March 15, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
सीडी कांड में CBI ने लगाई रिवीजन याचिका, पूर्व सीएम की मुश्किलें बढ़ीं…राज्यपाल को मुख्यमंत्री ने दी होली की शुभकामनाएंतहसीलदार की कार्रवाई से परेशान किसान ने जहर पिया, हालत नाजुकबालको की उन्नति से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बनाया हर्बल गुलालमहिला समूहों का हुनर, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदमभालुओं के हमले में सफाई कर्मी घायल, राहगीरों ने पहुँचाया अस्पतालस्वरोजगार योजनांतर्गत सहायता से संचिता ने पैतृक व्यवसाय को दी नई दिशाअंधविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों का होगा प्रतीकात्मक होलिका-दहनसमूह की महिलाओं ने कलेक्ट्रेट मे लगाए हर्बल गुलाल क़ा स्टॉलस्वच्छता दीदियों को कचरा प्रबंधन के संबंध में दिया गया प्रशिक्षण
छत्तीसगढ़

किस्मत बदल देती है अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा, जानें पूजा विधि और मुहूर्त…

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

वर्ष 2023 में अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर, गुरुवार को मनाया जा रहा है। अनंत चर्तुदशी व्रत प्रतिवर्ष भाद्रपद के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी के दिन रखा जाता है। हिन्दू धर्मशास्त्रों के अनुसार अनंत चतुर्दशी पर व्रत रखकर भगवान श्रीहरि विष्णु की पूजा की जाती है, जिससे जीवन के सभी संकट दूर होकर सुख मिलता है।

आइए यहां जानते हैं अनंत चतुर्दशी 2023 के शुभ मुहूर्त और अनंत भगवान की पूजन विधि-

अनंत चतुर्दशी के शुभ मुहूर्त
अनंत चतुर्दशी पर्व : 28 सितंबर 2023, गुरुवार को
भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी तिथि का प्रारंभ- 27 सितंबर 2023, बुधवार को 01.48 पी एम से।
चतुर्दशी तिथि का समापन- गुरुवार, 28 सितंबर 2023 को 10.19 ए एम पर।

अनंत चतुर्दशी पूजा का मुहूर्त- 05.15 ए एम से 10.19 ए एम

अवधि- 05 घंटे 04 मिनट्स

अन्य मुहूर्त :  
* ब्रह्म मुहूर्त- 03.40 ए एम से 04.28 ए एम
* प्रातः सन्ध्या- 04.04 ए एम से 05.15 ए एम
* अभिजित मुहूर्त- 10.55 ए एम से 11.44 ए एम
* विजय मुहूर्त- 01.21 पी एम से 02.10 पी एम
* गोधूलि मुहूर्त- 05.24 पी एम से 05.48 पी एम
* सायाह्न सन्ध्या- 05.24 पी एम से 06.35 पी एम
* अमृत काल- 10.12 ए एम से 11.37 ए एम
* निशिता मुहूर्त- 10.56 पी एम से 11.43 पी एम
* रवि योग- 05.15 ए एम से 05.18 पी एम तक।

28 सितंबर : दिन का चौघड़िया
शुभ- 05.15 ए एम से 06.46 ए एम
चर- 09.49 ए एम से 11.20 ए एम
लाभ-11.20 ए एम से 12.51 पी एम
अमृत- 12.51 पी एम से 02.22 पी एम
शुभ- 03.53 पी एम से 05.24 पी एम

रात का चौघड़िया :
अमृत- 05.24 पी एम से 06.53 पी एम
चर- 06.53 पी एम से 08.22 पी एम
लाभ- 11.20 पी एम से 29 सितंबर को 12.48 ए एम तक।
शुभ- 02.17 ए एम से 29 सितंबर को 03.46 ए एम तक।
अमृत- 03.46 ए एम से 29 सितंबर को 05.15 ए एम तक।

कैसे करें अनंत चतुर्दशी पूजन:
– भाद्रपद शुक्ल चतुर्दशी के दिन अनंत चतुर्दशी व्रत की पूजा दोपहर में की जाती है।
– सुबह स्नानादि से निवृत्त होकर व्रत का संकल्प लेकर पूजा स्थल पर कलश स्थापित किया जाता है।

– कलश पर अष्टदल कमल की तरह बने बर्तन में कुश से निर्मित अनंत भगवान की स्थापना करें।

– पाट पर चित्र भी स्थापित करें।
– फिर एक धागे को कुमकुम, केसर और हल्दी से रंगकर अनंत सूत्र तैयार करें
– इसमें चौदह गांठें लगाएं।
– अनंत सूत्र को विष्णु जी की तस्वीर के सामने रखकर भगवान विष्णु और अनंत सूत्र की षोडशोपचार विधि से पूजा शुरू करें।
– मंत्र का जाप करें।
अनंत संसार महासुमद्रे मग्रं समभ्युद्धर वासुदेव।
अनंतरूपे विनियोजयस्व ह्रानंतसूत्राय नमो नमस्ते।।
-इसके बाद विधिवत पूजन के बाद अनंत सूत्र को बाजू में बांध लें।

– पुरुष दांये हाथ में और महिलाएं बांये हाथ में बांधे।
– अब श्री विष्णु सहस्त्रनाम स्तोत्र का पाठ करें।
– अनंत चतुर्दशी कथा को पढ़ें अथवा सुनें।श्रीहरि विष्णु के नामों और मंत्रों का जाप करें

अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा किस्मत बदल देती है…
अनंत चतुर्दशी की व्रत कथा कुछ इस प्रकार है। पुराने समय में सुमंत नाम के एक ऋषि हुआ करते थे उनकी पत्नी का नाम दीक्षा था। दोनों की बेटी सुशीला थी। सुशीला थोड़ी बड़ी हुई तो मां दीक्षा का स्वर्गवास हो गया।

अब ऋषि को बच्ची के लालन-पालन की चिंता होने लगी तो उन्होंने दूसरा विवाह करने का निर्णय लिया। उनकी दूसरी पत्नी और सुशीला की सौतेली मां का नाम कर्कशा था। वह अपने नाम की तरह ही स्वभाव से भी कर्कश थी।

कर्कशा ने सुशीला को बड़े कष्ट दिए। जैसे तैसे सुशीला बड़ी हुई। तब ऋषि सुमंत को उसके विवाह की चिंता सताने लगी। काफी प्रयासों के बाद कौण्डिन्य ऋषि से सुशीला का विवाह संपन्न हुआ। लेकिन यहां भी सुशीला को दरिद्रता का ही सामना करना पड़ा। उन्हें जंगलों में भटकना पड़ रहा था।

एक दिन उन्होंने देखा कि कुछ लोग अनंत भगवान की पूजा कर रहे हैं और हाथ में अनंत रक्षासूत्र भी बांध रहे हैं। सुशीला ने उनसे अनंत भगवान की उपासना के व्रत के महत्व को जानकर पूजा का विधि विधान पूछा और उसका पालन करते हुए अनंत रक्षासूत्र अपनी कलाई पर भी बांध लिया। देखते ही देखते उनके दिन फिरने लगे।

कौण्डिन्य ऋषि में अंहकार आ गया कि यह सब उन्होंने अपनी मेहनत से निर्मित किया है। एक साल बाद फिर अनंत चतुर्दशी आई, सुशीला अनंत भगवान का शुक्रिया कर उनकी पूजा आराधना कर अनंत रक्षासूत्र को बांध कर घर लौटी तो कौण्डिन्य को उसके हाथ में बंधा वह अनंत धागा दिखाई दिया और उसके बारे में पूछा। सुशीला ने खुशी-खुशी बताया कि अनंत भगवान की आराधना कर यह रक्षासूत्र बंधवाया है, इसके बाद ही हमारे दिन अच्छे आए हैं।

इस पर कौण्डिन्य खुद को अपमानित महसूस किया और सोचने लगे कि उनकी मेहनत का श्रेय सुशीला अपनी पूजा को दे रही है। उन्होंने उस धागे को उतरवा दिया। इससे अनंत भगवान रूष्ट हो गए और देखते ही देखते कौण्डिन्य फिर दरिद्रता आ पड़ी।

तब एक विद्वान ऋषि ने उन्हें उनके किए का अहसास करवाया और कौण्डिन्य को अपने कृत्य का पश्चाताप करने की कही। लगातार चौदह वर्षों तक उन्होंने अनंत चतुर्दशी का उपवास रखा उसके पश्चात भगवान श्री हरि प्रसन्न हुए और कौण्डिन्य व सुशीला फिर से सुखपूर्वक रहने लगे। मान्यता है कि पांडवों ने भी अपने कष्ट के दिनों (वनवास) में अनंत चतुर्दशी के व्रत को किया था जिसके पश्चात उन्होंने कौरवों पर विजय हासिल की। यहीं नहीं सत्यवादी राजा हरिश्चंद्र के दिन भी इस व्रत के पश्चात फिरे थे।

ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close