अपराधछत्तीसगढ़रोचक तथ्य
Trending

सीएसईबी की खामोशी खड़े कर रही कई सवाल, बालको को आखिर कैसे दे दिया इतना बड़ा अधिकार

कोरबा – कल हमने बताया था कि कैसे बालको सीएसईबी की जमीन पर अवैध रेल लाइन बिछा रहा है। लेकिन इस पूरे मामले में सीएसईबी की खामोशी कई सवालों को जन्म दे रही है। दरअसल जो आज सीएसईबी की जमीन है वो कभी बड़े झाड़ का जंगल हुआ करती थी उस समय वन संरक्षण अधिनियम लागू नहीं था ये अधिनियम 1980 में लागू हुआ और जमीन जो है वो बड़े झाड़ के जंगल के मद में तत्कालीन राजस्व ग्राम कोहड़िया के खसरा नंबर 486 की जमीन को वर्ष 1975-76 से मध्यप्रदेश विधुत मंडल 200 मेगावाट के परियोजना हेतु विधुत विभाग को आबंटित किया गया था। उक्त जमीन को विधुत परियोजना हेतु 99 वर्ष हेतु सरकार में लीज पर दिया है। आज वनभूमि पर कोई भी निजी निर्माण संभव नहीं है काफी कवायद के बाद मिली इस भूमि को बचाने सीएसईबी याने छत्तीसगढ़ राज्य विद्युत उत्पादन कंपनी के अधिकारी बिल्कुल भी रुचि नहीं ले रहे है। जबकि इनके ही भूमि के 45.87 डिसमिल भूमि पर बनाये गए बालको विस्तार के लिए ब्लीचिंग प्लांट को लेकर करीब एक साल पहले सीएसईबी के कार्यपालन अभियंता ने पत्राचार किया था लेकिन उसको भी बंद कराने या निर्माण रोकने कभी हिम्मत नहीं दिखाई ऐसे में रेल लाइन के लिए कब्जा की का रही सैकड़ो एकड़ भूमि को सहेजने कोई सार्थक कदम नहीं उठाए जा रहे है।

सीएसईबी की ज़मीन से गायब हो गए पेड़ राजस्व अमले को देखने की फुर्सत नहीं

रेल लाइन के रास्ते में आ रहे सैकड़ो पेड़ इस कथित विकास कार्य की भेंट चढ़ गए इसके लिए न तो वन विभाग न ही राजस्व विभाग से अनुमति ली गई जबकि शहरी क्षेत्र में पेड़ काटे जाने बाबत बकायदा अनुमति ली जाती है उसके लिए लाखों रुपये क्षतिपूर्ति राशि दी जाती है ऐसा न करने पर एसडीएम को अधिकार है कि वो लोकहित में प्रकरण दर्ज कर जुर्माने की कार्रवाई करे लेकिन यहां इस मामले में कुछ भी नहीं हुआ जबकि एक ऐसे ही मानिकपुर विस्तार परियोजना के दौरान काटे गए पेड़ो के बदले प्रशासन में भारी जुर्माने की कार्रवाई की थी।

कहाँ है नगर सरकार जिसको पसंद नहीं है अवैध निर्माण

वैसे तो शहर का कोई भी गरीब व्यक्ति कहीं निर्माण करता है तो उसको तोड़ने तेज तर्रार अधिमारी अपने मातहतों को भेज नेस्तनाबूद कर देती है लेकिन बालको यहां अवैध रेल लाइन बिछा रहा है अवैध उसके ब्लीचिंग प्लांट तैयार हो रखे है उसको तोड़ने कोई कवायद नहीं की जा रही है जबकि इस निर्माण से पूर्व निगम आयुक्त से लिखित अनुमति प्राप्त करना अति आवश्यक है अन्यथा की स्थिति में निर्माण रोकने के अलावा क्षेत्र को अतिक्रमण मुक्त करने की भी जबावदेही तय है लेकिन निगम का चाबूक केवल गरीबों के आशियाने पर ही चलेगा बालको के अवैध इमारतों पर नहीं !

आम रास्ता बंद करने पर भी कार्रवाई नहीं

वैसे तो आम रास्ता कभी बंद ही नहीं किया जा सकता है लेकिन बालको ने ज़मीन कब्जाने की नीयत से परसाभाठा – अमर सिंह होटल तक के आम रास्ते को रोकते न केवल उसको बंद कर दिया बल्कि उस रास्ते में हाई सिक्योरिटी गेट लगा दिया है जहां से केवल प्लांट में ही एंट्री हो सकती है और कोई भी बिना सिंह साहब के अनुमति के उस गेट से भीतर नहीं जा सकता है कोई कितना भी वीआईपी हो सिंह साहब ही उसे आम रास्ते से जाने की अनुमति देंगे। इस मामले में भी जिला प्रशासन ने अब तक कार्रवाई नहीं कि है जबकि रास्ते को रोकने के दौरान ही तत्कालीन निगम कमिश्नर और मौजूदा बलरामपुर कलेक्टर आर एक्का ने रास्ते को अवरुद्ध करने वाले दीवाल को हटवाया और बालको को सख्त पत्राचार करते नोटिस भी जारी किया था। लेकिन उसके बाद किसी प्रशासनिक अधिकारी ने इस बाबत कार्रवाई नहीं की।

बालको के खिलाफ नहीं हो रही कार्रवाई ने ही उसका मनोबल बढ़ाकर रखा हुआ है वरना आज भी बालको में अवैध काम निरंतर जारी नहीं रहता। फिलहाल लोगो को अब श्रम मंत्री से उम्मीद है कि वो ही बालको की मनमानी पर नियंत्रण लगा सकते है।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button