बिलासपुर। छत्तीसगढ़ की ज़मीन एक बार फिर सूफियाना रंग में रंगने जा रही है।
लूतरा शरीफ दरगाह में सूफी संत हुजूर बाबा सैय्यद इंसान अली शाह रहमतुल्लाह अलैह का 67वां सालाना उर्स पाक 9 अक्टूबर से शुरू होगा।
चार दिन तक चलने वाले इस उर्स में देशभर से जायरीन पहुंचेंगे — कोई अकीदा लेकर, कोई दुआ लेकर, और कोई सिर्फ उस रूहानी सुकून की तलाश में जो सिर्फ लूतरा शरीफ जैसी पवित्र धरती पर मिलता है।
दरगाह कमेटी के चेयरमैन इरशाद अली बताते हैं कि इस बार की तैयारियां पहले से ज़्यादा भव्य हैं।
“शासन और प्रशासन ने हर स्तर पर मदद की है। हम चाहते हैं कि हर आने वाला जायरीन यहां से अमन और मोहब्बत का पैगाम लेकर जाए,” उन्होंने कहा।
दरगाह परिसर को रोशनी, रंग-बिरंगे झंडों और सूफियाना माहौल से इस तरह सजाया जा रहा है जैसे एक रूहानी शादी की तैयारी हो।
पहले दिन : परचम कुशाई से होगी शुरुआत, रात को गूंजेगा नातिया मुशायरा
9 अक्टूबर, गुरुवार को सुबह 11 बजे परचम कुशाई के साथ उर्स की शुरुआत होगी।
यह वो लम्हा होता है जब पूरा मैदान “या हजरत!” की आवाज़ों से गूंज उठता है।
दोपहर 3 बजे नागपुर की जमील मैकस मटका पार्टी की अगुवाई में दादी अम्मा का संदल चादर निकलेगा, जो नगर भ्रमण करते हुए दरगाह तक पहुंचेगा।
रात 9 बजे समा महफिल हॉल में ऑल इंडिया नातिया मुशायरा का आयोजन होगा।
देशभर के मशहूर उर्दू शायर — मोहम्मद अली फैज़ी, जैनुल आबेदीन, नदीम रज़ा फैज़ी, गुलाम नूरे मुजस्सम और डॉ. जाहिर रहबर — अपनी कलाम पेश करेंगे।
मुशायरे का संचालन कफील अम्बर खान अशरफी करेंगे। उस रात लूतरा शरीफ की फिज़ा शेर-ओ-नात के सुरों से भर जाएगी।
दूसरे दिन: मज़ार पाक का गुस्ल और शाही संदल
10 अक्टूबर, शुक्रवार को दोपहर 12:40 बजे मज़ार पाक का गुस्ल किया जाएगा।
इसके बाद खम्हरिया मस्जिद से शाही संदल निकलेगा, जिसमें बैंड-बाजों की धुनों के साथ हजारों श्रद्धालु शरीक होंगे।
रात 9 बजे मालेगांव (महाराष्ट्र) से आए मशहूर धर्मगुरु हजरत मौलाना सैय्यद अमीनुल कादरी तकरीर फरमाएंगे — उनका कलाम सुनने हजारों लोग हर साल उमड़ते हैं।
तीसरे दिन: सूफियाना कव्वाली से झूमेगा लूतरा शरीफ
11 अक्टूबर, शनिवार की रात दरगाह के सामने बने वन विभाग गार्डन में सूफियाना कव्वाली की रंगीन महफिल सजेगी।
मुंबई के मशहूर कव्वाल मुज्तबा अजीज नाज़ा और राजस्थान सरवार शरीफ के सूफी ब्रदर्स दिलशाद व इरशाद साबरी अपनी प्रस्तुति देंगे।
रात के सन्नाटे में जब “दमादम मस्त कलंदर” गूंजेगा तो लूतरा शरीफ की मिट्टी भी झूम उठेगी।
चौथा दिन: रंग की महफिल और कुल की फातिहा से समापन
12 अक्टूबर, रविवार को उर्स का समापन रंग की महफिल और कुल की फातिहा से होगा।
इस मौके पर दिलशाद-इरशाद साबरी फिर एक बार कव्वाली से समा बांधेंगे।
कुल की फातिहा जाइस किछौछा (उत्तरप्रदेश) के हजरत मौलाना सैय्यद मोहम्मद सलमान अशरफ साहब की अगुवाई में अदा की जाएगी।
इस दौरान पूरे देश और प्रदेश में अमन, भाईचारे और इंसानियत की दुआ मांगी जाएगी।
लंगर, वालेंटियर्स और बच्चों की तालीम का संदेश
दरगाह कमेटी ने उर्स के दौरान 24 घंटे शुद्ध शाकाहारी शाही लंगर की व्यवस्था की है।
सुबह-शाम चाय और नाश्ते का सिलसिला भी बिना रुके चलता रहेगा।
करीब 200 वालेंटियर्स पूरी व्यवस्था संभालेंगे, वहीं डीजे साउंड पर सख्त रोक रहेगी ताकि सूफियाना माहौल बना रहे।
इस बार उर्स में एक खूबसूरत पहल भी की जा रही है —
12 साल तक के बच्चों को कॉपी, पेन और पेंसिल किट बांटी जाएगी।
कमेटी का संदेश है —
“दो रोटी कम खाओ, लेकिन बच्चों को खूब पढ़ाओ।”
यह अभियान उर्स को सिर्फ धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक संदेश में तब्दील कर देता है।
आयोजन समिति की मेहनत
पूरे आयोजन को सफल बनाने में इरशाद अली (चेयरमैन), मोहम्मद सिराज (उपाध्यक्ष), रियाज अशरफी (सेक्रेटरी), हाजी गुलाम रसूल (नायब सेक्रेटरी), रोशन खान (खजांची) और सदस्य हाजी अब्दुल करीम बेग, फिरोज खान, हाजी मोहम्मद जुबेर, महबूब खान, मोहम्मद कुद्दूस, अब्दुल रहीम, सहित स्थानीय मुस्लिम जमात, व्यापारी और पंचायत प्रतिनिधि लगातार सक्रिय हैं।
लूतरा शरीफ का यह उर्स सिर्फ एक धार्मिक पर्व नहीं, बल्कि इंसानियत, मोहब्बत और तालीम की उस मशाल का नाम है,
जो साल दर साल और उजली होती जा रही है।

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