कुसमुंडा में आदिवासी परिवार पर अत्याचार: जय सिंह अग्रवाल के संरक्षण में सुरजीत सिंह की दबंगई, न्याय की आस में भटक रहा पीड़ित परिवार
सुरजीत सिंह, जो पूर्व राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल का करीबी और कांग्रेस का नेता है, ने इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। 3 अक्टूबर 2024 को, जब मिथलेश अपनी पत्नी के साथ मकान में शिफ्ट हो रहे थे, तो सुरजीत सिंह, मिलन पाण्डेय, और अनंत त्रिपाठी ने अपने साथियों के साथ पहुंचकर हमला किया। आरोप है कि मिथलेश की पत्नी के साथ मारपीट की गई और उन्हें गंभीर चोटें आईं।
कोरबा (कुसमुंडा): कुसमुंडा क्षेत्र में आदिवासी कर्मचारी मिथलेश कुमार और उनकी पत्नी न्याय के लिए दर-दर भटकने को मजबूर हैं। आरोप है कि कांग्रेस नेता और पूर्व विधायक प्रतिनिधि सुरजीत सिंह, जिसे पूर्व राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल का संरक्षण प्राप्त है, ने श्रमिक नेता मिलन पाण्डेय और अनंत त्रिपाठी के साथ मिलकर न केवल उनके साथ मारपीट की, बल्कि जातिसूचक गालियां देकर उन्हें मानसिक और शारीरिक रूप से प्रताड़ित किया। मामला अब गंभीर होता जा रहा है, लेकिन आरोपी रसूख और सत्ता का इस्तेमाल कर पीड़ित परिवार पर दबाव बना रहे हैं।
कैसे हुआ विवाद शुरू?
मिथलेश कुमार, जो एसईसीएल कुसमुंडा परियोजना में सरफेस ऑपरेटर के पद पर कार्यरत हैं, ने मकान की जरूरत जताई थी। श्रमिक नेता मिलन पाण्डेय ने विकास नगर स्थित मकान M/116 को खाली कराने और आवंटित कराने का वादा किया। इसके लिए मिथलेश से ₹40,000 की रकम रिटायर्ड कर्मचारी सुधीर राठौर के बेटे के खाते में जमा करवाई गई।
इसके बाद मकान का आवंटन मिथलेश के नाम पर हो गया, लेकिन सुधीर राठौर ने मकान खाली करने से इनकार कर दिया। उल्टा, मिथलेश से ₹2 लाख और वसूले गए। जब मिथलेश ने मकान खाली करने की मांग की, तो उन्हें बार-बार जातिसूचक गालियां दी गईं।
सत्ता का खेल: जय सिंह अग्रवाल का संरक्षण प्राप्त सुरजीत सिंह
सुरजीत सिंह, जो पूर्व राजस्व मंत्री जय सिंह अग्रवाल का करीबी और कांग्रेस का नेता है, ने इस पूरे प्रकरण में सबसे बड़ी भूमिका निभाई। 3 अक्टूबर 2024 को, जब मिथलेश अपनी पत्नी के साथ मकान में शिफ्ट हो रहे थे, तो सुरजीत सिंह, मिलन पाण्डेय, और अनंत त्रिपाठी ने अपने साथियों के साथ पहुंचकर हमला किया। आरोप है कि मिथलेश की पत्नी के साथ मारपीट की गई और उन्हें गंभीर चोटें आईं।
यह स्पष्ट है कि सुरजीत सिंह को जय सिंह अग्रवाल का पूर्ण संरक्षण प्राप्त है, जिससे वह पुलिस और प्रशासन पर भी दबाव बना रहा है।
पुलिस की भूमिका और रसूख का दबाव
पहले पुलिस ने मामूली धाराओं में मामला दर्ज किया, लेकिन बाद में एससी-एसटी एक्ट की धाराएं जोड़ी गईं। बावजूद इसके, सुरजीत सिंह और उसके साथी अपने रसूख का इस्तेमाल कर पुलिस और प्रशासन को प्रभावित कर रहे हैं। पीड़ित परिवार को लगातार धमकियां दी जा रही हैं कि यदि उन्होंने केस वापस नहीं लिया, तो उनके साथ गंभीर अंजाम भुगतने होंगे।
सवाल उठाती है यह घटना
यह घटना न केवल आदिवासी अधिकारों के हनन की है, बल्कि सत्ता और दबंगई के गठजोड़ को उजागर करती है। सवाल यह है कि क्या प्रशासन सुरजीत सिंह और अन्य आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई कर पाएगा, या जय सिंह अग्रवाल जैसे नेताओं के संरक्षण में दबंगई का यह खेल जारी रहेगा?
न्याय की गुहार
पीड़ित आदिवासी परिवार ने एसपी से मुलाकात कर सुरक्षा की मांग की है। यह मामला सिर्फ एक परिवार का नहीं, बल्कि आदिवासी समुदाय और उनके अधिकारों के सम्मान का है। दोषियों पर कड़ी कार्रवाई और पीड़ित परिवार को न्याय मिलना समाज में विश्वास बहाल करने के लिए बेहद जरूरी है।
अब यह देखना होगा कि प्रशासन जय सिंह अग्रवाल के संरक्षण में पल रहे सुरजीत सिंह और अन्य आरोपियों पर कार्रवाई करता है या फिर इस मामले को दबा दिया जाएगा।
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