छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 दिन में लिया 3500 करोड़ का कर्ज
रायपुर । छत्तीसगढ़ सरकार ने 15 दिन में 3500 करोड़ का कर्ज ले लिया है। सरकार ने यह रकम रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (आरबीआई) के माध्यम प्रतिभूति (सिक्योरिटी बांड) बेचकर हासिल की है। इस कर्ज पर सरकार को साढ़े सात से करीब आठ फीसद तक ब्याज देना पड़ेगा।
राज्य सरकार बीते चार महीने से लगातार बांड बेचकर रकम जुटा रही है। अक्टूबर से अब तक करीब छह हजार करोड़ के बांड सरकार बेच चुकी है। राज्य पर करीब 50 हजार करोड़ का कर्ज पहले से है। अर्थशास्त्रियों के अनुसार कर्ज बड़े से राज्य का विकास प्रभावित हो सकता है, क्योंकि इस कर्ज के मूलधन के साथ ब्याज भी देना पड़ेगा।
तत्कालीन भाजपा सरकार ने अक्टूबर 2018 में दो बार में आठ और साढ़े आठ फीसद की ब्याज पर 1500 करोड़ का कर्ज लिया। इसके बाद नवंबर में दो बार में करीब आठ सौ करोड़ के और बांड बेचे गए। तत्कालीन रमन सरकार ने इस रकम का उपयोग अपने मुफ्त स्मार्ट फोन वितरण योजना और किसानों को तीन सौ स्र्पये प्रति क्विंटल धान का बोनस देने में किया।
सत्ता में आई कांग्रेस ने भी पूर्ववर्ती भाजपा सरकार का ही पैटर्न अपनाया। किसानों की कर्ज माफी और 2500 स्र्पये प्रति क्विंटल की दर पर धान खरीद के चुनावी वादे को पूरा करने का एलान किया। सरकार करीब 6100 करोड़ का कर्ज माफ कर रही है। वहीं, धान का समर्थन मूल्य 2500 करने के लिए सरकार को करीब 54 सौ करोड़ से अधिक की जरूरत थी। पूर्ववर्ती भाजपा सरकार ने तीन सौ स्र्पये प्रोत्साहन राशि देने के लिए 27 सौ करोड़ की व्यवस्था कर दी थी। इस वजह से मौजूदा सरकार को भी करीब इतने और की व्यवस्था करनी पड़ रही है। दोनों मिलाकर सरकार को लगभग 8875 करोड़ की जरूरत है।
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