कोरबा: छत्तीसगढ़ के कोरबा जिले में DMF फंड (जिला खनिज न्यास निधि) से जुड़े भ्रष्टाचार का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है। इस बार पूर्व कलेक्टर IAS संजीव झा पर गंभीर आरोप लगे हैं। छत्तीसगढ़ के पूर्व गृहमंत्री और वरिष्ठ आदिवासी नेता ननकीराम कंवर ने सीधे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर इस मामले की CBI जांच की मांग की है। ननकीराम का कद और उनका रिकॉर्ड देखते हुए इस पत्र ने मामले को और गरमा दिया है।
ननकीराम कंवर की छवि एक तेजतर्रार और बेबाक नेता की रही है। उन्होंने पूर्व में PSC घोटाले जैसे कई बड़े मामलों को उजागर किया, जिनकी जांच केंद्रीय एजेंसियां कर रही हैं। ननकीराम के पत्र अक्सर प्रभावशाली साबित हुए हैं, और सरकारों को कार्रवाई के लिए मजबूर किया है। राइस मिलर की परेशानी को लेकर लिखे गए पत्र का असर सबने देखा है।
DMF घोटाले का पुराना इतिहास: रानू साहू और सहायक आयुक्त माया वॉरियर पहले ही जेल में
यह पहला मौका नहीं है जब कोरबा का DMF फंड चर्चा में है। इससे पहले तत्कालीन कलेक्टर रानू साहू (IAS 2010 बैच), सहायक आयुक्त माया वॉरियर, और व्यापारियों संजय शेंडे व मनोज द्विवेदी को DMF में भ्रष्टाचार के आरोप में न्यायिक अभिरक्षा में जेल भेजा जा चुका है।
ग्राम यात्रा ने पूर्व में ही बताया था कि संजय शेंडे, जो DMF फंड की योजनाओं में ठेके हासिल करता था, उसने माया वॉरियर की मिलीभगत से रानू साहू के कार्यकाल में और संजीव झा के आने के बाद तक भ्रष्टाचार को योजनाबद्ध तरीके से अंजाम दिया। माया वॉरियर को ‘भ्रष्टाचार की सूत्रधार’ बताया गया है, जिनके कार्यकाल में DMF फंड का जमकर दुरुपयोग हुआ। अब आरोप है कि उसी तर्ज पर संजीव झा के कार्यकाल में भी यह खेल जारी रहा।
IAS संजीव झा पर गंभीर आरोप
संजीव झा पर आरोप है कि 1 जुलाई 2022 से 31 जुलाई 2023 तक कलेक्टर रहते हुए उन्होंने DMF फंड का जमकर दुरुपयोग किया। शिक्षा, स्वास्थ्य, सोलर लाइट, और सड़क निर्माण जैसी योजनाओं के लिए फंड आवंटित हुआ, लेकिन ज्यादातर योजनाएं कागजों में ही सिमटी रहीं।
यह भी आरोप है कि ठेकेदारों को अवैध लाभ पहुंचाने के लिए बिना प्रतिस्पर्धा के ठेके बांटे गए और फंड का मनमाना इस्तेमाल किया गया।
ननकीराम ने PM मोदी से क्या कहा?
ननकीराम कंवर ने प्रधानमंत्री को लिखे पत्र में कहा है कि DMF फंड का दुरुपयोग जनता के साथ सबसे बड़ा धोखा है। उन्होंने इसकी CBI जांच की मांग करते हुए दोषियों को जेल भेजने की मांग की। ननकीराम ने लिखा कि अगर इस मामले पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो यह जनता के विश्वास को तोड़ने वाला साबित होगा।
केंद्र सरकार पर सबकी निगाहें
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने 12 दिसंबर 2024 को ननकीराम का पत्र स्वीकार कर लिया है। अब सबकी नजर इस बात पर है कि केंद्र सरकार और एजेंसियां इस मामले में क्या कदम उठाती हैं।
DMF फंड घोटाले ने न केवल प्रशासनिक तंत्र की पारदर्शिता पर सवाल खड़े किए हैं, बल्कि जनता के हक को भी छीना है।
ननकीराम कंवर का यह कदम भ्रष्टाचार के खिलाफ एक बड़ी चुनौती के रूप में देखा जा रहा है। सवाल यह है कि क्या केंद्र सरकार समय रहते कदम उठाएगी, या यह मामला भी दूसरे भ्रष्टाचार की तरह न्याय की लंबी राह देखेगा?