सरकारी होटल प्रबंधन संस्थान पर 13 साल में 24 करोड़ खर्च, एक भी पढक़र न निकला
अजीत जोगी ने उठाया मामला
रायपुर। पर्यटन विभाग के होटल प्रबंधन संस्थान की दुर्दशा का मामला मंगलवार को विधानसभा में उठा। पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी ने कहा कि 13 साल में संस्थान पर करीब 24 करोड़ खर्च हो चुके हैं। मगर, एक भी व्यक्ति यहां से शिक्षित होकर नहीं निकला है। मंत्री का जवाब शर्मसार करने वाला है। उन्होंने सुझाव दिया कि नोएडा के राष्ट्रीय संस्थान से यहां के प्रबंधन संस्थान को मान्यता दिलाने के लिए पहल करनी चाहिए ताकि इसका उपयोग हो सके। पर्यटन मंत्री ताम्रध्वज साहू ने अपव्यय को माना और भरोसा दिलाया कि जो भी बेहतर हो सकेगा, वह किया जाएगा।
प्रश्नकाल में जनता कांग्रेस के सदस्य श्री जोगी ने यह मामला उठाया है। इसके जवाब में पर्यटन मंत्री ने बताया कि होटल प्रबंधन खानपान तकनीकी एवं अनुप्रयुक्त पोषाहार संस्थान का पंजीयन रजिस्ट्रार, फर्म एवं सोसायटी रायपुर में 6 जून 2006 को हुआ था। संस्थान ने अब तक शिक्षण कार्य प्रारंभ नहीं हुआ है।
उन्होंने यह भी बताया कि होटल प्रबंधन संस्थान ने भवन निर्माण कार्यों पर कुल सकल राशि 20 करोड़ 71 लाख खर्च किए गए हैं और लैब उपकरण सेटअप आदि पर कोई खर्च नहीं हुआ है। पर्यटन मंत्री ने यह भी बताया कि संस्थान की स्थापना से लेकर दिसंबर 2018 तक वेतन भत्तों के मद में पूर्ण राशि 3 करोड़ 31 लाख से अधिक का भुगतान किया गया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने मंत्री के जवाब को शर्मसार करने वाला करार दिया और कहा कि 23 करोड़ खर्च होने के बाद भी एक भी व्यक्ति शिक्षित होकर नहीं निकला है।
उन्होंने कहा कि संस्थान को मान्यता भी नहीं है और इसके लिए नोएडा के राष्ट्रीय संस्थान से मान्यता दिलाने के लिए पहल होनी चाहिए ताकि इसका उपयोग हो सके। पर्यटन मंत्री श्री साहू ने कहा कि हाईकोर्ट में प्रबंधन संस्थान में भर्ती और अन्य विषयों को लेकर प्रकरण चल रहा है। कोर्ट ने इस पर रोक लगा रखी है। जल्द से जल्द प्रकरण के निराकरण कोशिश की जा रही है ताकि मान्यता आदि दिलाने की दिशा में कार्रवाई की जा सके।
पूर्व मुख्यमंत्री श्री जोगी ने इससे संतुष्ट नहीं हुए और कहा कि कोर्ट ने मान्यता दिलाने के लिए कार्रवाई पर रोक नहीं लगाई है। सरकार को नोएडा के राष्ट्रीय संस्थान से मान्यता दिलाने के लिए पहल करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि मान्यता के लिए कैटरिंग लैब आदि का निर्माण करना होगा। पर्यटन मंत्री ने भरोसा दिलाया कि जो भी बेहतर हो सकेगा किया जाएगा।
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भूमिगत सीवरेज परियोजना दिसम्बर तक पूरी होगी
रायपुर।
बिलासपुर में भूमिगत सीवरेज परियोजना की लागत बढ़ने का मामला विधानसभा में छत्तीसगढ़ जनता कांग्रेस के विधायक धर्मजीत सिंह उठाया। उनका का आरोप है कि अफसरों ने डीपीआर से अलग-अलग काम किया है। इसलिए यह योजना 190 करोड़ से बढ़कर 300 करोड़़ रुपए की हो गई। अपने जवाब में मंत्री शिव डहरिया ने इसके पिछली सरकार को जिम्मेदार ठहराया। साथ ही इसे दिसंबर 2019 तक पूरा कराने का आश्वासन दिया। उन्होंने यह भी निर्देश दिए कि इस योजना में लंबे समय से जमे अफसरों को भी हटाया जाएगा। इस पर बिलासपुर विधायक शैलेश पांडेय ने कहा कि ठेकेदार के भागने के चलते काफी काम अधूरा पड़ा है। पूरे शहर में 125 गड्ढे हैं। लोगों की जान खतरे में है। इस पर अफसर ध्यान नहीं दे रहे हैं। इसी बीच सदन में विभागीय मंत्री की जगह दूसरे मंत्री के जवाब देने पर नेता प्रतिपक्ष ने आपत्ति जताई। इस पर पक्ष-विपक्ष दोनों के बीच जमकर बहस हो गई।
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