पूर्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने राखड़ ठेकेदारों पर कार्रवाई के लिए पत्र लिख खुद के पैर में मार ली कुल्हाड़ी, बेटों समेत रिश्तेदारों की कंपनियां भी करते रही है राखड़ का परिवहन, सैकड़ों करोड़ रुपए के इस कारोबार में पूर्व मंत्री के रिश्तेदारों की क्या है भूमिका पढ़िए इस रिपोर्ट में…
हजारों करोड़ के वारे-न्यारे करते 5 साल गुजारे, अब खिसियाने ताऊ खंभा नोचे और 100 चूहे खाकर हज पे चले 0 जांच तो होनी ही चाहिए, ब्लैक स्मिथ के साथ ही शांति इंडिकॉम और पूर्व मंत्री पुत्र की पार्टनर फर्मों ने कैसे बनाई अथाह प्रापर्टी, इसकी भी जांच कराते चलें
कोरबा। ऊर्जाधानी कोरबा कोई ऐसे ही काले हीरे की नगरी नहीं कही जाती। यहां साबुत कोयला जहां अरबों-खरबों देता है, जलने के बाद रह गई राखड़ भी उससे हाथ रंगने वालों के लिए करोड़ों के वारे न्यारे कर देता है। यही वजह है जो ब्लैक स्मिथ को लेकर बवाल काट रहे एक्स मिनिस्टर साहब पर्दा उठाकर अब खुद पॉपेट शो के सूत्रधार बनने की फिराक में हैं। लेकिन उनके सलाहकार ये बताना भूल गए कि जिस काजल की कोठरी की वो बात कह रहे है वहां की कालिख तो उनके बेटे और रिश्तेदारों के फर्म में भी पहुंची है वो भी एक दो नहीं सैकड़ों करोड़ का ठेका लेकर। यह तो वही बात हो गई कि हजारों करोड़ के वारे-न्यारे करते 5 साल गुजारे, अब खिसियाने ताऊ खंभा नोचे और 100 चूहे खाके हज पे चले।
इसमें दो राय नहीं कि पूर्व मंत्री के पत्र पर जांच नहीं होगी। पर सिर्फ बालको और ब्लैक स्मिथ ही नहीं बल्कि, बालको, लैंको, सी एस बी और एनटीपीसी से दोस्ती निभाने वाली फर्म शांति इंडिकॉम भी जांच के दायरे में आएगी। लोग चुनाव के समय से ही पूछ रहे है कि पांच साल मंत्री रहते हजारों करोड़ के वारे न्यारे करने वाले पूर्व मंत्री के पुत्र और पार्टनर फर्मों के एम्पायर के पीछे का सूत्रधार कौन है, इस पर भी जांच हो सकती है, इससे जनता की आंखों में राखड़ उड़ेलकर हमदर्द बनने की कोशिश कर रहे सफेदपोशों की कालिख से रंगी सूरत सब के सामने बेपर्दा हो सके।
DMF, जमीन कब्जा, अफरा-तफरी, सड़क-डामर घोटालों की लिस्ट लंबी
निश्चित तौर पर जाँच तो सबकी होगी। मसलन भूमि मुआवज़ा, DMF घोटाला, सड़कों का निर्माण, स्कूटर पर डामर परिवहन, सफ़ाई ठेका अवैध उगाही, राखड़ परिवहन, ज़मीन की अफ़रा तफ़री, अवैध प्रॉपर्टी बनाने, बरबसपुर में परिवार, रिश्तेदारों के नाम खरीदी गई जमीन, जो पूर्व में आदिवासी जमीन थी, जैसे घोटालों की लिस्ट इतनी लंबी है कि कागज कलम कम पड़ जाए। चुईया में आदिवासी के जमीन पर कब्जा, जिस पर पूर्व में अपराध भी दर्ज हुआ। पहले गरीब आदिवासी किसान से जबरन उसकी जमीन कब्जा, फिर पुत्र को मार डालने डर दिखाकर उप पंजीयक कार्यालय में रजिस्ट्री कराने की शिकायत भी पूर्व राजस्व मंत्री जयसिंह के नाम पर है, जिसकी जांच की फाइल किसी सरकारी आलमारी में ही पड़ी है। इस तरह पुरे छत्तीसगढ़ में जमीनों के अफरातफरी की जांच आने वाले दिनों में होना तय माना जा रहा है।
जिस डैम की फाइल खोलें, इन्हें ही ठेकेदार पाओगे
पूर्व मंत्री जी के परिवार व पुत्रों के फर्म एवं पार्टनरशिप फर्म, जो पांच वर्षों में 1000 करोड़ों की प्रॉपर्टी बन गई है, उसकी भी जांच हो सकती है। राखड फेंकने का कार्य शांति इंडिकॉम, जो पूर्व मंत्री जयसिंह के पुत्र का है उसे खुद भी राखड डेम से परिवहन का ठेका प्राप्त है। बताते है कि इस फर्म का काम आज भी चल रहा है। बालको, सीएसईबी लैंको, एनटीपीसी समेत सभी कंपनियों के कई राखड ठेके प्राप्त और अब भी कई ठेका जारी है, इसकी भी जांच हो सकती है। ऐसे में पूर्व मंत्री पत्र लिखकर खुद फंसते नजर आ रहे है। क्योंकि सिंगल ठेका ही 200 करोड़ से ऊपर के होने की जानकारी सार्वजनिक हो गई है।
नमस्कार
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