बिलासपुर। दो माह से सोशल मीडिया पर हथियार लहराकर शहर में खौफ पैदा करने वाले आदतन चोर रितेश पाण्डेय उर्फ लुटू पांडेय अब खुलेआम गुंडागिरी कर रहे हैं। जेल से रिहा होकर नशे के कारोबार में लौटे लुटू ने पिता-बेटे की गैंग बनाकर चोरी और नशे की बिक्री का नेटवर्क खड़ा किया था। फरारी के बाद वह एवं उसके साथी इंस्टाग्राम और फेसबुक पर पिस्टल दिखाकर भाजपा नेताओं, प्रेस कर्मियों और आम व्यक्तियों को जान से मारने की धमकी दे रहे हैं, जबकि पुलिस की सक्रियता न के बराबर दिख रही है।
मामला क्यों खतरनाक है
यह मामला सिर्फ एक उपद्रवी की हिम्मत का नहीं है — यह स्थानीय कानून-व्यवस्था और पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े करने वाला है। सूत्रों के मुताबिक लुटू पांडेय ने चोरी के दौरान अवैध पिस्टल प्राप्त की, और अब वह न सिर्फ हथियारों की नुमाइश कर रहा है बल्कि खुलेआम गोली मारने की बात भी कर रहा है। वहीं, फरार नशीली दवाओं का तस्कर शिवम मिश्रा के साथ उसकी सांठ-गांठ बतायी जा रही है; कहा जाता है कि बनारस से ब्राउन शुगर, कफ सिरप व नींद की गोली जैसी सामग्री की सप्लाई चल रही है।
पिछला हादसा और गिरोह का खुलासा
कुछ माह पहले दुर्ग पुलिस ने लुटू के गिरोह का पर्दाफाश किया था; उस कार्रवाई में उसके कई सहयोगी तथा परिवार के सदस्य गिरफ्तार हुए थे। हालांकि जमानत मिलने के बाद लुटू फिर से सक्रिय हो गया और नशे व चोरी के धंधे में शामिल हो गया। पुलिस के कई छापों के बावजूद वह फरार रहने में कामयाब रहा और अब सोशल मीडिया के जरिए खुद को सशक्त दिखाकर खौफ कायम करने की कोशिश कर रहा है।
लोकल फीडबैक : काली ढाबा और संरक्षण के आरोप
स्थानीय लोगों का आरोप है कि शहर के कुछ स्थान—खासकर रायपुर रोड स्थित चर्चित ‘काली ढाबा’—पर अवैध रूप से शराब परोसी जाती है और वहां असामाजिक तत्व रात भर जुटते हैं। कुछ का कहना है कि ढाबा संचालक को विभागीय संरक्षण मिल रहा है, जिस वजह से उस स्थान से जुड़ी शिकायतों पर ठोस कार्रवाई नहीं हुई। ऐसे स्थान अपराधियों के लिए आश्रय और नेटवर्क का काम करते हैं।

शिकायतें दर्ज, पर कार्रवाई की कमी
सोशल मीडिया पोस्ट व धमकियों के खिलाफ विभिन्न थानों में शिकायतें दर्ज कराई गई हैं। बावजूद इसके स्थानीय लोग और पीड़ित आशंकित हैं कि पुलिस अभी तक कठोर कार्रवाई में रुचि नहीं दिखा रही—ऐसा लगता है कि प्रशासन बड़े हादसे का इंतजार कर रहा है। कुछ सूत्रों का कहना है कि पुलिस ने पूर्व में उत्तर प्रदेश व अन्य संभावित ठिकानों पर दबिश दी थी, पर आरोपी मोबाइल बंद कर फरार होने में सफल रहा।
समय पर कार्रवाई जरूरी
जब अपराधी खुलकर सोशल मीडिया पर हथियार दिखाकर धमकी दे रहा हो और स्थानीय शिकायतों के बावजूद संदिग्ध स्थानों पर गतिविधि जारी हो, तो केवल एफआईआर दर्ज करना ही पर्याप्त नहीं है। प्रशासन और पुलिस के लिए यह एक अवसर है कि वे सार्वजनिक तौर पर स्पष्ट कार्रवाई कर अतिरिक्त भय को खत्म करें और नागरिकों को सुरक्षा का भरोसा दें। वरना यह मामला सिर्फ एक वायरल खबर बनकर रह जाएगा — और अगला हादसा आ सकता है।

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