August 6, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
CG Medical College निर्माण : सरकार की ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति के तहत डीबी प्रोजेक्ट को सौंपा गया जिम्मा चार मेडिकल कॉलेज अब मिलेंगे गुणवत्तापूर्ण बुनियादी ढांचे के साथ, जनता को मिलेगा स्वास्थ्य सेवा में स्थायी लाभJail Break Update : राजा और सरना को पुलिस ने भागते पकड़ लिया, दशरथ और चंद्रशेखर की तलाश जारी, 25 फीट दीवार कूद फरार हुए 4 में से 2 आरोपी पकड़ाए, जेल ब्रेक के 3 दिन बाद मिली सफलता…हर-घर तिरंगा कार्यक्रम में सभी उत्साह से भाग लें : राज्यपाल डेकाआधा दर्जन फ्लैट्स में चोरी करने वाले 2 अंतर्राज्यीय चोर गिरफ्तारअमरकंटक में भावना बोहरा ने 30 हजार से ज्यादा श्रद्धालुओं के लिए की निःशुल्क व्यवस्थारेप का वीडियो Instagram फ्रेंड ने किया वायरल, सूरजपुर पुलिस ने पटना में दबोचा…एसईसीएल सोहागपुर क्षेत्र में 9 भू-आश्रितों को नियुक्ति पत्र प्रदान किए गए…पत्नी ने प्रेमी के साथ मिलके पति को उतार मौत के घाटबसपा न एनडीए में है और न ही इंडी गठबंधन में : मायावतीसब्जी में छिपकली गिरने से फूड पॉइजनिंग, एक ही परिवार के 4 लोग अस्पताल में भर्ती
छत्तीसगढ़

मुख्यमंत्री बघेल ने ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज में किया ट्वीट, कहा-‘घर मा लाइ बरी बनाए के तइयारी चलत हे.’

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

27.11.22| मुख्यमंत्री भूपेश बघेल अपने ठेठ छत्तीसगढ़िया अंदाज के लिए जाने जाते हैं. उन्हें मिट्टी से जुड़े नेता के रूप में देखा जाता है. जब से वे छत्तीसगढ़ के सीएम बने हैं तब से वे लगातार यहां की संस्कृति और यहां की परंपराओं को साथ लेकर चल रहे हैं. खासकर के यहां के पारंपरिक पकवानों को वे लगातार प्रचारित करते आए हैं. वे खुद भी इन पकवानों को बड़े चाव से खाते हैं. इसी कड़ी में मुख्यमंत्री ने सोशल मीडिया में एक फोटो शेयर की है. जिसमें उनकी पत्नी घर में बरी बनाने के लिए लाई साफ करती दिख रही हैं. जिसकी तस्वीर सीएम ने ट्विटर पर शेयर की है.

सीएम ने ट्वीट किया है कि-

घर मा लाइ बरी बनाए के तइयारी चलत हे.

आप मन के घर म घलो कोंहड़ा, रखिया अउ अदौरी बरी बनत होही.

संग म बिजौरी घलो.

बता दें कि सीएम बघेल इससे पूर्व तीजा-पोरा पर्व के पहले भी एक तस्वीर साझा की थी. जिसमें उनकी पत्नी तीजा-पोरा में बनाए जाने वाले पकवान जैसे- खुर्मी-ठेठरी आदि बना रही थीं. वे लगातार ऐसी चीजें लोगों के बीच साझा कर छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपराओं को बढ़ाते आएं हैं. चाहे वो दिवाली पर घर के द्वार पर धान की बाली लगाने की बात हो, या गौरा-गौरी पर्व पर सोंटा खाने की बात हो, वे शुरू से ही धार्मिक परंपराओं और संस्कृति को बढ़ाने का काम कर रहे हैं.

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Check Also
Close