भाजपा प्रत्याशी की साजिश बेनकाब! कोरबा नगर निगम चुनाव में अशांति फैलाने की खुली पोल, वार्ड 26 में हंगामा करने वाली महिला निकली वार्ड 27 की मतदाता
वीडियो में न तो पूर्णिमा पर हमला होता दिखा और न ही उनके दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत है। इसके बावजूद उन्होंने अपने कथित पैरवीकार जगविंदर सिंह के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई। मजेदार बात यह है कि जगविंदर सिंह भी वार्ड 26 के मतदाता नहीं हैं! वह वार्ड 28 एसईसीएल कॉलोनी के निवासी हैं और उनका मतदान केंद्र एनसीडीसी स्कूल, मुड़ापार में था। फिर वह वार्ड 26 के बूथ के भीतर क्या कर रहे थे?
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कोरबा। नगर निगम चुनाव के दौरान वार्ड 26 के मतदान केंद्र में हुए हंगामे को लेकर भाजपा प्रत्याशी की चालबाजियों का पर्दाफाश हो गया है।
जिस पूर्णिमा भट्टाचार्य के नाम पर भाजपा ने बवाल खड़ा किया, वह वार्ड 26 की मतदाता ही नहीं हैं! छत्तीसगढ़ राज्य निर्वाचन आयोग की वेबसाइट के अनुसार, उनका नाम वार्ड 27 की मतदाता सूची में दर्ज है और उनका मतदान केंद्र शासकीय मिनीमाता कन्या महाविद्यालय, घंटाघर था।
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पुलिस के हटते ही हमला हुआ! क्या झड़प सोची-समझी साजिश थी ?
सबसे अहम बात यह है कि मतदान केंद्र पर झड़प उस समय हुई जब पुलिस की पेट्रोलिंग गाड़ी वहां से पांच मिनट पहले ही निकली थी और प्रभारी अधिकारी भी किसी काम से मतदान केंद्र से बाहर गए हुए थे। ठीक उसी समय यह हमला हुआ, जिससे यह साफ जाहिर होता है कि मारपीट की यह घटना एक सुनियोजित रणनीति का हिस्सा थी।
तो फिर पूर्णिमा भट्टाचार्य वार्ड 26 के बूथ में क्या कर रही थीं?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि जब पूर्णिमा भट्टाचार्य का वोट वार्ड 27 में था, तो वह वार्ड 26 के रविशंकर नगर स्थित सेंट पॉलिटी स्कूल के मतदान केंद्र के भीतर कैसे पहुंचीं? यही नहीं, भाजपा को समर्थन देने वाली वार्ड की ही 20-30 महिलाएं भी वहां प्रचार करती दिखीं, लेकिन हिंसा का आरोप सिर्फ पूर्णिमा भट्टाचार्य ने ही लगाया। वायरल वीडियो में साफ दिख रहा है कि कुछ गमछा पहने लोगों और अन्य मतदाताओं के बीच झड़प हुई, मगर उसमें पूर्णिमा कहीं नजर नहीं आईं।
एक बड़े नेता के पहुंचने के आधे घंटे बाद बिगड़ा माहौल!
सूत्रों के मुताबिक, मतदान के दौरान वार्ड 26 के मतदान केंद्र के बाहर कांग्रेस के एक बड़े नेता करीब 1 से 1.5 घंटे तक मतदान केंद्र के बाहर एक मकान के बाहर बैठे रहे। कांग्रेस नेताओ से उन्होंने हालात का जायजा भी लिया इतनी देर उन्होंने सम्भवतः किसी वार्ड में समय नहीं दिया था। इस दौरान भाजपा प्रत्याशी ने उनके पास जाकर शायद शिष्टाचार के नाते पैर छूकर आशीर्वाद भी लिया। यह महज संयोग था या कुछ और, लेकिन उनके वहां से जाने के करीब आधे घंटे बाद ही शांतिपूर्ण चल रही मतदान प्रक्रिया अचानक हंगामे और मारपीट में बदल गई।
तो फिर उनको मार कैसे लगी? और महिलाओं को कुछ क्यों नहीं हुआ?
वीडियो में न तो पूर्णिमा पर हमला होता दिखा और न ही उनके दावे के समर्थन में कोई ठोस सबूत है। इसके बावजूद उन्होंने अपने कथित पैरवीकार जगविंदर सिंह के माध्यम से शिकायत दर्ज कराई। मजेदार बात यह है कि जगविंदर सिंह भी वार्ड 26 के मतदाता नहीं हैं! वह वार्ड 28 एसईसीएल कॉलोनी के निवासी हैं और उनका मतदान केंद्र एनसीडीसी स्कूल, मुड़ापार में था। फिर वह वार्ड 26 के बूथ के भीतर क्या कर रहे थे?
मतदान की पूर्व रात्रि में भी थी बड़ी साजिश की योजना, लेकिन पुलिस ने बिगाड़ दिया खेल
चुनाव के दिन होने वाली गड़बड़ी की साजिश मतदान से पहले ही रची जा चुकी थी। जानकारी के मुताबिक, भाजपा खेमे ने मतदान से एक रात पहले भी बड़ा हंगामा खड़ा करने की योजना बनाई थी। लेकिन पुलिस की लगातार गश्त और सख्ती के चलते यह योजना सफल नहीं हो सकी। इसके बाद मतदान के दौरान मौके की तलाश की गई और जैसे ही पुलिस पेट्रोलिंग गाड़ी वहां से हटी, पूरी साजिश को अंजाम दिया गया।
बाहरी लोग कर रहे थे माहौल खराब! पुलिस को करनी चाहिए जांच
इस मामले ने भाजपा प्रत्याशी की साजिश को उजागर कर दिया है। मतदान के दौरान वार्ड 26 के सेंट पॉलिटी स्कूल में न जाने कितने बाहरी लोग घुस आए थे। पुलिस को तत्काल उनकी पहचान कर यह जांच करनी चाहिए कि वे वहां क्यों आए थे और क्या वे फर्जी मतदान करने या माहौल बिगाड़ने की साजिश रच रहे थे?
झड़प हुई, लेकिन साजिश किसकी थी?
इस बात में कोई संदेह नहीं कि मतदान केंद्र पर झड़प हुई थी, लेकिन असली सवाल यह है कि माहौल बिगाड़ने की साजिश किसने रची? क्या भाजपा प्रत्याशी चुनावी माहौल में सहानुभूति बटोरने और वोटों का ध्रुवीकरण करने के लिए यह खेल खेल रहे थे? पुलिस और प्रशासन को तत्काल इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच कर दोषियों पर कार्रवाई करनी चाहिए।
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