कोरबा – नगर सरकार के मातहत कर्मी आयुक्त के आंख में धूल नहीं बल्कि मिर्च पाउडर डाल रहे है। गरीब के आशियाने बनाने की धमक मिलते ही 24 घंटे का वक्त देना भी जरूरी नहीं समझ रहे है जबकि न्यायालय के आदेश के बावजूद भी अवैध घोषित हो चुकी सुगंधा सिटी की एक ईंट तक को नहीं निकाल रहे है बल्कि दादर इलाके के अनुपयोगी जमीनों को एक सत्तासीन नेता के इशारे पर खाली कराने गरीबों के आशियानों को जमीदोंज किया जा रहा है। सुंगन्धा सिटी को सिर्फ इसलिए नहीं कार्रवाई का दंभ भरा जा रहा है कि वहां के कर्ताधर्ता पूर्व राजस्व मंत्री के करीबी है जबकि इन गरीबों का रहनुमा कोई नहीं है इसलिए यहां कार्रवाई का बुलडोजर चला अपनी पीठ थपथपाई जा रही है। जबकि कोरबा में हर रोज सैकड़ो अवैध निर्माण हो रहे है अनियमित निर्माण की तो लाइन लगी हुई लेकिन सिर्फ जेब गर्म करने के अलावा कोई काम नहीं हो रहा है वरना नगर पालिक निगम कोरबा के भवन निर्माण से जुड़े शाखा के गुप्तचरों की योग्यता की बात की जाए तो बड़े बड़े राजा शर्मा जाएंगे आपको यहां किसी के घर के भीतर बन रहे शौचालय तक कि जानकारी होती है कार्रवाई तो नहीं करते ये लोग लेकिन कमाई में कोई पीछे नहीं है। कोरबा के आयुक्त और कलेक्टर तो ईमानदार है लेकिन इनकी ईमानदारी का ढोल पिट अपने कार्यों को कैसे अंजाम देना है ये नीचे तबके के लोग बखूबी जानते है। गरीबों के झोपड़े तोड़ने है तो तोड़िये लेकिन ये माद्दा भी रखिये गरीबों के झोपड़े तोड़ने से पहले किसी अमीर पर कार्रवाई का चाबुक चलाने का हौसला दिखना चाहिए।
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सूत्र बताते है कि आज जिस जमीन को खाली कराने की कवायद की जा रही वहां एक सत्ता का करीबी व्यक्ति अपना पार्किंग बनाना चाह रहा है। अगर इतनी ईमानदारी है तो बताइये बीते 6 माह में किसी अमीर की अवैध चार दिवारी गिराई हो है कोई जवाब तो दीजिये। जवाब मिलेगा की शिकायत नहीं हुई है शिकायत तो इन गरीबों की भी नहीं हुई है ये तो आपसे 152% में जमीन लेना चाहते है लेकिन आप कार्रवाई ही आगे नहीं बढ़ा रहे है या फिर कार्रवाई बढ़ेगी तो क्या सिर्फ अमीरों के लिए ही क्या गरीबों के सालों से बने आशियाने इसीतरह जमींदोज किये जायेंगे। ये सवाल भी जरूर पूछिये अपने आप से आप खुद सोचिये और कहिए आपके सुझाव और शिकायत सादर आमंत्रित है।
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पिछले दिनों का एक वाकया आपको याद होगा जिसमें सिर्फ 24 घंटे के समय का नोटिस वो भी सूर्य ढलने के बाद चस्पा किया गया और सुबह 12 बजे निगम के लोग और अघोषित तोडुदस्ता प्रभारी योगेश राठौर के नेतृत्व में गरीब लोगों के घर का सामान सहित घर को जमींदोज कर दिया गया। इस घटना में जनप्रतिनिधियों के द्वारा निगम आयुक्त और कलेक्टर से पुछने पर मुख्यमंत्री छत्तीसगढ़ के आदेश है कर अपना पल्ला झाड़ते दिखाई दिए। ठीक है उन गरीबों ने महापाप किया। सरकारी जमीनों पर कब्जा कर अपना आशियाना बना कर घर बसाया, तो क्या अब पूरे शहर में यही होगा
क्योंकि कोरबा ओद्योगिक नगरी होने के कारण बरसों से लोगों द्वारा यहां अपना आशियाना बना कर रह रहे हैं इन लोगों की ही देन है की आज कोरबा जैसे छोटे शहर को दुनिया के मानचित्रों में हम आप देख सकते हैं। फिर क्या ऐसा दबाव है कि छत्तीसगढ़ के सुशासन की सरकार के नाम से गरीबों के घर उजाड़े जा रहें हैं और अमीरों को उपकृत किया जा रहा है। गरीब पीड़ितो ने बकायदा नगर निगम को संपत्ति कर पिछले 4 वर्ष से पटाते आ रहे हैं नगर निगम ने बकायदा नल जल योजना की लाभ भी दिया गया है। विधुत मंडल ने बिजली कनेक्शन भी दिया पर नगर निगम ने 24 घंटे का समय देते हुए उस समय से पहले कार्यवाही कर अपने पीट थपथपाते दिखाई दिए। आखिर इनके पीछे किसका हाथ है, सुत्र बताते हैं उस पर यकीन नहीं होता सुशासन की सरकार ये कर नहीं सकती फिर जिम्मेदार लोगों द्वारा उनका नाम आखिर क्यों लिया जाता है। शासन की जमीन पर कब्जा करना या होने देना गलत है इसे बिल्कुल रोकना सही है पर जो नया निर्माण हो रहा है उसे पर जहां पर
आम लोगों द्वारा अपने परिवार के साथ अपना आशियाना बना लिया गया नगर निगम कोरबा द्वारा बकायदा इन लोगों से संपति कर भी पीछे 4 वर्षों से लेता रहा नल जल की योजना की नल कनेक्शन भी दिया गया, बिजली भी दिया गया और तो और पूर्व सरकार के समय व्यवस्थापन के तहत सरकारी मुल्य पर डेढ़ गुना रेंट में मालिकाना हक प्राप्त किया जा सकता है उस नियम के तहत भी इन प्रताड़ित लोगों के द्वारा किया गया था, फिर भी जिला प्रशासन व नगद निगम ने तोड़ कर भाजपा की सुशासन की सरकार को बदनाम करने में कोई कसर नहीं छोड़ा और तो और आज शाम भी पांच छः लोगों के घर के बहार नगर निगम के द्वारा फिर से फरमान जारी किया गया है फिर से इन गरीबों को 24 घंटे के अन्दर घर खाली करने का आदेश जारी किया गया है । सिर्फ गरीबों पर किया जा रहा है कहर और अमीरों पर रहम ये ही कहावत यहां चरितार्थ हो रही है।