सांसद ज्योत्सना महंत को डीएमएफ गवर्निंग कमेटी में जगह नहीं, दीपक बैज चार जिलों की कमेटी में
रायपुर। सामान्य लोकसभा सीट कोरबा से जीत कर संसद में पहुंचने वाली ज्योत्सना महंत को कोरबा जिले की डिस्ट्रिक्ट माईनिंग फंड डीएमएफ गवर्निंग कमेटी में जगह नहीं मिल पाई। जबकि, बस्तर के सांसद दीपक बैज को चार जिलों की डीएमएफ कमेटी का मेम्बर बनाया गया है। ज्योत्सना की सिफारिश कोरबा के प्रभारी मंत्री और डीएमएफ के चेयरमैन प्रेमसाय सिंह ने की थी। लेकिन, मंत्रालय से जब सूची जारी हुई तो ज्योत्सना का नाम गायब था। छत्तीसगढ़ में कोरबा में सबसे अधिक करीब 700 करोड़ का डीएमएफ है।
ज्ञातव्य है, सरकार की कमान संभालने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल डीएमएफ नीतियों की खामियों को दूर करने में जुटे हुए हैं। उनकी पहल पर ही डीएमएफ से कलेक्टरों को हटाकर प्रभारी मंत्रियों को चेयरमैन बनाया गया है। साथ ही कमेटी में जनप्रतिनिधियों की संख्या बढ़ाई जा रही है। ताकि, किसी की मोनोपल्ली न चल सकें। सीएम चाहते हैं कि खनन प्रभावित इलाके के लोगों को डीएमएफ का वाजिब हक मिल सकें। सीएम के तीखे तेवर के बाद डीएमएफ की गड़बड़ियों पर लगाम लगा भी लगा है। पिछली सरकार में डीएमएफ में बड़े पैमाने पर गोलमाल हुआ था।
सरकार के सख्त तेवर के बाद अब डीएमएफ कमेटी में अपने लोगों को बिठाए जाने का खेल प्रारंभ हो गया है। ताकि, नई नीतियों में चतुराई के साथ छेद करते हुए अपनी झोली भरी जा सकें। आलम यह हो गया कि कोरबा की महिला सांसद को इस कमेटी में नहीं रखा गया है। जानकार बताते हैं, कोरबा के पूर्व प्रभारी मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने डीएमएफ कमेटी में जनप्रतिनिधि कोटे से कोरबा की महापौर रेणु अग्रवाल, नगर निगम के सभापति धुरपाल सिंह और करतला जनपद अध्यक्ष धनेश्वरी कंवर के नाम की सिफारिश की थी। मंत्रालय से उनका नाम जारी होता, तब तक सरकार ने प्रभारी मंत्रियों को बदल दिया। जयसिंह की जगह प्रेमसाय सिंह कोरबा के प्रभारी मंत्री बन गए। तब तक लोकसभा चुनाव के नतीजे आ गए थे। ज्योत्सना महंत कोरबा की सांसद बन गईं थी। लिहाजा, प्रभारी मंत्री ने डीएमएफ के लिए नई सूची भेजी, जिसमें लोकल सांसद के नाते ज्योत्सना महंत का नाम शामिल था। लेकिन, मंत्रालय से जब 21 जिलो के डीएमएफ के लिए जब सूची जारी हुई, तो ज्योत्सना का नाम नहीं था। याने जय सिंह अग्रवाल की सिफारिश वाले नाम ओके कर दिए गए। जाहिर है, इससे कोरबा जिले में हड़कंप मचना ही था।
वहीं, आश्चर्य की बात यह है कि बस्तर के सांसद दीपक बैज को चार जिलों की कमेटियों में रखा गया है। वे बस्तर, दंतेवाड़ा, सुकमा और दंतेवाड़ा डीएमएफ कमेटी के मेम्बर बनाए गए हैं। कोरबा संसदीय क्षेत्र में भी तीन जिले आते हैं। कोरबा, कोरिया और बिलासपुर। कोरिया और बिलासपुर को तो छोड़िये, कोरबा की कमेटी में भी वे नहीं रहीं। गवर्निंग कमेटियों के लिए तीन साल के लिए नियुक्ति की गई है। इसलिए, कोरबा के लिए घोषित तीन में से किसी का नाम हटाया भी नहीं जा सकता।
21 जिलों के डीएमएफ गवर्निंग कमेटी के जनप्रतिनिधियों के नाम जारी किया गया हैं।
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