February 6, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
शहर में भ्रष्टाचार के लिए कांग्रेस है जरूरी! जयसिंह के लिए 10 साल से एटीएम का काम कर रही नगर सरकार, अब बागी उषा तिवारी पर जयसिंह का नया दांव, क्या है योजना समझिए इस ख़बर में…जिला प्रशासन द्वारा दो दिवस में रोका गया 7 बाल विवाहचुनाव प्रचार-प्रसार कर रहे तीन डीजे व्हीकल जब्तसीएम साय ने बीजेपी प्रत्याशी की दुकान में चाय बनाकर जनता को पिलाईजब माल घटने लगा, तब करेजा फटने लगा! व्यक्तिगत खुन्नस निकालने प्रतिष्ठित समिति की आड़, अनर्गल आरोपों से छवि धूमिल करने की कोशिश, भ्रष्ट ठेकेदार की पैरवी क्यों?CM विष्णुदेव साय चुनावी आमसभा को कर रहे संबोधित, देखें वीडियों…क्रिकेट स्टेडियम में दर्शकों के लिए 6 हजार नई कुर्सियां, आज पहुंचेंगे 6 टीमों के लीजेंड खिलाड़ीरायगढ़ में सीएम साय का रोड शोराष्ट्रीय रक्षा अध्ययन दल ने किया रक्षात्मक एवं सृजनात्मक कार्यों का अवलोकनस्टार एयरलाइंस ने शुरू की रायपुर से झारसगुड़ा-हैदराबाद के लिए फ्लाइट
छत्तीसगढ़

शासन को अविवाहित युवक की नसबंदी मामले में हाईकोर्ट ने 2.5 लाख मुआवजा देने का आदेश दिया

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

बिलासपुर। पेट दर्द का उपचार कराने गए अविवाहित युवक की नसबंदी करने के मामले में हाईकोर्ट ने शासन को ढाई लाख रुपये क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने यह राशि दोषी अधिकारियों से वसूल करने की छूट दी है। राजनांदगांव जिले के डोंगरगढ़ क्षेत्र के ग्राम बोरतलाब निवासी 20 वर्षीय युवक को पेट दर्द की शिकायत थी। वह पांच नवंबर 2011 को डोंगरगढ़ शासकीय अस्पताल में उपचार कराने गया।
अस्पताल में उससे कुछ दस्तावेज पर हस्ताक्षर लेने के बाद बैठा दिया गया। इसके बाद एक इंजेक्शन लगाया गया। वह बेहोश हो गया। होश आने पर उसे 1100 रुपये व प्रमाण पत्र देकर घर भेज दिया गया। उसने ग्रामीणों को इसकी जानकारी दी। ग्रामीणों ने प्रमाण पत्र देकर बताया कि उसका नसबंदी ऑपरेशन किया गया है।
उसने पुलिस में इसकी रिपोर्ट कराई। कार्रवाई नहीं होने पर प्रशासन से शिकायत की। शिकायत की जांच में बताया गया कि लक्ष्य पूरा करने के लिए उसका ऑपरेशन कर दिया गया था। कर्मचारियों द्वारा बनाई गई लक्ष्य दंपती की सूची में युवक का नाम नहीं था। रिपोर्ट में बीएमओ डोंगरगढ़ व पर्यवेक्षकों को दोषी माना गया।
इसके खिलाफ युवक ने अधिवक्ता पराग कोटेचा के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दाखिल कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई व मुआवजा दिलाने की मांग की। जस्टिस गौतम भादुड़ी के कोर्ट में मामले की सुनवाई हुई। बिना सहमति के युवक की नसबंदी करने को दबावपूर्ण नसबंदी व चिकित्सा उपेक्षा माना है। कोर्ट ने मामले में शासन को ढाई लाख रुपये याचिकाकर्ता को क्षतिपूर्ति देने का आदेश दिया है। कोर्ट ने शासन को छूट दी है कि यदि चाहे तो दोषियों से क्षतिपूर्ति राशि की वसूली कर सकता है।

gramyatracg

Related Articles

Check Also
Close