छत्तीसगढ़

एक से लेकर दूसरे को दिलवाए 11 लाख और उधार में खुद फंस गया, आखिरी वक्त में प्रभु के नाम पर बच्चों की मदद करने की मिन्नतें कर गटक लिया जहर


कोरबा। क्या आज के जमाने में किसी के बुरे वक्त में काम आना भी गुनाह है? परमेश्वर की सेवा में जीवन लगाने वाले एक नेक आदमी के मजबूर होकर खुद को खत्म कर लेने की इस ताजा घटना से तो यही सबक मिलता है कि लोग भले ही मर जाएं, पर मानवता दिखाने की बेवकूफी नहीं करनी चाहिए। यहां ऐसा ही हुआ, जब जरूरत में मदद करने की नियत से एक भले इंसान ने एक मित्र से उधार लेकर दूसरे को 11 लाख दिलवा दिए। आड़े वक्त में मदद के लिए शुक्रगुजार होने की बजाय उसकी नीयत डोल गई। लेनी न देनी, उल्टे मददगार की जिंदगी तगादे में फंसकर जहन्नुम बन गई। पैसे लेने वाला लौटाने से इंकार करता रहा और देने वाला वापस मांगता रहा। जब हर कोशिश नाकाम हो गई तो वह जिंदगी हार गया और मौत को गले लगाकर उसने खुद को कर्ज से मुक्त कर लिया। उसने जहर खा लिया। आत्मघाती कदम से पहले मृतक ने एक ऑडियो रिकॉर्डिंग और सुसाइड नोट भी छोड़ा। उसमें अपने परिवार की फिक्र करते हुए पिता परमेश्वर के नाम पर उन्होंने बच्चों की मदद की गुजारिश की है। साथ में रकम लेकर न लौटाने वालों की करतूत भी बताई है।

मजबूत होकर आत्मघाती कदम उठाने का यह मामला कुसमुंडा थाना क्षेत्र का है। कुसमुंडा से लगे ग्राम बाता में रहने वाले पास्टर रमाशंकर पाटले ने 8 मई को जहर खा लिया। उसका इलाज चल रहा था, पर जान नहीं बचाई जा सकी। शुक्रवार शाम उन्होंने अंतिम सांस ली। इसके बाद शव को मेडिकल कॉलेज अस्पताल पोस्टमॉर्टम के लिए लाया गया। पुलिस ने 3 पन्नों का एक सुसाइड नोट भी बरामद किया है। इससे पता चलता है कि पास्टर पिछले कुछ दिनों से परेशान चल रहे थे।उन्होंने किसी व्यक्ति को 11 लाख रुपया दिया था। वह रकम भी पास्टर ने एक व्यक्ति से पैसे लेकर किसी दूसरे व्यक्ति को दिलवाए थे। एक और लेने वाला पैसे वापस नहीं कर रहा था, तो दूसरी ओर पैसा देने वाला भी पास्टर रमाशंकर पाटले पर पैसे वापसी का दबाव बना रहा था। रकम लेने वाला तीन साल से घुमाता आ रहा था। मृतक के भाई शुभम कुमार ने बताया कि पैसे वापस नहीं मिलने पर परेशान होकर बड़े भाई रमाशंकर ने आत्महत्या कर ली। मृत्यु से पहले उन्होंने 3 पन्नों का एक सुसाइड नोट लिखा और किसी अनुराग के लिए एक वॉइस रिकॉर्डिंग भी की है। इस ऑडियो रिकॉर्डिंग और सुसाइड नोट में स्पष्ट पता चलता है कि पास्टर रमाशंकर पाटले ने शरद एस मसीह को 6 लाख रुपये और बांकीमोंगरा के रंजीत रात्रे को भी रुपये दे रखा था। लेकिन दोनों ही रुपये वापस नहीं दे रहे थे। उन्हें धमकाया जा रहा था, जिससे कि वह पिछले कुछ दिनों से काफी परेशान और तनाव में रहते थे। छोटे भाई शुभम चाहता है कि सुसाइड नोट के आधार पर दोनों दोषियों के खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए। परिजनों ने पुलिस को सुसाइड नोट के साथ ऑडियो रिकॉर्डिंग भी उपलब्ध कराया है। उस सुसाइड नोट और रिकॉर्डिंग के आधार पर जांच की जा रही है।

बॉक्स
दिल को कचोटते हैं मृतक के आखिरी शब्द

अनुराग भैया जय मसीह की। मैं बहुत परेशान हो गया हूं। मेरी परेशानी की वजह है शरद मसीह। उसने मुझ से 6 लाख रुपए लिए और आज तक नहीं दिया। तीन साल से घुमा रहा है। इसके चलते मैं इतना परेशान हूं कि रहने का मन नहीं कर रहा है पर प्रभु ने रोक रखा है। ये सब आपको इसलिए बता रहा हूं ताकि आप मेरी मदद करें। उस आदमी ने मुझे बर्बाद कर के रख दिया है। साथ ही साथ रंजीत ने भी यही काम किया। उसने भी पैसा लिया पर वापस नहीं लिया। पांच लाख का चेक दिया, लेकिन मुझे पैसा नहीं दिया और उल्टा मेरे नाम पर केस कर दिया। अनुराग भैया, अगर मुझे कुछ हो जाता है तो आप मेरे परिवार और मेरे बच्चों की मदद करना, प्रभु आपका ख्याल रखेंगे। भैया, बस एक बार मेरी और मेरे बाल बच्चों की सहायता कर दो। मैंने बहुत कोशिश की पर अब शायद मैं नहीं बच पाऊंगा भैया। अगर मुझे कुछ हो जाता है तो पिता परमेश्वर के नाम पर मेरे बच्चों की सहायता कर देना, उनका खयाल रख देना, यही दुआ करता हूं। मेरा केस लड़ने में सहायता कर देना, मैं आपसे यही विनती करता हूं।

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