June 2, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
स्कूल भवन निर्माण में लापरवाही, DEO समेत 3 अफसरों को कलेक्टर का नोटिसहमारी सरकार बस्तर में शांति और विकास के लिए प्रतिबद्ध: मुख्यमंत्रीअवैध शराब के साथ एक आरोपी गिरफ्तारमुख्यमंत्री ने भोंगापाल में बांस नौका विहार केंद्र का किया शुभारंभश्री शिव महापुराण कथा की बैठक संपन्न, पारदर्शिता के साथ चंदा संग्रहण की अपीलरायपुर से दिल्ली जा रही इंडिगो की फ्लाइट पायलट की सुझबुझ से सुरक्षित लैंडिंग सभी यात्री सुरक्षित।रतनपुर में भीषण हादसा: मालवाहक वाहन पेड़ से टकराकर पलटा, तीन घायलपुरानी रंजिश के चलते दो पक्षों में विवाद, गोली चलने की सूचना से मचा हड़कंपअवैध संबंधों के चलते हत्या, ट्रैकर डॉग ने खोली पोल:अवैध संबंधों के चलते हत्या, ट्रैकर डॉग ने खोली पोलRSS नगर में शराब के नशे में भाजपा नेताओं की गुंडागर्दी आई सामने, श्रमिकों ने किया प्रतिकार, हुई जमकर मारपीट, देखिए वीडियो…
छत्तीसगढ़

HIGH COURT NEWS : निलंबन और विभागीय जांच के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक, कलेक्टर बीजापुर के अधिकार पर सवाल !

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

निलंबन और विभागीय जांच के आदेश पर हाईकोर्ट की रोक, कलेक्टर बीजापुर के अधिकार पर सवाल

बिलासपुर/बीजापुर | शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला बीजापुर में पदस्थ शिक्षक एवं प्रभारी मंडल संयोजक कैलाश चंद्र रामटेके के निलंबन और विभागीय जांच के आदेश पर माननीय छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह आदेश माननीय न्यायमूर्ति बी. डी. गुरू की एकलपीठ द्वारा सुनवाई के दौरान पारित किया गया।

छत्तीसगढ़ में शिक्षक निलंबन आदेश पर रोक से संबंधित यह मामला शिक्षा व्यवस्था में विधिक अधिकारों की पुनर्स्थापना से जुड़ा है।

प्राप्त जानकारी के अनुसार, याचिकाकर्ता कैलाश चंद्र रामटेके मूल रूप से शिक्षक एलबी के पद पर कार्यरत हैं। उन्हें विकासखंड बीजापुर अंतर्गत संचालित आश्रम छात्रावासों के संचालन हेतु प्रभारी मंडल संयोजक का अतिरिक्त प्रभार सौंपा गया था। कार्यकाल के दौरान अधीनस्थ कर्मचारियों से कथित लेन-देन से जुड़ा एक ऑडियो वायरल होने के बाद कलेक्टर बीजापुर द्वारा दिनांक 15 सितंबर 2024 को छत्तीसगढ़ सिविल सेवा (आचरण) नियम 1966 के अंतर्गत तत्काल प्रभाव से निलंबित किया गया था। इसके साथ ही 20 सितंबर 2024 को विभागीय जांच हेतु आरोप पत्र भी जारी किया गया।

बीजापुर जिला शिक्षा विवाद में यह निर्णय शिक्षकों की सेवा सुरक्षा की दृष्टि से एक अहम मोड़ माना जा रहा है।

उक्त आदेशों के विरुद्ध रामटेके ने अधिवक्ता मतीन सिद्दीकी एवं नरेंद्र मेहेर के माध्यम से उच्च न्यायालय में याचिका प्रस्तुत की। याचिकाकर्ता की ओर से न्यायालय के समक्ष यह तर्क प्रस्तुत किया गया कि –

  • याचिकाकर्ता का मूल पद शिक्षक एलबी है, जिसकी नियुक्ति का अधिकार संयुक्त संचालक, स्कूल शिक्षा विभाग को प्राप्त है।
  • नियुक्ति अधिकारी ही निलंबन का प्राधिकृत अधिकारी होता है, जबकि कलेक्टर बीजापुर द्वारा पारित निलंबन आदेश अधिकार क्षेत्र से बाहर है।
  • इसी प्रकार आरोप पत्र सहायक आयुक्त, आदिवासी विकास, बीजापुर द्वारा जारी किया गया है, जो याचिकाकर्ता के मूल पदानुसार प्रशासनिक दृष्टि से सक्षम अधिकारी नहीं हैं।

शिक्षक निलंबन में सक्षम प्राधिकारी की वैधानिक व्याख्या अब अदालत के संज्ञान में है, जिससे आगे की प्रशासनिक प्रक्रिया प्रभावित हो सकती है।

इन तथ्यों के आलोक में माननीय न्यायालय ने प्रथम दृष्टया प्रक्रियागत त्रुटि मानते हुए निलंबन आदेश एवं आरोप पत्र के क्रियान्वयन पर रोक लगा दी है। साथ ही उत्तरवादीगण को नोटिस जारी कर जवाब तलब किया है।

यह मामला छत्तीसगढ़ में शिक्षकीय सेवाओं में कानूनी प्रक्रिया और संवैधानिक अधिकारों के संतुलन की दृष्टि से उदाहरण बन सकता है।

यह मामला प्रदेश में शिक्षकीय सेवाओं में पदस्थ कर्मियों की नियुक्ति, अनुशासनात्मक कार्यवाही एवं सक्षम प्राधिकारी की परिभाषा के संबंध में एक महत्वपूर्ण विधिक उदाहरण बन सकता है।

ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close