शासकीय भूमि को निजी पट्टा बताकर 40 एकड़ की जमीन अफरा तफरी मामले में अपराध पंजीबद्ध
ईओडब्ल्यू एवं एण्टी करप्शन ब्यूरो की कार्रवाई
रायपुर। दुर्ग के चर्चित शासकीय जमीन को निजी पट्टा में तब्दील कर कई फर्मो के नाम करने के मामले में आखिरकार पटवारी नायाब तहसीलदार क्रेता सहित इसमें संलिप्त लोगो पर अपराध पंजीबद्ध कर लिया है। जो ईओडब्लू और एसीबी आईजी बड़ी कार्रवाई है।
ग्राम महुदा पहनं-7 पाटन जिला-दुर्ग में गरीब भूमि हीन किसानो को शासन की योजना अन्तर्गत वर्ष 1975-76 में शासकीय पट्टे पर कृषि कार्य हेतु कुल-15.99 हेक्टेयर (39.97 एकड़) भूमि को दी गई थी, जिसे तत्कालीन नायब तहसीलदार भिलाई-3 घनश्याम शर्मा, एवं तत्कालीन पटवारी, हल्का नम्बर-7 ग्राम-महुदा श्री माखन लाल देशमुख एवं सनत कुमार पटेल द्वारा राजस्व दस्तावेजो में हेरफेर कर शासकीय पट्टे की भूमि को भूमि स्वामी हक दर्ज कर बिल्डर्स वसुन्धरा आयुर्वेदिक अनुसंधान के.प्रा0लि0 राजू शुक्ला पि0 शिवमूरत नि. रायपुर एवं विश्वास अग्रवाल, जैनम एग्रो फाईनेंस डायरेक्टर गोपाल सोनकर पि0 रामचंद रायपुर डायरेक्टर सुनील पारख, एवं अन्य से सांठ-गांठ कर के्रता के पक्ष में रजिस्ट्री कराई गई है।
रजिस्ट्री के समय तत्कालीन नायब तहसीलदार भिलाई-03 घनश्याम शर्मा, एवं तत्कालीन पटवारी, हल्का नम्बर-07 ग्राम-महुदा माखन लाल देशमुख एवं सनत कुमार पटेल द्वारा रजिस्ट्री के लिये किसानो को शासकीय पट्टेदार की भूमि का ‘‘आसामीवार किस्तबंदी खतौनी‘‘ में भूमि स्वामी दर्ज करते हुये सत्यापित प्रति जारी किया गया है जिससे वसुन्धरा आयुर्वेदिक अनुसंधान के.प्रा0लि0 एवं जैनम एग्रो फाईनेंस द्वारा भूमि क्रय की गई है इस प्रकार षडयंत्र पूर्वक पटवारी एवं नायब तहसीलदार से मिलकर रजिस्ट्री होना पाया गया।
नामांतरण के समय भी तत्कालीन लोक सेवक नायब तहसीलदार भिलाई-03 घनश्याम शर्मा, एवं तत्कालीन पटवारी, हल्का नम्बर-07 ग्राम-महुदा माखन लाल देशमुख एवं सनत कुमार पटेल द्वारा अपने-अपने शासकीय कार्य का लोप करते हुये मिसल रिकार्ड चेक न करते हुये शासकीय पट्टेदार की भूमि का नामांतरण जारी किया गया है। कृषि भूमि का स्वरूप परिवर्तित किया जाकर षडयंत्र के तहत भूमि की बिक्री की गई है। इस घटना से शासन के उद्देश्य गरीब व भूमिहीन किसान को कृषि कार्य के लिये जीवन यापन के लिये दी गई थी उक्त भूमि के बिक्री होने और बिल्डर्स द्वारा खरीदने के षडयंत्र से किसान पुनः दैयनीय स्थिति में आ गये, शासन का उद्देश्य विफल हो गया।
छ.ग. भू.रा. संहिता 1959 की धारा 165 में दिया गया है, धारा 165 (7 ख) के अनुसार कोई भी ऐसा व्यक्ति जो कोई भूमि राज्य सरकार से धारण करता है या कोई भी ऐसा व्यक्ति जो धारा 158 की उपधारा (3) के अधीन भूमि स्वामी अधिकार में भूमि धारण करता है अथवा जिसे कोई भूमि शासकीय पट्टेदार के रूप में दखल में रखने का अधिकार राज्य सरकार या कलेक्टर द्वारा दिया जाता है और जो तत्पश्चात् ऐसी भूमि का भूमिस्वामी बन जाता है, ऐसी भूमि का अंतरण कलेक्टर की पद श्रेणी से अनिम्न पदश्रेणी के किसी राजस्व अधिकारी की अनुज्ञा जो लेखबद्ध किऐ जाने वाले कारणों से दी जाएगी के बिना नहीं करेगा। तत्कालीन शासकीय लोक सेवक तत्कालीन पटवारी हल्का नम्बर-07 ग्राम-महुदा माखन लाल देशमुख, तत्कालीन पटवारी हल्का नम्बर-07 ग्राम-महुदा,सनत कुमार पटेल, तत्कालीन नायब तहसीलदार भिलाई-03 घनश्याम शर्मा, एवं विके्रताओ एवं क्रेताओं के विरूद्ध प्रथम दृष्ट्या धारा-409, 467, 468, 471, 120 (बी) भा0द0वि0 एवं 13(1) ए भ्र0नि0अधि0 1988 संशोधन अधिनियम 2018 का अपराध घटित होना परिलक्षित होता है।
इसी आधार पर ईओडब्ल्यू व एंटी करप्शन ब्यूरो ने संबंधितों पर एफआईआर दर्ज कर विवेचना शुरू कर दिया है।
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