हाथी के शावक की निमोनिया से मौत.. 20 से ज्यादा हाथियों ने डाला इलाके में डेरा, खतरे के बीच अंतिम संस्कार

निमोनिया से उसकी हालत नाजुक हो गई थी और उसने दम तोड़ दिया। वन विभाग ने शावक के शव का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार किया। यह घटना ऐसे समय हुई है जब इसी क्षेत्र में दो दिन पहले ही एक व्यस्क हाथी की मौत करंट की चपेट में आने से हो चुकी है।
कोरबा(ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ ): वनमंडल अंतर्गत पसरखेत रेंज के बगधरी डांड जंगल में दो दिन पहले जन्मे नवजात नर हाथी की मौत हो गई। वन विभाग के अनुसार शावक बेहद कमजोर हालत में जन्मा था और जन्म के बाद से ही उसे निमोनिया हो गया था, जिससे उसकी सांसें थम गईं।
बारिश और ठंड से बिगड़ी हालत
जानकारी के मुताबिक, नवजात हाथी के जन्म की सूचना मिलते ही कोरबा वनमंडल की टीम मौके पर पहुंची थी, लेकिन मादा हाथी के आक्रामक व्यवहार के चलते किसी तरह की चिकित्सकीय सहायता नहीं दी जा सकी। बारिश और ठंड ने शिशु हाथी की हालत और बिगाड़ दी। आज सुबह जैसे ही मादा हाथी नवजात से कुछ देर के लिए दूर गई, वनकर्मी नवजात को रेंज ऑफिस लाए और पशु चिकित्सक से जांच करवाई। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
बारिश और ठंड से बिगड़ी हालत
जानकारी के मुताबिक, नवजात हाथी के जन्म की सूचना मिलते ही कोरबा वनमंडल की टीम मौके पर पहुंची थी, लेकिन मादा हाथी के आक्रामक व्यवहार के चलते किसी तरह की चिकित्सकीय सहायता नहीं दी जा सकी। बारिश और ठंड ने शिशु हाथी की हालत और बिगाड़ दी। आज सुबह जैसे ही मादा हाथी नवजात से कुछ देर के लिए दूर गई, वनकर्मी नवजात को रेंज ऑफिस लाए और पशु चिकित्सक से जांच करवाई। लेकिन तब तक देर हो चुकी थी।
20 हाथियों का डेरा
निमोनिया से उसकी हालत नाजुक हो गई थी और उसने दम तोड़ दिया। वन विभाग ने शावक के शव का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार किया। यह घटना ऐसे समय हुई है जब इसी क्षेत्र में दो दिन पहले ही एक व्यस्क हाथी की मौत करंट की चपेट में आने से हो चुकी है। बताया जा रहा है कि इलाके में इस समय 20 से ज्यादा हाथी विचरण कर रहे हैं। वर्षों से हाथियों की नियमित आवाजाही के बावजूद वन विभाग द्वारा सुरक्षा और निगरानी के पर्याप्त उपाय नहीं किए गए हैं, जिससे लगातार घटनाएं सामने आ रही हैं।
