July 31, 2025 |

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छत्तीसगढ़

अगर आपको भी मिला है पट्टा तो जान लीजिए ये सच वरना होगा बड़ा पछतावा,

Gram Yatra Chhattisgarh
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कोरबा। चंद साल पहले एक न्यूज चैनल में एंकर अपराध और अपराधियों से सचेत करने कहता था…”चैन से सोना है तो जाग जाइए।” चुनाव सिर पर है यही वो सही वक्त है, जब आपको जागना ही होगा। नहीं जागे तो यह खबर पढ़ने के बाद आप चाहे कितनी भी गहरी नींद में क्यों न हो, आज जरूर जागेंगे। क्योंकि मामला डेढ़ डिसमिल जमीन पर आपके हक का है। यह मामला प्रदेशभर में चर्चित पट्टे की उस पॉलिटिक्स का है, जिसकी दो धारी तलवार थामें कांग्रेस प्रत्याशी, विधायक और मंत्री जयसिंह अग्रवाल कोरबा की जनता के साथ खेल रहे छल रहे हैं।

यह बात भी जान लीजिए कि पट्टे के इस पॉलिटिक्स में मंत्री जयसिंह की माया है, जो एक बहुत बड़े वर्ग के लिए कोई सौगात नहीं, बल्कि साजिश की ऐसी काली छाया है, जिसमें ज़मीन भी जा सकती है, पट्टा निरस्त हो सकता है या फिर आपके खिलाफ कानूनी कारवाई की जा सकती है। आपके घर आने वाले सेठ जी कर्मियों ने आपसे शपथ पत्र में हस्ताक्षर कराए है।
जिसके सूत्रधार भी प्रदेश का राजस्व मंत्रालय मुट्ठी में रखने वाले खुद जयसिंह अग्रवाल ही हैं। इसे साजिश इसलिए भी कहना होगा, क्योंकि जमीन पर पट्टे का हक पाने की प्यास में आप टर टर कर टर्राने वाले उस मेंढक की ओर बढ़ रहे हैं, जहां पानी ही नहीं, और जिस जमीन पर आप इस वक्त खड़े हैं, चंद महीनों बाद कहीं वह भी पैरों तले खिसाज न जाए। कुछ साल पहले का एक कड़वा अनुभव याद करें, तो समझ जाएंगे कि कैसे एक चुनावी ट्रेन अचानक आई और पटरी से गायब हो गई थी।

एक बार फिर कुछ ऐसा ही सियासी खेल उस वक्त शुरू किया गया, जब मंत्री जयसिंह की सियासत पांचवे साल में आखिरी मोड़ पर पहुंची। अपनी सियासत की रियासत बचाने अचानक डेढ़ डिसमिल जमीन पर आपके हक की वकालत शुरू हो गई और एक ऐसा जाल बुना गया, जो झूठ और फरेब के ताने-बाने में केवल गरीब और मजलूम जनता को उलझा कर रख देने के लिए था।

जी हां, गरीबी और लाचारी से जूझ रहे लोगों को झांसे में लेकर ऐसा वोट बैंक, तैयार किया जा सके, जिसकी ताकत के बूते एक बार फिर यह मंत्री अगले पांच साल अपनी सियासत की दुकान में सोने – चांदी की रोटियां बेलता चला जाए।

खुद के लिए 100 करोड़ का महल, गरीब को इस शर्त पर डेढ़ डिसमिल जमीन !

अब बात करते हैं पट्टे की हकीकत बयां करते तकनीकी पहलुओं की…

भोली भाली जनता की आंखों में पट्टी बांधकर रची गई पट्टे की सियासत में हकीकत ऐसी है, कि चुनावी सीजन गुजरते-गुजरते आपकी वह जमीन भी छिन सकती है, जो आपके परिवार और बच्चों का सबसे बड़ा सहारा है। दरअसल मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने स्थाई होने का झूठ बताकर जो पट्टा बांटा है, उसमें एक कड़ी शर्त भी लागू की गई है। इस पट्टे को देने के साथ एक शपथ पत्र भी लिया गया है, जिसमें यह लिखा है कि 600 वर्ग फीट यानी डेढ़ डिसमिल जमीन पर पट्टे का हक तभी पक्का होगा, जब उसके साथ की काबिज जमीन पर पट्टा धारक नियमितीकरण कराएगा रजिस्ट्री कराएगा अथवा शेष जमीन छोड़ना होगा। अगर ऐसा न किया, तो ऐसे परिवारों को मिला पट्टा निरस्त माना जावेगा व उनके खिलाफ अभियान चलाकर बेदखली की कार्यवाही हो सकती है, इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता। इस कठोर शर्त को पूरा नहीं करने पर कुछ माह बाद कोरबा में बंटा पट्टा खुद ब खुद निरस्त हो जाएगा। पट्टा प्राप्त करने के समय आपके दिए गए शपथ पत्र में तो यही शर्त लिखी हुई है। अगर चार माह के भीतर 600 वर्गफूट मतलब लगभग डेढ़ डिसमिल से ज्यादा ज़मीन का कब्जा नहीं छोड़ा या उस जमीन को सरकार से डेढ़ गुना रेट पर नहीं खरीदा तो पट्टा निरस्त हो जाएगा। फिर पट्टा से संबंधित रिकार्ड मिलने पर हो सकता है कि कब्जा खाली कराने लोकसभा चुनाव के बाद कोई अभियान भी चलाया जाए।
ऐसे में जिस पट्टे को लेकर कथित पट्टा वाले भईया उर्फ छत्तीसगढ़ के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल अपनी पीठ थपथपाते नहीं थक रहे, वह पट्टा सिर्फ चुनावी झुनझुना बनकर रह जाएगा। और आम जनता के लिए जी का जंजाल !

शपथ पत्र में उजागर हो रहा मंत्री का छलावा, कैसे छले जा रहे लोग

ओद्योगिक नगरी कोरबा कई परिवार 50 साल से भी पहले से अपना गांव-घर छोड़ कर पेट पालने रोजगार के लिए आकर रह रहे हैं। उन्होंने ही कोरबा को एक छोटे से गांव से कस्बा और नगर में विकसित किया। ऐसे जरूरतमंद लोगों को वाजिब तौर पर शासन से पट्टा मिलना ही चाहिए, जो गरीब मजदूर परिवार का मौलिक अधिकार भी बनता है।
प्रदेश के प्रथम मुख्यमंत्री स्व अजीत जोगी के समय भी कुछ लोगों को जोगी पट्टा मिला था। पर उसमें भी कुछ सरकारी खामियां रहीं, जो बाद में बेअसर कर दिया गया। इसके बाद कोरबा शहर में माटी मंच के संयोजक स्व. अमरनाथ अग्रवाल ने भी इस मुद्दे को लेकर अपनी आवाज बुलंद की थी। उन्होंने सरकार के समक्ष मसला पहुंचाने, गरीबों को पट्टा दिलाने अनेक आंदोलनों का नेतृत्व भी किया। अब मंत्री जयसिंह के इस आधे अधूरे से पट्टे का वितरण भी राजनीतिक लाभ के लिए ठीक चुनाव के पहले आनन फानन में कर दिया गया है। ना उक्त जमीन का खसरा नंबर दर्शाया गया है ना उक्त जमीन की चौहद्दी दी गई है मतलब साफ है अपने राजस्व मंत्री रहते अपने पद का प्रभाव से फर्जी व यह कहें कि चुनावी प्रलोभन बन कर ही रह गया,, इसमें कानूनी प्रकिया का किसी प्रकार का पालन नहीं किया गया है मतलब सिर्फ झुठ का पुलिंदा है,,
जो मंत्री जी अपने राजनैतिक लाभ के लिए जनता के साथ खेला है, पर इस तरह के शपथ पत्र की शर्त से मंत्री जयसिंह का छलावा और एक बार जनता के साथ हुए छल की झलक साफ होती दिख रही है।

कांग्रेस कार्यकर्ता घर घर गए, अब लोगों को कानूनी पचड़े में फंसाया

शपथ पत्र से यह साबित हो रहा है कि यह सियासी पट्टा और कुछ नहीं सिर्फ चुनावी झुनझुना है। जिन गरीब मजदूर परिवारों को पट्टा दिया जा रहा है या जिन्हें आश्वासन दिया गया है, वह चुनावी रणनीति से ज्यादा कुछ नहीं। इस तरह सरकारी साजिश रच कर इन परिवारों से वह जानकारी जुटाई जा रही है, जिसमें काबिज जमीन का पूरा ब्यौरा सामने होगा। आम लोगों के घर घर जाकर कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जो शपथ पत्र और फार्म भरवाया है, उसके बहाने लोगों को कानूनी पचड़ों में फंसा दिया गया है। उस फार्म में स्पष्ट लिखा है की 600 वर्ग फुट से ज्यादा जमीन है, उन्हें 4 चार महीने के अन्दर नगर निगम में नियमितीकरण या व्यवस्थापन के लिए लगाना अनिवार्य है। नहीं तो निरस्त माना जावेगा,,

आपने शपथ पत्र में स्वीकार किया कि…तो मेरे विरुद्ध कानूनी कार्यवाही करें

“…मैं आवासीय पट्टा निशुल्क प्राप्त करने हेतु 600 वर्ग फुट तक पात्र हूं। अतिरिक्त भू-भाग पर कब्जा होने पर या तो कब्जा छोड़ना पड़ेगा या नियम अनुसार नियमित करण, व्यवस्थापन के आवेदन 4 माह के भीतर नहीं किया तो मैं पट्टा के लिए अपात्र हो जाऊंगा। मैं यह भी जानता हूं कि यदि उक्त संबंध में मेरे द्वारा असत्य या भ्रामक जानकारी दी गई तो पट्टा निरस्त किए जाने के साथ साथ मेरे विरुद्ध कानूनी कार्यवाही भी की जा सकेगी..”

इस शपथ पत्र को देखकर आप समझ ही गए होंगे कि आम गरीब जनता को कैसे गुमराह कर फार्म भरवाया गया। भला क्यों कांग्रेसी कार्यकर्ता घर घर जाकर फार्म व शपथ पत्र जमा करने मदद करने इतने व्याकुल और उत्साहित नजर आ रहे थे। बड़ी मुश्किल से रोजी मजदूरी कर दो वक्त की रोटी की जुगत करने वाले एक गरीब परिवार के लिए भला सरकारी रेट से डेढ़ गुना अधिक यानी लाखों देकर जमीन का पट्टा ले पाना कितना संभव है, इस सवाल का जवाब ढूंढने की जरूरत नहीं। कानूनी दांव पेंच में फंसा कर चुनावी के राजनीति में शहर की जनता फंस गई या जानबूझ कर फंसाया गया? कोरबा विधायक जयसिंह अग्रवाल प्रदेश के राजस्व मंत्री की हैसियत से अगर सचमुच गरीब जनता के हितैषी होते तो उन्हे नियमों के जाल में फंसाने की बजाय बिना किसी शर्त स्थाई पट्टे का बंदोबस्त कर सकते थे।

मंत्री जी की कथनी कुछ करनी कुछ
जिन्हें पट्टा मिल भी गया है वो भी चार महीने में नियमों के तहत निरस्त होना है क्योंकि लगभग परिवारों का घर 600 वर्ग फुट से ज्यादा में है। नियमितीकरण, व्यवस्थापन में लाखों रुपए उनके लिए संभव नहीं। चुनाव में जनता की सहानुभूति पाने के उद्देश्य से ही आचार संहिता लागू होने के कुछ दिन पूर्व ही पट्टा बांटा गया। ताकि भोली भाली जनता से वोट बटोरा जा सके और उन्हें छला जा सके,, जनता सब देख रही है समझ रही है ,,

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