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छत्तीसगढ़

जेलों में बंद आदिवासियों से जुड़े 23 हजार मामलों की होगी समीक्षा

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रायपुर। आदिवासियों पर दर्ज प्रकरणों की समीक्षा के लिए बनी पटनायक कमेटी की 30 और 31 अक्टूबर को रायपुर में बैठक होगी। कमेटी आदिवासियों से जुड़े करीब 23 हजार मामलों को देखगी। इनमें से करीब 16 हजार मामलों में कोर्ट का फैसला आ चुका है, जबकि साढ़े छह हजार से अधिक मामलों का विभिन्न् कोर्ट में ट्रॉयल चल रहा है। इसमें ज्यादा मामले बीजापुर, सुकमा और बस्तर जिले के हैं।
उल्लेखनीय है कि विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस ने माओवाद प्रभावित क्षेत्रों में अनुसूचित जनजाति वर्ग के लोगों पर दर्ज मुकदमों की जांच कराने का वादा किया था। इसी आधार पर इस वर्ष मार्च में सरकार ने उच्चतम न्यायालय के सेवानिवृत्त जज जस्टिस एके पटनायक की अध्यक्षता में समिति का गठन किया है।
समिति में छत्तीसगढ़ के महाधिवक्ता या अतिरिक्त महाधिवक्ता, गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव, आदिम जाति विकास विभाग के सचिव, महानिदेशक जेल (नक्सल ऑपरेशन प्रभारी), पुलिस महानिदेशक और बस्तर संभाग के कमिश्नर को सदस्य बनाया गया है।
यह है स्थिति
गृह विभाग के सूत्रों के अनुसार 30 अप्रैल 2019 तक 6,743 आदिवासी जेल में अंडरट्रॉयल का सामना कर रहे थे। इनमें से 1039 के खिलाफ नक्सल मामले दर्ज हैं। इसके अलावा 16,475 आदिवासी राज्य में विभिन्न् मामलों में आरोपों का सामना कर रहे हैं। जिसमें 5239 नक्सली मामलों के तहत आरोपित हैं।
इसमें कुछ ऐसे आदिवासी शामिल हैं जिन्होंने खुद को हिरासत में लिए जाने के खिलाफ अपील नहीं की है। जिसकी वजह उनकी गरीबी या फिर कानूनी मदद न मिलना शामिल है। 25 अप्रैल, 2019 तक राज्य की सात जेलों में ऐसे 1977 अनुसूचित आदिवासी बंद हैं। जिसमें से 589 दोषी ठहराए गए हैं लेकिन उन्होंने अपील नहीं की है।

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