May 11, 2025 |

NEWS FLASH

Latest News
दो वर्षीय दीप्ती दत्तक ग्रहण प्रक्रिया में, 30 दिनों के भीतर करें दावा आपत्तिप्रधानमंत्री ने CDS और सेना प्रमुखों संग की अहम बैठक, सीमावर्ती जिलों में हालात सामान्यअनियंत्रित होकर पलटी बस, कई यात्री घायल…नहीं रहा नंदनवन का ‘नरसिंह’, बीमार तेंदुए ने ली अंतिम सांसबंगलादेशी घुसपैठियों, अवैध रूप से निवास कर रहे अप्रवासियों तथा बिना वैध दस्तावेजों के रहने वाले अनाधिकृत व्यक्तियों की पहचान हेतु चलेगा विशेष अभियानपीएम जनमन और धरती आबा जनजातीय ग्राम उत्कर्ष अभियान ने आदिम वर्ग के विकास को दी है नई ऊंचाई : सोमनणि बोराहितग्राहियों को विभिन्न योजनाओं से किया गया लाभान्वितबेमेतरा में पीएम आवास के नाम से 10-10 हजार रु. की रिश्वतमुख्यमंत्री साय ने जिला अस्पताल का किया औचक निरीक्षण, मरीजों से की संवादपत्रकार सुरक्षा कानून लागू करने पत्रकार सुरक्षा समिति ने राज्यपाल के नाम विधायक को सौंपा ज्ञापन
रोचक तथ्य

मकर संक्रांति का महापर्व : जानिए क्‍या, क्‍यों और कैसे?

Gram Yatra Chhattisgarh
Listen to this article

हिन्‍दू धर्म में माह को दो पक्षों में बांटा गया है: कृष्ण पक्ष और शुक्‍ल पक्ष। ठीक इसी तरह से वर्ष को भी दो अयनों में बांटा गया है: उत्‍तरायण और दक्षिणायण। यदि दोनों को मिला दिया जाए तो एक वर्ष पूर्ण हो जाता है।
पौष मास में जब सूर्य धनु राशि को छोड़कर मकर राशि में प्रवेश करता है, तब मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता है और सूर्य धनु राशि से मकर राशि में प्रवेश करता है इसीलिए इसे मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। यह एकमात्र ऐसा त्‍योहार है, जिसे संपूर्ण भारतवर्ष में मनाया जाता है, चाहे इसका नाम व मनाने तरीका कुछ भी हो।
वैसे तो यह पर्व जनवरी माह की 14 तारीख को मनाया जाता है, लेकिन कभी-कभी यह त्‍योहार
12, 13 या 15 तारीख को भी मनाया जाता है क्‍योंकि यह त्‍योहार पूरी तरह से सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करने के दिन मनाया जाता है और सूर्य सामान्‍यत: 12, 13, 14 या 15 जनवरी में से किसी एक दिन ही मकर राशि में प्रवेश करता है। इस बार भी यह पर्व 15 को ही मनाया जाएगा।
मकर संक्रांति के दिन से सूर्य की उत्‍तरायण गति प्रारंभ हो जाती है इसलिए मकर संक्रांति को उत्‍तरायण भी कहते हैं।
हिन्‍दु धर्म की मान्‍यताओं के अनुसार इस दिन भगवान विष्‍णु ने असुरों का अंत कर उनके सिरों को मंदार पर्वत में दबाकर युद्ध समाप्ति की घोषणा की थी। इसलिए इस मकर संक्रांति के दिन को बुराइयों और नकारात्‍मकता को समाप्‍त करने का दिन भी मानते हैं।
इस त्‍योहार को अलग-अलग प्रांतों में अलग-अलग नामों से मनाया जाता है। तमिलनाडु में इसे पोंगल के रूप में, तो आंध्रप्रदेश, कर्नाटक और केरला में केवल संक्रांति के नाम से मनाया जाता है जबकि बिहार और उत्‍तरप्रदेश में इस त्‍योहार को खिचड़ी के नाम से जाना जाता है।
उत्‍तरायण को देवताओं का दिन अर्थात् सकारात्‍मकता का प्रतीक माना जाता है। इसीलिए इस दिन जप, तप, दान, स्‍नान, श्राद्ध, तर्पण आदि धार्मिक क्रियाकलापों को विशेष महत्‍व दिया जाता है।
क्‍यों मनाते हैं मकर संक्रांति
यह माना जाता है कि भगवान सूर्य अपने पुत्र शनि से मिलने स्‍वयं उनके घर जाते हैं और शनि मकर राशि के स्‍वामी है। इसलिए इस दिन को मकर संक्रांति के नाम से जाना जाता है। पवित्र गंगा नदी का भी इसी दिन धरती पर अवतरण हुआ था, इसलिए भी मकर संक्रांति का पर्व मनाया जाता हैं।
महाभारत में पितामाह भीष्‍म ने सूर्य के उत्‍तरायण होने पर ही स्‍वेच्‍छा से शरीर का परित्‍याग किया था। इसका कारण यह था कि उत्‍तरायण में देह छोड़ने वाली आत्‍माएं या तो कुछ काल के लिए देवलोक में चली जाती है या पुनर्जन्‍म के चक्र से उन आत्‍माओं को छुटकारा मिल जाता है। जबकि दक्षिणायण में देह छोड़ने पर आत्‍मा को बहुत काल तक अंधकार का सामना करना पड़ सकता है।
स्‍वयं भगवान श्री कृष्‍ण ने भी उत्‍तरायण का महत्‍व बताते हुए कहा है कि उत्‍तरायण के 6 मास के शुभ काल में जब सूर्य देव उत्‍तरायण होते हैं और पृथ्‍वी प्रकाशमय रहती है तो इस प्रकाश में शरीर का परित्‍याग करने से व्‍यक्ति का पुनर्जन्‍म नहीं होता है और ऐसे लोग सीधे ही ब्रह्म को प्राप्‍त होते हैं। इसके विपरीत जब सूर्य दक्षिणायण होता है और पृथ्‍वी अंधकार मय होती है तो इस अंधकार में शरीर त्‍याग करने पर पुन: जन्‍म लेना पड़ता है।
अनेक स्थानों पर इस त्‍योहार
पर पतंग उड़ाने की परंपरा प्रचलित है। लोग दिन भर अपनी छतों पर पतंग उड़ाकर हर्षोउल्‍लास के साथ इस उत्सव का मजा लेते हैं। विशेष रूप से पतंग उड़ाने की प्रतियोगिताएं भी आयोजित की जाती हैं। पतंग उड़ाने के पीछे धार्मिक कारण यह है कि श्रीराम ने भी पतंग उड़ाई थी। गुजरात व सौराष्‍ट्र में मकर संक्रांति पर कई दिनों का अवकाश रहता है और यहां इस दिन को भारत के किसी भी अन्‍य राज्‍य की तुलना में अधिक हर्षोल्‍लास से मनाया जाता है।
पौष मास की सर्दी के कारण हमारा शरीर कई तरह की बीमारियों से ग्रसित हो जाता है, जिसका हमें पता ही नहीं चलता और इस मौसम में त्वचा भी रुखी हो जाती है। इसलिए जब सूर्य उत्तरायण होता है, तब इसकी किरणें हमारे शरीर के लिए औषधि का काम करती है और पतंग उड़ाते समय हमारा शरीर सीधे सूर्य की किरणों के संपर्क में आता है, जिससे अनेक शारीरिक रोग जो हम जानते ही नहीं हैं वे स्वत: ही नष्ट हो जाते हैं।
मकर संक्रांति के दिन क्‍यों खातें हैं तिल और गुड़
भारत में हर त्योहार पर विशेष पकवान बनाने व खाने की परंपराएं भी प्रचलित हैं। इसी श्रृंखला में मकर संक्रांति के अवसर पर विशेष रूप से तिल व गुड़ के पकवान बनाने व खाने की परंपरा है। कहीं पर तिल व गुड़ के स्वादिष्ट लड्डू बनाए जाते हैं तो कहीं चक्की बनाकर तिल व गुड़ का सेवन किया जाता है। तिल व गुड़ की गजक भी लोग खूब पसंद करते हैं लेकिन मकर संक्रांति के पर्व पर तिल व गुड़ का ही सेवन क्‍यों किया करते है इसके पीछे भी वैज्ञानिक आधार है।
सर्दी के मौसम में जब शरीर को गर्मी की आवश्यकता होती है तब तिल व गुड़ के व्यंजन यह काम बखूबी करते हैं, क्‍योंकि तिल में तेल की प्रचुरता रहती है जिसका सेवन करने से हमारे शरीर में पर्याप्त मात्रा में तेल पहुंचता है और जो हमारे शरीर को गर्माहट देता है। इसी प्रकार गुड़ की तासीर भी गर्म होती है। तिल व गुड़ को मिलाकर जो व्यंजन बनाए जाते हैं वह सर्दी के मौसम में हमारे शरीर में आवश्यक गर्मी पहुंचाते हैं। यही कारण है कि मकर संक्रांति के अवसर पर तिल व गुड़ के व्यंजन प्रमुखता से खाए जाते हैं।
हमारे देश में मकर संक्रांति के पर्व को कई नामों से जाना जाता है। पंजाब और जम्‍मूकश्‍मीर में इसे लोहड़ी के नाम से बहुत ही बड़े पैमाने पर जाना जाता है। लोहड़ी का त्‍यौहार मकर संक्रांति के एक दिन पूर्व मनाया जाता है। जब सूरज ढल जाता है तब घरों के बाहर बड़े-बड़े अलाव जलाए जाते हैं और स्‍त्री तथा पुरूष सज-धजकर नए-नए वस्‍त्र पहनकर एकत्रित होकर उस जलते हुए अलाव के चारों और भांगड़ा नृत्‍य करते हैं और अग्नि को मेवा, तिल, गजक, चिवड़ा आदि की आहुति भी देते हैं।
देर रात तक सभी लोग नगाड़ों की ध्‍वनि के बीच एक लड़ी के रूप में यह नृत्‍य करते हैं। उसके बाद सभी एक-दूसरे को लोहड़ी की शुभकामनाएं देते हुए आपस में भेंट बांटते हैं और प्रसाद वितरण भी करते हैं। प्रसाद में मुख्‍य पांच वस्‍तुएं होती है जिसमें तिल, गुड़, मूंगफली, मक्‍का और गजक।

gramyatracg

Related Articles

Check Also
Close