की भी बात करता है।
जिला इंटक ने इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की है और दोषियों पर कड़ी कार्रवाई की मांग की है। उन्होंने कहा कि बालको एल्युमिना रिफाइनरी को ध्वस्त करने से न केवल श्रमिकों का रोजगार छिना है, बल्कि इससे जुड़े कानूनों की भी अनदेखी की गई है। जिला इंटक ने यह भी कहा कि यदि इस मामले में सख्त कार्रवाई नहीं की गई, तो यह एक खतरनाक मिसाल कायम करेगा।
बालको कारखाने की विनाश की विडंबना
वर्ष 1976 में स्थापित किए गए बालको कारखाने के अभिन्न भाग एल्युमीना रिफाइनरी का नामोनिशान कोरबा की धरती से अंततः मिटा ही दिया गया। यह तथ्य जांच करने योग्य है कि एल्युमीना रिफाइनरी को बंद करने, ध्वस्त करने और काट कर कबाड़ में बेचकर करोड़ों रुपये अर्जित करने की अनुमति सरकार द्वारा प्राप्त की गई या नहीं। परंतु विकास के लिए विनाश जरूरी है, यह सबक बालको के वेदांता प्रबंधन के अधिकारियों द्वारा कोरबा की जनता को दे दिया गया है। ऐतिहासिक परंपराओं और धरोहरों को ध्वस्त करने के मिशन में वेदांता प्रबंधन के अधिकारियों को एक मेडल और मिल गया है।बालको एल्युमिना रिफाइनरी का अवैध ध्वस्तिकरण न केवल कानूनी और नैतिक मुद्दों को उजागर करता है, बल्कि इससे जुड़े लोगों की भावनाओं और समुदाय पर इसके प्रभाव को भी दर्शाता है। अब समय आ गया है कि संबंधित प्राधिकरण इस पर सख्त कार्रवाई करें और न्याय सुनिश्चित करें।
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