अजय चंद्राकर के ‘आदिवासी मंत्री’ बोलने पर सदन में बवाल
अजीत जोगी ने दी मांफी मांगने की नसीहत
रायपुर। छत्तीसगढ़ विधानसभा में प्रश्नकाल के दौरान सदन में विधायक एवं पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर द्वारा ‘आदिवासी मंत्री’ बोले शब्द का उपयोग करने पर हंगामा हो गया। मंत्री अमरजीत भगत को लेकर जातिगत टिप्पणी की जिसके बाद हंगामा शुरू हुआ। भाजपा विधायक ने मंत्री अमरजीत भगत को बोलिए आदिवासी मंत्री कह दिया। इसके बाद सदन में जोरगार हंगामा हुआ। सत्ता पक्ष के सदस्यों ने भाजपा सदस्य अजय चंद्राकर से माफी मांगने की मांग और आदिवासियों को अपमान करना बंद करो के नारे लगाने लगे।
आदिवासी मंत्री के संबोधन के मुद्दे पर अजय चंद्राकर पर सत्ता पक्ष इस कदर नाराज हुआ कि जोरदार नारेबाजी शुरू हो गयी। सत्ता पक्ष इस बात अड़ गया कि सदन में अजय चंद्राकर अपनी बातों के लिए माफी मांगनी चाहिये। हंगामा बढ़ता देख विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत ने ये कहकर शांत कराने की कोशिश की। अगर ऐसे शब्दों का इस्तेमाल हुआ है तो वो प्रोसीडिंग में इसे देखवा लेंगे और जरूरत पड़ी तो विलोपित भी करवा देंगे।
विधानसभा अध्यक्ष के इस आश्वासन के बाद भी हंगामा जारी रहा। सत्ता पक्ष जोरदार नारेबाजी करने लगा, तो नारेबाजी के बीच में ही शिव डहरिया और अमरजीत भगत ने अजय चंद्राकर पर निशाना साधना शुरू कर दिया। अमरजीत भगत ने कहा कि आदिवासी मंत्री बोलो, ऐसे कहने का हक उन्हें किसने दिया, ये दादागिरी करेंगे क्या?
मामला शांत न होते देख विधानसभा अध्यक्ष ने पूर्व मुख्यमंत्री और जेसीसीजे प्रमुख अजीत जोगी से कहा आपसे एक्सपर्ट व्यू की अपेक्षा है। इसके बाद अजीत जोगी ने अजय चंद्राकर को माफी मांगने की नसीहत दी। एक्पर्ट ओपिनियन में अजीत जोगी ने कहा, जातिवादक शब्द को उपयोग न करें। अजय कह दें कि प्रवाह में बोलते हुए उनसे हो गया, इससे उनका कद बढ़ेगा। अजीत जोगी ने कहा, जातिसूचक बातें नहीं होनी चाहिए। अजय बहुत वरिष्ठ सदस्य हैं उन्हें अपने शब्द वापस लेना चाहिए। इससे उनका कद बढ़ेगा ही और घटेगा नहीं।
अजीत जोगी के बात खत्म करने पर अध्यक्ष ने कहा- एक्सपर्ट व्यू के बाद अजय चंद्राकर को अपनी बात कहनी चाहिए। अजय चंद्राकर ने कहा, अब कभी इस तरह के शब्दों का प्रयोग नहीं किया जाना चाहिए, यह भी देखा जाना चाहिए कि इस तरह के शब्दों का प्रयोग कब से और किन संदर्भों में किया गया है। अगर मेरे माफी मांगने से प्रदेश की संस्कृति की रक्षा होती है और संसदीय परंपराएं मजबूत होती हैं तो मैं सौ बार माफी मांगने को तैयार हूं।
नमस्कार
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