कोरबा: भारत एल्युमीनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) द्वारा बालको चेकपोस्ट में नई रेल लाइन बिछाने का कार्य जोरों से चल रहा है। इस अवैध रेल लाइन बिछाने की लागत 1,02,16,94,184/- (एक सौ दो करोड़ सोलह लाख चौरानबे हज़ार एक सौ चौरासी रुपये) है। यह ठेका MBPL नामक कंपनी को दिया गया है। इस कंपनी को नियमो की परवाह नहीं है यही वजह है कि विस्तार परियोजना के प्रमुख सुनील सिंह और वर्तमान सीईओ राजेश कुमार के सरपरस्ती में निर्माण कार्य जारो पर है जबकि इस कार्य पर बीते कई सालों से रोक लगी हुई थी !
क्यों है ये रेल लाइन अवैध ?
रेल लाइन बिछाने के लिए जिस भूमि का चयन किया गया है, वह शासकीय भूमि, बड़े झाड़ का जंगल और सीएसईबी की भूमि है। इस भूमि पर सैकड़ों पेड़ों की कटाई की गई है, जिसमें से 86 पेड़ों की कटाई का मामला अभी भी वन विभाग में लंबित है। रेल लाइन बिछाने के लिए किसी भी संबंधित विभाग से अनुमति नहीं ली गई है।
क्या उक्त सभी विभाग सिंह साहब से मैनेज हैं?
क्या सीएसईबी के अधिकारी भी सिंह साहब से मैनेज हो गए हैं?
अगर मैनेज नहीं है तो कार्रवाई की तलवार अब तक चली क्यों नहीं, केवल नोटिस भेज किसकी नौकरी बचा रहे है अधिकारी ?
अवैध रेल लाइन से होगा बालको, कोरबा, और दर्री वासियों को भारी नुक़सान
वर्तमान में बालको में 5.75 LTPA क्षमता का एल्युमीनियम स्मेल्टर स्थापित है, जिसके लिए बालको चेकपोस्ट फाटक 24 घंटे में अधिकतर समय बंद रहता है। लेकिन अब जो बालको में स्मेल्टर क्षमता विस्तार परियोजना के लिए अवैध रेल लाइन बिछाने का कार्य चल रहा है, उसके पूरा होने के बाद यह फाटक शायद ही कभी खुल पाए। यहां तक कि मौजूदा मुख्य मार्ग पूरी तरह से बंद हो सकता है।
जैसे परसाभाटा से ADM बिल्डिंग होते हुए अमर सिंह होटल तक के आम रास्ते को जबरन कब्जा कर बंद कर दिया गया, जबकि हिंदुस्तान के इतिहास में कहीं भी आम रास्ते को बंद नहीं किया जा सका है लेकिन ये बालको है यहां कब्जे का खेला हो जाता है और शासन प्रशासन केवल कागज का पेट भरने में लगे रहते है। ठीक ऐसे ही मौजूदा मुख्य मार्ग पर भी खतरा मंडरा रहा है। परसाभाटा में बालको संयंत्र का मुख्य गेट पहले कोरबा जाने का मुख्य सड़क हुआ करता था, लेकिन बालको प्रबंधन ने इसे भी कब्जा कर लिया है और वहाँ स्मेल्टर विस्तार परियोजना का कार्य किया जा रहा है। बाद में सड़क डाइवर्ट कर लोगो को लाल घाट की ओर दूर रास्ते से जाने को मजबूर किया जाएगा।
पर्यावरण स्वीकृति के बिना रेल लाइन का निर्माण
पर्यावरण स्वीकृति के लिए EIA ड्राफ्ट या किसी अन्य जगह पर, यहां तक कि जनसुनवाई में भी रेल लाइन बिछाने का जिक्र नहीं किया गया था। फिर भी आम जनता की परेशानियों को नजरअंदाज करते हुए परियोजना प्रमुख सुनील सिंह और सीईओ राजेश कुमार द्वारा यह कार्य क्यों किया जा रहा है, यह समझ से परे है। क्या यह सोचते हैं कि सिंह साहब सब मैनेज कर लेंगे?
आम जनता है परेशान
वर्तमान में बालको से कोरबा जाने के लिए मुख्य मार्ग बालको बस स्टैंड से परसाभाटा होते हुए चेकपोस्ट फाटक फिर कोरबा है। इस सड़क पर चेकपोस्ट में रेल लाइन पार कर लोगों को कोरबा जाना पड़ता है। बालको रेलवे फाटक अधिकतर समय बालको के कोयला, एल्युमीनियम, एल्यूमिना पाउडर एवं अन्य सामान लाने-लेजाने के लिए बंद रहता है। इस कारण आम जनता को रोज़ परेशानियों का सामना करना पड़ता है। स्कूल बसें घंटों खड़ी रहती हैं, नौकरी पेशा लोग कार्यस्थल पहुँचने में देरी होती है, और एम्बुलेंस आए दिन फंस जाती हैं, जिससे लोगों की ट्रेन छूट जाती है।
इस पूरे मामले से स्थानीय लोगों में आक्रोश और चिंता का माहौल है। पर्यावरण और जनसुविधाओं की अनदेखी कर किए जा रहे इस अवैध निर्माण से लोगों का जीवन और भविष्य प्रभावित हो रहा है।
नमस्कार
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