छत्तीसगढ़

कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर ग्रामीण युवाओं और महिलाओं को मिल रहे रोजगार के अवसर

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बिलासपुर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान से (RSETI) ग्रामीण क्षेत्रे के बेरोजगार युवाओं और महिलाओं को आत्मनिर्भर बनने के अवसर मिल रहे हैं। केन्द्र से विभिन्न विधाओं में कौशल प्रशिक्षण प्राप्त कर युवा स्वरोजगार से आत्मनिर्भर बन रहे हैं।

प्रशिक्षण के पश्चात् बैंक लिंक के माध्यम से उन्हें ऋण की सुविधा भी दी जा रही है। विशेषकर बीपीएल कार्डधारी परिवारों के लिए यह संस्थान वरदान बनकर सामने आया है जहां उन्हें सभी सुविधाएं निःशुल्क मिल रही है। संस्थान में इन दिनों राज मिस्त्री का प्रशिक्षण दिया जा रहा है जिसमें 22 महिलाएं शामिल है, स्व सहायता समूह की ये महिलाएं न सिर्फ दीवारें बना रही हैं, बल्कि अपने भविष्य की नींव भी मजबूत कर रही हैं। महिलाओं ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय का आभार जताते हुए कहा कि शासन की योजनाओं से अब ग्रामीण महिलाएं भी आगे बढ़ रही है।

कोनी स्थित प्रशिक्षण केंद्र में एक माह के राज मिस्त्री प्रशिक्षण के लिए आई ग्राम तुर्काडीह की ममता यादव और गायत्री खांडे ने बताया कि उन्हें यहां न सिर्फ व्यावसायिक ज्ञान मिल रहा है, बल्कि आत्मविश्वास भी बढ़ रहा है। हमने कभी नहीं सोचा था कि हम जैसे ग्रामीण महिलाएं भी तकनीकी प्रशिक्षण प्राप्त कर सकती हैं और कुछ कर सकती हैं, ममता ने कहा। अब हम खुद भी काम कर सकेंगे और दूसरों को भी सिखा सकेंगे। ग्राम मानिकपुरी की शांता मरावी ने बताया कि वह स्वयं की आजीविका कमाना चाहती थीं, उन्हें जब स्व सहायता समूह से इस प्रशिक्षण की जानकारी मिली, तो उन्होंने तुरंत भाग लेने का निर्णय लिया। शांता कहती हैं, यहां रहने और खाने की बहुत अच्छी व्यवस्था है और वह भी पूरी तरह मुफ्त। इससे हम पूरे ध्यान से प्रशिक्षण ले पा रहे हैं,जिसके बाद हमें अपने गांव में ही प्रधानमंत्री आवास योजना ग्रामीण के तहत बनने वाले आवास में काम मिल सकेगा।

एसबीआई ग्रामीण स्वरोजगार प्रशिक्षण संस्थान के निदेशक नरेंद्र साहू ने बताया कि संस्थान का मुख्य उद्देश्य ग्रामीण क्षेत्रों में रह रहे बीपीएल परिवारों को व्यावसायिक रूप से दक्ष बनाना और उन्हें आर्थिक रूप से सशक्त बनाना है। यहां 18 वर्ष से ऊपर के  बीपीएल परिवारों के ग्रामीण युवा और महिलाएं, जो बेरोजगार हैं, उन्हें विभिन्न ट्रेडों में प्रशिक्षण दिया जाता है। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद उन्हें बैंकों से जोड़ा जाता है, जिससे वे स्वरोजगार के लिए ऋण ले सकें।

साथ ही हम तकनीकी सहयोग प्रशिक्षण के बाद भी जारी रखते हैं। उन्होंने यह भी बताया कि संस्थान हर साल 1000 से अधिक लाभार्थियों को प्रशिक्षण देता है। यहां प्रशिक्षण लेने वाले युवक और महिलाएं दर्जी, ब्यूटी पार्लर, मशरूम उत्पादन, पशुपालन, जैविक खेती, फोटोग्राफी, वीडियोग्राफी, बेकिंग, कुकिंग, बागवानी, ज्वेलरी मेकिंग, मोबाइल रिपेयरिंग जैसे अनेक क्षेत्रों में दक्षता हासिल कर रहे हैं।

सरकार के आत्मनिर्भर भारत अभियान के उद्देश्य को सार्थक करता यह संस्थान ग्रामीण समुदायों को नई दिशा दे रहा है। महिलाएं, जो कभी घरेलू कामों तक सीमित थीं, अब ईंट-गारे से लेकर निर्माण योजनाओं में योगदान दे रही हैं। इससे न सिर्फ उनका आत्मविश्वास बढ़ा है, बल्कि गांवों में भी महिलाओं के प्रति  दृष्टिकोण में सकारात्मक बदलाव आ रहा है। संस्थान द्वारा दिए जा रहे प्रशिक्षण से ग्रामीण महिलाएं और युवाओं को आत्मनिर्भर बनने के अवसर मिल रहे है जिससे न केवल उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार आ रहा है साथ ही देश की आर्थिक तरक्की में  भी वे अब अहम भूमिका निभा रहे हैं।

 
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