August 2, 2025 |

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छत्तीसगढ़

बालको की पहल से कृषि में आया बदलाव, पैदावार में वृद्धि और लागत में कमी

Gram Yatra Chhattisgarh
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बालकोनगर(ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने सिस्टम ऑफ राइस इनटेसिफिकेशन (एसआरआई) तकनीक से खेती को नई दिशा दी। इससे किसानों की आय में 15 से 20 प्रतिशत तक की बढ़ोतरी हुई है। वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्रदेश के 473 किसान एसआरआई तकनीक के माध्यम से लाभान्वित हुए हैं। वहीं आगामी वर्ष में 546 किसानों को इस नवाचार से जोड़ने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।

इस वर्ष कुल 546 एकड़ भूमि पर एसआरआई विधि के अंतर्गत धान की खेती की गई, जिससे किसानों को पारंपरिक खेती की तुलना में बेहतर परिणाम प्राप्त हुए। एसआरआई तकनीक के प्रभावों की बात करें तो किसानों की शुद्ध आय में 15 से 20 प्रतिशत तक की वृद्धि देखी गई है। धान की औसत उपज 10-12 क्विंटल प्रति एकड़ से बढ़कर 15-18 क्विंटल प्रति एकड़ हो गई है। बीज, सिंचाई और रसायनों के उपयोग में कमी आने से इनपुट लागत में उल्लेखनीय बचत हुई है।

बालको के मुख्य कार्यकारी अधिकारी एवं निदेशक ने कहा कि बालको में हमारा विश्वास केवल औद्योगिक प्रगति तक सीमित नहीं है, बल्कि हम ग्रामीण जीवन की बेहतरी और टिकाऊ कृषि की दिशा में भी अपनी भूमिका को गंभीरता से निभाते हैं। एसआरआई जैसी नवोन्मेषी तकनीक किसानों के लिए एक सकारात्मक बदलाव का माध्यम बन रही हैं। एसआरआई के जरिए कम संसाधनों में अधिक उत्पादन और आय में वृद्धि हमारे सामुदायिक विकास प्रयासों की सफलता है। यह कृषि तकनीक समृद्ध और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की ओर एक ठोस कदम है। आने वाले वर्षों में हम और अधिक किसानों को इस बदलाव से जोड़ने के लिए प्रतिबद्ध हैं।

सोनपुरी की राजिलाबाई कंवर बताती है कि पहले डर लगता था कि कम बीज से कैसे अच्छी फसल होगी, लेकिन एसआरआई विधि ने मेरी सोच ही बदल दी। जहाँ पहले 10-12 क्विंटल धान मिलता था, अब 15-18 क्विंटल तक की पैदावार हो रही है। कम खर्च में ज्यादा मुनाफा, यही तो हर किसान का सपना होता है। अब बच्चों की पढ़ाई का खर्च भी निकल आता है। एसआरआई सिर्फ खेती का तरीका नहीं, बल्कि खुशहाल जिंदगी का रास्ता है। अब मैं अपनी बहनों को भी यह तकनीक सिखाती हूँ ताकि उनका भी भला हो सके।

रोगबहरी के अर्जुन कुमार ने बताया कि पहले मैं 1.5 एकड़ खेत में छिड़काव विधि से कड़ी मेहनत करता था, लेकिन उपज सिर्फ 12 क्विंटल तक ही सीमित रहती थी। मन में हमेशा यह असमंजस रहता था कि क्या मैं अपनी ज़मीन और मेहनत का सही उपयोग कर रहा हूँ? फिर एक दिन एसआरआई तकनीक के बारे में सुना और 90 डिसमिल में इसे आजमाने का निर्णय लिया। जब 16 क्विंटल की उपज मिली, तो मन गर्व और खुशी से भर गया। ऐसा लगा जैसे मेरी मेहनत का असली फल अब मिला हो। कम बीज, कम पानी, कम कीटनाशक फिर भी भरपूर फसल। एसआरआई ने मेरी खेती को ही नहीं, बल्कि आत्मविश्वास को भी मज़बूत किया है।

एसआरआई तकनीक न केवल धान की उत्पादकता बढ़ा रही है, बल्कि किसानों के जीवन में स्थायित्व, आत्मनिर्भरता और आर्थिक मजबूती भी ला रही है। कृषि विभाग द्वारा इस पद्धति को और अधिक किसानों तक पहुँचाने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। बालको अपने सामुदायिक विकास संकल्प से स्थानीय किसानों को सशक्त बनाने का मजबूत स्तंभ साबित हुआ है।

कृषि की अत्याधुनिक तकनीकों से ग्रामीणों को परिचित कराने के उद्देश्य से मॉडल एग्री-फार्म वेदांत एग्रीकल्चर रिसोर्स सेंटर (वीएआरसी) विकसित किया गया है। इसका संचालन कृषक उत्पादक संघ (एफ.पी.ओ.) द्वारा किया जाता है। इस केंद्र में कृषकों को मृदा परीक्षण, सिंचाई की अत्याधुनिक सुविधाएं, सब्जी की खेती, मल्टीलेयर फार्मिंग, एसआरआई, एसडब्ल्यूआई, ट्रेलिस फार्मिंग, हाइड्रोपोनिक्स और बायो फ्लोक के माध्यम से मत्स्य पालन तथा सब्जियों के संरक्षण विशेषज्ञों द्वारा कृषि की अत्याधुनिक तकनीकों और शासकीय योजनाओं की जानकारी दी जाती है। कृषि नवाचार को बढ़ावा देने की दृष्टि से कुछ विदेशी सब्जियों के उत्पादन की परियोजना भी शुरू हो चुकी है।

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