प्रदेश में हिरासत से हुई मौतों की उच्च स्तरीय जांच की मांग
रायपुर। नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक ने प्रदेश में हिरासत से हुई मौतों की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। उन्होंने आबकारी नियंत्रण कक्ष कवर्धा में हुई युवक की संदिग्ध मौत कई सवालों को जन्म देता है। उन्होंने आरोप लगाया है कि कवर्धा के चिल्फी थाना इलाके अंतर्गत युवक हरिचंद मरावी की मौत जिन परिस्थितियों में हुई है, उस पर प्रशासन पर्दा लगाने में लगा हुआ है।
नेता प्रतिपक्ष श्री कौशिक ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि कांग्रेस सरकार के इन 6 महीनों के कार्यकाल में अब-तक 7 संदिग्ध मौतें पुलिस व आबकारी हिरासत में हुई हैं। इस पर गृहमंत्री का मौन कई प्रश्नों को जन्म देता है। बलरामपुर जिले के कृष्णा सारथी की मौत 26 जून को चंदोरा थाने में हुई थी। जिसे पुलिस आत्महत्या बताकर पर्दा डालने में लगी है। बिलासपुर जिले के मारवाही थाने में चंद्रिका प्रसाद तिवारी की 08 अप्रैल को मौत जिन परिस्थितियों में हुई है आज भी उस पर एक सवाल बना हुआ है।
उन्होंने कहा सूरजपुर जिले के सलका अधिना ग्राम निवासी पंकज बैक की मृत्यु पुलिस हिरासत में हुई लेकिन पुलिस इसे भी आत्महत्या का मामला बताकर केवल अपने को बचाने में लगी हुई है। यह मामला 22 जुलाई का है। चंगोरा भाठा निवासी सुनील श्रीवास की मौत 07 मई को पाण्डुका थाने के पुलिस लाकअप में प्रताडऩा के द्वारा हुई हैं। इस मामले में भी आत्म हत्या का मामला बताकर पूरे मामले को दबाने की कोशिश की है। 17 मार्च को जशपुरनगर के आनंद राम को लाठी से मारकर यातायात जांच के दौरान रोकने की कोशिश की गई जिस दौरान घटना स्थल पर ही गिरने से मौत हो गई। 7 अप्रैल को मुंगेली उपजेल में हत्या के अपराध में सजा काट रहे संतु धृतलहरे की जिन परिस्थितियों में मौत हुई है।
कटघोरा उपजेल में दीवार फांदकर भागने की कोशिश कर रहे रमेश कुमार की 14 जुलाई को हुई मौत के मामले पर भाजपा की जांच कमेटी का गठन किया गया था। यह संदेहास्पद मौत भी कई संदेह को जन्म देती है। अब तक पार्टी ने दो मामलों की जांच दल क
नेता प्रतिपक्ष कौशिक ने कहा कि लगातार हो रहे हिरासत में मौत के लिए प्रदेश की कांग्रेस सरकार ने अभी तक किसी पर कार्रवाई नही की है और मौतों का सिलसिला जारी है। उन्होंने कहा कि पूरे मसलों पर उच्च स्तरीय जांच होनी चाहिए।
पुलिस हिरासत में हुई मौत पर भाजपा कर रही राजनीति
नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक के द्वारा पुलिस हिरासत में हुई मौत पर की जा रही ओछी राजनीति पर कांग्रेस ने कड़ी प्रतिक्रिया दी है। प्रदेश कांग्रेस के महामंत्री एवं संचार विभाग के अध्यक्ष शैलेश नितिन त्रिवेदी ने कहा है कि पुलिस हिरासत में किसी भी मृत्यु जायज नहीं ठहराया जा सकता है। कांग्रेस सरकार इन घटनाओं को संवेदनशीलता से लिया है, जो भी दोषी होगा उसको बख्शा नहीं जायेगा। भाजपा शासनकाल में दोषियों पर कार्यवाही तो दूर की बात है, रमन सरकार इन घटनाओं को झुठलाने में पूरी ताकत लगाती थी।
भाजपा की सरकार बनने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री रमन सिंह के गृह जिले कवर्धा के थाने में बन्नू सतनामी की मौत से सिलसिला शुरू हुआ था। भिलाई 3 के सुशील शिंदे, सोहेला में राम कुमार ध्रुव, मीना खलको, मुलमुला में सतीष नोरगे, खरोरा में संतोष डहरिया की मौत , बस्तर की मड़कम हिड़में को जिस तरह मारा गया। सारकेगुड़ा और माटवाड़ा भाजपा के शासनकाल में केवल अनुसुचित जाति, जनजाति, के लोगो का समहार का काम किया। जो भाजपा शासनकाल के लिए कलंक है। कांग्रेस सरकार बनने के बाद घटना हुई, चाहे कवर्धा हो सुरजपूर की घटना हो सरकार ने संबधित पुलिस अधिकारियों को निलंबित किया है। उनके खिलाफ जांच कर दोषी पाये जाने पर कार्यवाही की जायेगी।
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