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क्या फिर बरबसपुर में टीपीनगर बनाने की चल रही तैयारी… हाईकोर्ट के आदेश की अवमानना और लोगों की सेहत से खिलवाड़ न करे निगम प्रशासन, टूटेंगे एनजीटी और पाॅल्यूशन बोर्ड के नियम

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कोरबा। सोशल प्लेटफाॅर्म के साथ इन दिनों विभिन्न मीडिया माध्यमों में एक बार फिर बरबसपुर में नया टीपी नगर बसाने की खबर तेजी से वायरल-शेयर हो रही है। पर अगर ऐसा किया जा रहा है, तो नगर निगम का यह निर्णय किस कदर नुकसानदायक होगा, यह भी सामने आना जरुरी है। यही जरुरत समझते हुए ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक एवं भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ कोरबा के जिलाध्यक्ष अब्दुल सुल्तान ने नगर निगम की आयुक्त को पत्र लिखा है। इसमें बताया गया है कि बरबसपुर में डंपिंग यार्ड और खासकर बायो मेडिकल वेस्ट निपटान स्थल होने से एनजीटी व पाॅल्यूशन बोर्ड के नियमों के तहत यहां आस-पास मानव आबादी, मकान या अन्य निर्माण प्रतिबंधित है। ऐसे में एक बार फिर वही पुराना राग आलापकर आम लोगों की सेहत से खिलवाड़ करना गंभीर परिणाम का सबब बन सकता है। इतना ही नहीं, एनजीटी व पाॅल्यूशन बोर्ड के नियमों के टूटने के साथ हाईकोर्ट बिलासपुर के उस आदेश की अवमानना भी होगी, जिसमें यहां टीपीनगर  बनाने पर  रोक लगाई गई है।

ग्राम बरबसपुर की खसरा नंबर 359 रकबा 72.91 एकड़ भूमि में से 40.36 एकड़ भूमि प्रस्तावित परिवहन नगर के संबंध में हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन की मांग करते हुए नगर निगम कोरबा की आयुक्त को यह पत्र ग्राम यात्रा छत्तीसगढ़ न्यूज नेटवर्क के संपादक एवं भारती श्रमजीवी पत्रकार संघ कोरबा के जिलाध्यक्ष अब्दुल सुल्तान ने लिखा है। श्री सुल्तान बताया है कि नगर पालिक निगम कोरबा को शासन से ग्राम बरबसपुर में खसरा नंबर 359 रकबा 72.91 एकड़ भूमि आवंटित है। इसमें से 32.55 एकड़ भूमि में नगर निगम कोरबा के द्वारा शहरी क्षेत्रों के ठोस अपशिष्ट प्रबंधन अर्थात वेस्ट मटेरियल (कचरा) के लिए वर्ष 2016 में डंपिंग यार्ड से बनाया गया और तब से यहां शहर का कचरा निपटान किया जा रहा है। श्री सुल्तान ने बताया कि इसी स्थान पर ही जिले के मेडिकल काॅलेज सह जिला चिकित्सालय समेत शासकीय व निजी अस्पतालों, क्लीनिक, नर्सिंग होम्स, पैथोलैब को संयुक्त जैव चिकित्सा अपशिष्ट उपचार सुविधा के लिए भी 0.1 एकड़ भूमि आवंटित किया गया है। शेष 40.36 एकड़ भूमि यहां प्रस्तावित परिवहन नगर के लिए आवंटित किया गया है। ऐसे क्षेत्रों को नेशनल ग्रीन ट्रिब्यूनल तथा स्टेट पाॅल्यूशन कंट्रोल बोर्ड के मानक अनुसार भी 200 मीटर से 500 मीटर तक में आगामी 30 वर्षों तक के लिए नो डेवलपमेंट एरिया घोषित किया गया है। जहां पर किसी प्रकार के आवासीय प्रोजेक्ट या मकान का निर्माण या खेती तक पर रोक है। यह आम जनता के रहने योग्य नहीं है। बावजूद इसके प्रतिबंध दरकिनार कर अगर यह किया जाता है, तो मानव शरीर और सेहत पर इस क्षेत्र में हो रहे बायो मेडिकल वेस्ट निपटान की कार्यवाही से गंभीर असर तो होगा ही, गंभीर बीमारी भी उत्पन्न हो सकती है। श्री सुल्तान ने बताया कि इस संबंध में जनहित को ध्यान रखते हुए उन्होंने उच्च न्यायालय बिलासपुर में याचिका दायर की थी। इस पर न्यायाधीश हाईकोर्ट विलासपुर द्वारा स्पष्ट आदेश पारित किया गया है। जिसके परिपालन के संबंध में श्री सुल्तान ने पूर्व में भी आयुक्त नगर पालिक निगम, कोरबा को पत्र लिखकर अवगत कराया गया था। वर्तमान में विभिन्न मीडिया माध्यमों व समाचारों से जानकारी सामने आई है कि निगम प्रशासन द्वारा पुनः बरबसपुर के उक्त स्थल पर प्रस्तावित नया परिवहन नगर के कार्य को आगे बढ़ाया जा रहा है। यह प्रक्रिया अगर की जा रही है तो हाईकोर्ट बिलासपुर के आदेश की स्पष्ट अवमानना होगी। इस ओर ध्यानाकर्षित कराते हुए आयुक्त से निवेदन किया गया है कि प्रस्तावित नया ट्रांसपोर्ट नगर को उक्त स्थान से हटाकर किसी अन्य जगह चयनित किया जाए।

….ऐसे में पूरे शहर का चक्कर लगाएंगे संयंत्रों के सैकड़ों भारी वाहन

जिले में स्थापित संयंत्र बालको, इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन में कोल परिवहन सड़क मार्ग से दक्षिण-पूर्व प्रक्षेत्र से ही होता है। दूसरी ओर बरबसपुर दक्षिण दिशा में है जिससे परिचालन में वाहनों को शहर के दूसरी ओर की परिक्रमा पूरी कर आना पड़ेगा। इससे कोरबा शहर में भारी वाहनों का दवाव अत्यधिक बढ़ जाएगा। निवेदन किया गया है कि उपरोक्त सभी तथ्यों को ध्यान में रखते हुए प्रस्तावित परिवहन नगर को बरबसपुर से कहीं अन्यत्र शहर से सुविधा जनक स्थान पर निर्माण किया जाना जनहित में नितांत आवश्यक है, ताकि शहर के लोगों को रोजगार, व्यवस्थापन तथा आने जाने में सुविधा जनक हो सके। नगर पालिक निगम का यह दायित्व बनता है कि इस संबंध में दैनिक समाचार पत्रों में विज्ञापन के माध्यम से उक्त स्थान के संबंध में जनहित में कोरबा की जनता के लिए सूचना प्रकाशित कराया जाना चाहिए। जिससे लोगों को भी एनजीटी एवं स्टेट पाॅल्यूशन कन्ट्रोल बोर्ड के नियम और हाईकोर्ट बिलासपुर के आदेश से अवगत कराया जाना चाहिए। ताकि आम जनता उक्त स्थान पर जमीनों की खरीदी-बिक्री न करें। धन-हानि और परेशानी से बचा जा सके।

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