June 27, 2025 |

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छत्तीसगढ़ टूरिज्म कॉन्क्लेव में शामिल हुए सीएम बघेल, बोले -‘छत्तीसगढ़ हमेशा से काफी समृद्ध रहा है’

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21.10.22|छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने शुक्रवार को नई दिल्ली में राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2022 के संबंध में छत्तीसगढ़ टूरिज्म कॉन्क्लेव को संबोधित किया। उन्होंने सबसे पहले सभी पत्रकार साथियों का स्वागत करते हुए अपनी बात शुरू की। उनके साथ मंच पर मंत्री शिव डहेरिया भी मौजूद रहे।

सीएम भूपेश बघेल ने नेशनल ट्राइबल डांस फेस्टिवल 2022 के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि इस बार इसमें 7 से ज्यादा देशों के कलाकार शामिल होंगे। वहीं देश के विभिन्न राज्यों से करीब 1400 कलाकार आएंगे। विदेशों से 100 कलाकार आएंगे। डांस फेस्टिवल में भारत और दुनिया की विभिन्न जनजातियों की संस्कृति और नृत्य का प्रदर्शन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि 1 नवंबर को छत्तीसगढ़ राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव 2022 की शुरुआत होगी।

सीएम ने कहा कि 1 नवम्बर से 3 नवंबर तक राजधानी रायपुर के साइंस कॉलेज मैदान में होने वाले 23वें राज्योत्सव और राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव में आप सभी पत्रकार आमंत्रित हैं। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि राष्ट्रपिता महात्मा गांधी के ग्राम स्वराज आंदोलन को बढ़ाने का काम छत्तीसगढ़ सरकार कर रही है। ग्रामीणों को रोजगार उपलब्ध कराना, गांवों को स्वावलंबी बनाना, छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा को विश्व मानचित्र पर उभारने का प्रयास राज्य सरकार कर रही है।

मुख्यमंत्री भूपेश बघेल नई दिल्ली के किरण नादर म्यूजियम ऑफ आर्ट में आयोजित टूरिज्म कॉन्क्लेव में शामिल हुए। उन्होंने कॉन्क्लेव में लगाए गए छत्तीसगढ़ की आदिवासी संस्कृति और लोक कला पर केंद्रित स्टॉल्स का अवलोकन किया। सीएम ने पारंपरिक वाद्य यंत्र तुरही भी बजाई।

सीएम ने इसके बाद आयोजित प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि छत्तीसगढ़ में 44 फीसदी भूभाग जंगल हैं। राज्य में 32 फीसदी आदिवासी निवास करते हैं, वहीं 41 तरह की जनजातियां यहां पाई जाती हैं। उन्होंने कहा कि छत्तीसगढ़ हमेशा से काफी समृद्ध रहा है। उन्होंने कहा कि त्रेता युग में यहां भगवान राम आए। श्रीराम का तो ननिहाल ही छत्तीसगढ़ है। माता कौशल्या का मंदिर भी चंदखुरी में है। वहीं द्वापर युग में श्रीकृष्ण भी आए। तीजन बाई विश्व प्रसिद्ध पंडवानी गायिका हैं। पंडवानी महाभारत पर आधारित है। यहां गांव-गांव में इसका गायन होता है।

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