छत्तीसगढ़

रिखी ने 108 लोक वाद्यों के साथ दी सामूहिक प्रस्तुति, मुख्यमंत्री साय ने सराहा

भिलाई। गैर सरकारी पहल ‘लोकमंथन’ की ओर से छत्तीसगढ़ ग्रीन समिट का आयोजन 3 से 5 अक्टूबर तक राजधानी रायपुर में किया गया। इस दौरान इस्पात नगरी भिलाई निवासी व प्रख्यात लोकवाद्य संग्राहक रिखी क्षत्रिय ने अपनी प्रस्तुति दी। वहीं उन्होंने अपने संग्रहित लोकवाद्यों की प्रदर्शनी लगाई। जिसे देखने पहुंचे मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय सहित देश भर के कला संस्कृति से जुड़े लोगों भरपूर तारीफ की।

इस दौरान रिखी क्षत्रिय की कला व उनके वाद्ययंत्रों का संग्रह देख कर प्रज्ञा प्रवाह के अखिल भारतीय संयोजक जे नंदकुमार मुक्त कंठ से सराहना की और अगले माह हैदराबाद में 21 से 24 नवंबर तक होने वाले ‘लोकमंथन’ के चौथे संस्करण में शामिल होने का न्यौता भी दे दिया। वहां रिखी देश भर के आदिवासी लोक कला मर्मज्ञों और आदिवासी समुदाय के कलाकारों के बीच अपना संग्रह प्रस्तुत करेंगे और अपने समूह के साथ सांस्कृतिक प्रस्तुति देंगे।

रायपुर में आयोजित तीन दिवसीय कार्यक्रम का समापन शनिवार 5 अक्टूबर को हुआ। यहां रिखी क्षत्रिय का लोक वाद्य संग्रह देखने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय भी पहुंचे। वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री, छत्तीसगढ़ शासन केदार कश्यप चूंकि रिखी के संग्रह से पहले से परिचित हैं, इसलिए उन्होंने यहां रखे ज्यादातर वाद्य यंत्रों का परिचय खुद होकर मुख्यमंत्री साय को दिया। इस दौरान रिखी क्षत्रिय ने घुमरा बाजा से शेर की आवाज निकाल कर दिखाई तो मुख्यमंत्री साय सहित सभी अतिथि हैरान रह गए। इसी तरह रिखी क्षत्रिय ने कुहुकी, चरहे, तोडी, सिसरी,चिकारा,भेर और हुलकी आदि वाद्य भी बजाकर दिखाए। अतिथियों ने रिखी की इस प्रस्तुति की मुक्त कंठ से सराहना की।

रिखी ने अपनी तरफ से मुख्यमंत्री साय को तंबूरा भेंट किया। इस आयोजन में डॉ. एनवी रमण राव निदेशक एनआईटी रायपुर, प्रो. राजीव प्रकाश निदेशक आईआईटी भिलाई, प्रो. पीयूष कांत पांडे कुलपति एमिटी विश्वविद्यालय छत्तीसगढ़, गोपाल आर्य अखिल भारतीय संयोजक पर्यावरण संरक्षण गतिविधि, वी. श्रीनिवास राव आई.एफ.एस. प्रधान मुख्य वन संरक्षक एवं वन बल प्रमुख छत्तीसगढ़, विनय दीक्षित फील्ड समन्वयक प्रज्ञा प्रवाह, प्रो. सच्चिदानंद शुक्ला कुलपति, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय और शंखदीप चौधरी अध्यक्ष, विबग्योर एनई फाउंडेशन सहित अन्य लोग उपस्थित थे।

मोहरी की धुन लाइव बजती रही, भित्ती चित्र की लाइव पेंटिंग भी

यह आयोजन पूरी तरह आदिवासी लोक कला व संस्कृति को समर्पित था। यहां मंचीय प्रस्तुति के दौरान रिखी क्षत्रिय ने अपने 108 वाद्य यंत्रों के साथ अद्भुत कार्यक्रम दिया। उन्होंने अपनी टीम के साथ परब, बैगा करमा, गौर माड़िया और माड़ी करमा की प्रस्तुति दी। आयोजन स्थल में रिखी द्वारा संग्रहित मोहरी की धुन लाइव प्रस्तुत की जा रही थी वहीं बांस, रुंझु देवार और चिकारा की धुन सुन कर भी लोग चकित रह गए।

यहां आदिवासी समुदाय के भित्ति चित्र बनाने का लाइव प्रस्तुतिकरण शशि प्रिया क्षत्रिय उपाध्याय ने किया। पारंपरिक गोदना शैली का प्रदर्शन यहां किया गया। रिखी के समूह में नृत्य पक्ष में पारस रजक,प्रदीप ठाकुर, संजीव कुमार बैस, भीमेश,प्रमोद ठाकुर,सुनील कुमार,वेदप्रकाश देवांगन, रंजीत ठाकुर,वेन कुमार,नवीन साहू,नेहा विश्वकर्मा,जया ठाकुर,जागेश्वरी यादव,शशि साहू, लीना ध्रुव, हेमा डौंडे, प्रियंका साहू, सीमा, तुलेश्वरी डोंडे, रामकुमार पाटिल, कमल पटेल, राजेश, अजीत, गीतांजलि, दिनेश वर्मा और उग्रसेन का योगदान रहा।

 

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