September 5, 2025 |

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छत्तीसगढ़

नक्सल उन्मूलन अभियान को बड़ी सफलता, 24 माओवादियों ने किया आत्मसमर्पण

Gram Yatra Chhattisgarh
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बीजापुर (ग्रामयात्रा छत्तीसगढ़ )। बीजापुर जिले में नक्सल उन्मूलन अभियान के तहत एक बड़ी कामयाबी हासिल हुई है। पूर्वी बस्तर डिवीजन की परतापुर एरिया कमेटी और पश्चिम बस्तर डिवीजन की भैरमगढ़ एरिया कमेटी से जुड़े कुल 24 माओवादियों ने पुलिस के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया। आत्मसमर्पण करने वालों में 28.50 लाख रुपए के इनामी 14 माओवादी भी शामिल हैं।

वरिष्ठ पदों पर रहे माओवादी भी हुए सरेंडर
आत्मसमर्पित माओवादियों में एरिया कमेटी सदस्य (एसीएम), पार्टी सदस्य, पीएलजीए सदस्य, माड़ डिवीजन प्लाटून के सदस्य, केएएमएस अध्यक्ष, जनताना सरकार के शिक्षक और मिलिशिया कंपनियों के डिप्टी कमांडर शामिल हैं।

यह बड़ी कार्रवाई डीआरजी, बस्तर फाइटर, एसटीएफ, कोबरा और केरिपु बल के संयुक्त प्रयासों तथा सरकार की पुनर्वास एवं आत्मसमर्पण नीति के प्रभाव से संभव हो सकी है। पुलिस उप महानिरीक्षक (केरिपु) देवेंद्र सिंह नेगी और पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव की मौजूदगी में आत्मसमर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। सभी आत्मसमर्पित माओवादियों को सरकार द्वारा 50-50 हजार रुपए की प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की गई।

प्रमुख आत्मसमर्पित माओवादी
आत्मसमर्पित माओवादियों में 5 लाख के इनामी सुदरू हेमला उर्फ राजेश, कमली मोड़ियम उर्फ उर्मिला और 3 लाख के इनामी जयमोती पूनेम जैसे प्रमुख नाम शामिल हैं। कई माओवादी 15 से 20 वर्षों तक संगठन से जुड़े रहे और उच्च पदों पर कार्यरत थे।

आत्मसमर्पण के पीछे कई कारण
पुलिस के मुताबिक, संगठन के भीतर बढ़ते आंतरिक मतभेद, आदिवासी समाज पर अत्याचार, विचारधारा से मोहभंग और सरकार द्वारा चलाई जा रही विकास योजनाओं, जैसे ‘नियद नेल्ला नार’ योजना और पुनर्वास नीति ने माओवादियों को आत्मसमर्पण के लिए प्रेरित किया।

नक्सल उन्मूलन में तेज़ी
बीजापुर जिले में 1 जनवरी से अब तक 213 माओवादी गिरफ्तार किए जा चुके हैं, 203 ने आत्मसमर्पण किया है और मुठभेड़ों में 90 माओवादी मारे गए हैं। यह आंकड़े नक्सल उन्मूलन अभियान की बड़ी सफलता का संकेत देते हैं।

पुलिस अधीक्षक की अपील
पुलिस अधीक्षक डॉ. जितेंद्र कुमार यादव ने शेष माओवादियों से अपील की है कि वे सरकार की आत्मसमर्पण एवं पुनर्वास नीति का लाभ उठाकर मुख्यधारा में लौटें। अधिकारियों का मानना है कि संगठन को हुए बड़े नुकसान के चलते आने वाले दिनों में आत्मसमर्पण की संख्या और बढ़ सकती है। नक्सलमुक्त बस्तर का सपना अब धीरे-धीरे साकार होता दिख रहा है।

 

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