September 1, 2025 |

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गरियाबंद में करोड़ों का घोटाला: पूर्व उपसंचालक और डीडीओ के खिलाफ FIR…

Gram Yatra Chhattisgarh
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गरियाबंद (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। समाज कल्याण विभाग में करोड़ों रुपये के गबन का मामला सामने आया है। रिटायरमेंट के बाद संविदा पर नियुक्त उपसंचालक ने गरियाबंद और धमतरी के बैंकों में विभाग के नाम से फर्जी खाते खोलकर 3.25 करोड़ रुपये का गबन कर लिया। अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय की जांच रिपोर्ट के आधार पर कलेक्टर दीपक अग्रवाल ने तत्कालीन उपसंचालक एलएस मार्को और डीडीओ प्रभारी मुन्नीलाल पाल के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के निर्देश दिए हैं।

शिकायत के बाद जांच शुरू
रायपुर निवासी कुंदन ठाकुर ने जुलाई में कलेक्टर को लिखित शिकायत दी थी। इसके बाद तीन सदस्यीय जांच कमेटी गठित की गई, जिसका नेतृत्व अपर कलेक्टर अरविंद पांडेय कर रहे थे। अगस्त से शुरू हुई जांच में आरोपियों को तीन बार जांच कमेटी के समक्ष उपस्थित होने के लिए बुलाया गया, लेकिन वे नहीं आए।

कैसे हुआ घोटाला?
जांच में पाया गया कि 2016 से 2019 के बीच रायपुर संचनालय से जागरूकता अभियान, पेंशन योजना, दिव्यांग प्रोत्साहन योजना और पुनर्वास शिविर जैसी योजनाओं के नाम पर बिना कलेक्टर की अनुशंसा के धनराशि स्वीकृत कराई गई। यह राशि विभाग के मूल खाते में न जाकर गरियाबंद और धमतरी के निजी बैंकों में खोले गए फर्जी खातों में जमा की गई और फिर चेक के माध्यम से निकाली गई।

धन निकासी का विवरण
26 सितंबर 2016: यूनियन बैंक रायपुर से 22 लाख रुपये का चेक निकाला गया।

24 नवंबर 2017: पंजाब नेशनल बैंक रायपुर से 25 लाख रुपये निकाले गए।

22 जून 2018: 83 लाख रुपये तीन चेकों के जरिए निकाले गए (28 लाख, 28 लाख और 27 लाख)।

1 मार्च 2019: कोटक महिंद्रा बैंक से 48 लाख रुपये निकाले गए।

10 मार्च 2019: 49 लाख रुपये का चेक जारी किया गया।

19 और 20 अगस्त 2019: क्रमशः 49.50 लाख और 49 लाख रुपये की निकासी की गई।

धमतरी में भी हो सकता है बड़ा घोटाला
गरियाबंद में 3.25 करोड़ के गबन के बाद अब धमतरी में 8 करोड़ रुपये के घोटाले की आशंका है। मुन्नीलाल पाल 2012 से 2022 तक धमतरी में विभिन्न पदों पर कार्यरत था। खबर है कि वहां भी इसी तरह फर्जी खाते खोलकर करोड़ों रुपये निकाले गए हैं। यदि वहां जांच होती है, तो गरियाबंद से भी बड़ा घोटाला उजागर हो सकता है।

संदिग्ध भूमिका में रायपुर संचनालय के अधिकारी
जांच में रायपुर संचनालय के तत्कालीन संचालक पंकज वर्मा की भूमिका भी संदिग्ध पाई गई है। अधिकारियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद अब आगे की कार्रवाई के लिए पुलिस जांच शुरू कर दी गई है।

इस घोटाले से सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन में हो रही वित्तीय अनियमितताओं का बड़ा उदाहरण सामने आया है। प्रशासन ने मामले को गंभीरता से लेते हुए दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी है। अब देखना यह होगा कि आगे की जांच में और कौन-कौन इस घोटाले में संलिप्त पाए जाते हैं।

 

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