March 14, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
सीडी कांड में CBI ने लगाई रिवीजन याचिका, पूर्व सीएम की मुश्किलें बढ़ीं…राज्यपाल को मुख्यमंत्री ने दी होली की शुभकामनाएंतहसीलदार की कार्रवाई से परेशान किसान ने जहर पिया, हालत नाजुकबालको की उन्नति से जुड़ी स्व सहायता समूह की महिलाओं ने बनाया हर्बल गुलालमहिला समूहों का हुनर, आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ता कदमभालुओं के हमले में सफाई कर्मी घायल, राहगीरों ने पहुँचाया अस्पतालस्वरोजगार योजनांतर्गत सहायता से संचिता ने पैतृक व्यवसाय को दी नई दिशाअंधविश्वास एवं सामाजिक कुरीतियों का होगा प्रतीकात्मक होलिका-दहनसमूह की महिलाओं ने कलेक्ट्रेट मे लगाए हर्बल गुलाल क़ा स्टॉलस्वच्छता दीदियों को कचरा प्रबंधन के संबंध में दिया गया प्रशिक्षण
नेशनल

अयोध्या मामला: मध्यस्थता रही बेनतीजा, सुप्रीम कोर्ट में छह अगस्त से नियमित सुनवाई

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

गुरुवार को मध्यस्थता पैनल ने सीलबंद लिफाफे में अपनी रिपोर्ट अदालत में पेश की थी। शीर्ष अदालत ने पहले कहा था कि यदि आपसी सहमति से इसका हल नहीं निकलता को मामले में रोजाना सुनवाई की जाएगी। मामले की सुनवाई मुख्य न्यायाधीश रंजन गोगोई की अध्यक्षता वाली पांच सदस्यीय संवैधानिक पीठ ने की। पीठ में न्यायमूर्ति एसए बोबडे, न्यायमूर्ति डीवाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति अशोक भूषण और न्यायमूर्ति एसए नजीर शामिल हैं।
इससे पहले 18 जुलाई को हुई सुनवाई में संविधान पीठ ने न्यायमूर्ति एफएमआई कलीफुल्लाह की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यीय मध्यस्थता समिति को मध्यस्थता की प्रक्रिया जारी रखने के लिए कहा था और एक अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करने का आदेश दिया था। पीठ ने कहा था कि रिपोर्ट को देखने के बाद आगे की सुनवाई की रूपरेखा तैयार की जाएगी।
मालूम हो कि आठ मार्च को उच्चतम न्यायालय ने इस विवाद का बातचीत के जरिए समाधान निकालने के लिए मध्यस्थता पैनल का गठन किया था। गत 11 जुलाई को अदालत ने समिति को 18 जुलाई तक स्टेटस रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा था। बाद में मध्यस्थता पैनल को रिपोर्ट दाखिल करने के लिए एक अगस्त तक का वक्त दिया गया था।
मध्यस्थता पैनल में न्यायमूर्ति कलीफुल्लाह केअलावा अध्यात्मिक गुरु श्री श्री रविशंकर और मध्यस्थता विशेषज्ञ वरिष्ठ वकील श्रीराम पंचू शामिल थे। अधिकतर हिन्दू पक्षकारों का कहना था कि मध्यस्थता के जरिए मामले का समाधान नहीं निकल सकता। लिहाजा अदालत को मेरिट के आधार पर सुनवाई करनी चाहिए। मालूम हो कि शीर्ष अदालत में यह मामला पिछले नौ सालों से लंबित है।

gramyatracg

Related Articles

Check Also
Close