April 20, 2025 |

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छत्तीसगढ़

लाखों लेकर भागे चिटफंड कर्ताधर्ता, दो SDM सहित 22 के खिलाफ केस दर्ज

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अंबिकापुर । कोतवाली पुलिस ने न्यायालय के आदेश पर आइडोल इंडिया लिमिटेड चिटफंड कंपनी के कर्ता-धर्ता सहित 22 लोगों के विरुद्ध अपराध दर्ज किया गया है, इनमें दो प्रशासनिक अधिकारी भी शामिल हैं। इनके विरुद्ध भादवि की धारा 420, 34 व छत्तीसगढ़ निपेक्षकों के हितों का संरक्षण अधिनियम की धारा 10 का अपराध दर्ज किया गया है।
कंपनी के संचालन में लगे लोगों के विस्र्द्ध शिकायत साढ़े चार लाख रुपये निवेश किए खैरबार लौंगापानी निवासी चरणदास पिता करणदास ने की थी। कहना है कि समय रहते अधिकारियों ने रुचि ली होती तो कंपनी को कारोबार समेटकर भागने का मौका नहीं मिलता और उसकी सकल पूंजी डूबने की नौबत नहीं बनती।
आइडोल चिटफंड कंपनी की ओर से छत्तीसगढ़ में अपना कारोबार फैलाने के बाद सैकड़ोें उपभोक्ताओं से लाखों रुपये रकम निवेश कराया गया था। सेबी और सुप्रीम कोर्ट की सख्ती के बाद कारोबार समेटने में लगी चिटफंड कंपनियां इसके बाद भी निवेशकों को तरह-तरह का सब्जबाग दिखाने में पीछे नहीं थी।
हाइप्रोफाइल प्रचार-प्रसार और सब्जबाग के झांसे में आए निवेशकों में इसके बाद भी असंतोष था। प्रशासनिक स्तर पर ऐसी कंपनियों के विस्र्द्ध ठोस कदम नहीं उठाने और रकम वापसी को लेकर बनी संशय की स्थिति को लेकर विशेष न्यायाधीश अंबिकापुर सरगुजा को निवेशक चरन दास पिता करन दास द्वारा दिए गए आवेदन पर धारा 156 (3) दंप्रसं के अधीन अपराध पंजीबद्ध करने हेतु आदेश दिया गया था।
कोतवाली पुलिस ने कंपनी के डॉयरेक्टर क्रमश: बप्पादित्य मजुमदार, बापी मजूमदार पिता नन्तु मजूमदार, एंड्रीला मजुमदार पिता बापी मजुमदार तीनों निवासी बैशालीपारा रोड हरिनावी कोलकता, पिंटू सरकार पिता नानीगोपाल सरकार निवासी इशाना मित्रा लेन राजपुर कोलकता, अजय कुमार पिता सरयुग प्रसाद 88 नईसराय वार्ड नंबर 11 अंचल बिहार शरीफ नालंदा बिहार, अशोक पिता मन्ना निवासी 185 सिरागोवर्धनपुर, अंश वाराणसी उप्र, रूम्पा सरकार पिता विजय सिन्हा निवासी चक्रवर्तीपारा चौहाती सोनारपुर साउथ 24 पीजीएस कोलकता, कंट्री हेड अशोक पटेल दुद्धी उप्र, अशोक स्वामी उत्तप्रदेश, राजू गुप्ता बिहार, एमपी-सीजी हेड रविंद्र पाल सिंह छाबड़ा पिता संतोष सिंह निवासी बौरीपारा अंबिकापुर, कोर समिति के सदस्य राजेश शर्मा निवासी मुक्तिपारा गांधीनगर, शशिकांत सिंह शिक्षा विभाग अंबिकापुर, राजन सिन्हा निवासी चर्च के सामने भट्टीरोड अंबिकापुर, गिरीश उपध्याय निवासी दर्रीपारा, अब्दुल रज्जाक खत्री उर्फ जावेद क्राइम ब्रांच ऑफिस के सामने, कौशल राजवाड़े निवासी सूरजपुर, रामगोपाल राजवाड़े अंबिकापुर, गौतम दास (बीएम), बंदना गुप्ता पति धनंजय गुप्ता निवासी इमलीपारा छग कोर समिति की सदस्य के अलावा कंपनी को क्लीनचिट देने वाले तत्कालीन एसडीएम भगवान राम उइके अंबिकापुर व खगेश्वर सिहं मंडावी तत्कालीन एसडीएम पत्थलगांव जशपुर के विस्र्द्ध धारा 10 छत्तीसगढ़ निपेक्षकांे के हितों का संरक्षण 2005, सहपठित धारा 3, 4, 6 पुरस्कार चिट्स और धन परिसंचरण योजनाओं पर प्रतिबंध अधिनियम 1978, 3-4 अर्थशोधन निवारण अधिनियम 2002 एवं सहपठित धारा 420, 406, 467, 468, 471, 120 बी, 384 भादवि की धारा में अपराध पंजीबद्ध करने संबंधित दिए गए आवेदन की जांच के बाद मामले में सभी के अपराध पंजीबद्ध किया है।
कास्तकारी एवं मजदूरी करने वाले चरन दास ने आइडल इंडिया लिमिटेड कंपनी में जमा पूंजी तथा घ्ार एवं जमीन बेचकर कुल चार लाख 50 हजार रुपये निवेश किया था। चिटफंड कंपनियों के विरूद्ध चल रही कार्रवाई के बीच थाना प्रभारी व पुलिस अधीक्षक को अन्य निवेशकों के साथ स्वयं के द्वारा निवेशित रकम को लेकर ध्यानाकर्षण कराया लेकिन कोई कार्रवाई नहीं हुई।
उसने बताया था कि आइडल इंडिया कंपनी के डॉयरेक्टर सहित अन्य कर्ताधर्ता के झांसे में वह शहर के विभिन्न् प्रतिष्ठित संस्थानों में मिटिंग तथा स्टॉर प्रचारकों के कारण आया। कोर कमेटी के सदस्यों द्वारा आश्वासन दिया गया कि जांच के बाद कंपनी को क्लीन चिट मिल जाएगा। पूर्व में आइडल इंडिया के नाम से शुरू कंपनी आइडल इंडिया इंफ्रास्ट्रक्चर, आइडल इंडिया कार्पोरेशन, यूनिवर्सल माइक्रोक्रेडिट एवं आइडल इंडिया किसान प्रोड्यूसर लिमिटेड के नाम से कार्य निरंतर जारी रखी थी।
निवेशक का आरोप है कि कंपनी के रजिस्ट्रार चिटफंड, कलेक्टर, एसडीएम द्वारा यह जानते हुए कि कंपनी को सेबी व सुप्रीम कोर्ट से रोक के बाद बंद कर दिया गया है, उनके स्वयं के पास कोई अधिकार नही हैं, इसके बाद भी जानबूझकर कंपनी को रुपये निवेश करने और भागने का मौका देते हुए क्लीनचिट प्रदान किया गया। कंपनी संचालन की अनुमति से लोग और भ्रमित हो गए।
इन्होंने कोर कमेटी के मेंबरों के साथ सांठ-गांठ एवं सीधे तौर पर बंद चिटफंड कंपनी को लाभ पहुंचाने हेतु पद के दुरूपयोग व निवेशकों को भ्रमित करके प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर ठगी के लिए जिम्मेदार ठहराया गया है।
थानों में संबंधित निवेशकों की रकम नहीं लौटाने पर जब धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया तो कंपनी कार्यालय में ताला बंद करके फरार हो गई। निवेश किए गए रकम एवं उसमें दर्शाए गए बांड व इंटरनल चेक सुनियोजित तरीके से छल करने हेतु कूटरचित दस्तावेजों के आधार पर भरोसा कायम करने हेतु उपयोग किए जाने का भी आरोप है।

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